हैरानी की बात यह है कि इस मुख्त्यारनामे पर दलपतसिंह तातेड़ के हस्ताक्षर तक नहीं थे। इस मुखत्यारनामे में यह भी लिखा है कि भूमि पर भौतिक कब्जा मेरा (मूल खातेदार कैलाश पुत्र रोडू) का ही है। जमीन हस्तांरण का अधिकार भी मूल खातेदार के पास था। उक्त भूमि पर मुखत्यार आम यानि दलपत सिंह को निर्माण और विकास कार्य करवाने का अधिकार नहीं होगा। यानि दलपत सिंह इस जमीन को ना तो बेच सकते थे और ना ही जेड�
जेडीए के लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जेडीए आयुक्त का तबादला करके इस संस्था को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने का मैसेज दिया है। लेकिन, क्या सरकार सेक्टर सड़कों में हुए भ्रष्टाचार की जांच करवाएगी? क्योंकि सेक्टर सड़क तो अभी एक किलोमीटर भी नहीं बनी। लेकिन, जेडीए ने दलालों के माध्यम से करोड़ों रुपए के प्लॉट अलॉट कर दिए हैं।