हैरानी की बात यह है कि इस मुख्त्यारनामे पर दलपतसिंह तातेड़ के हस्ताक्षर तक नहीं थे। इस मुखत्यारनामे में यह भी लिखा है कि भूमि पर भौतिक कब्जा मेरा (मूल खातेदार कैलाश पुत्र रोडू) का ही है। जमीन हस्तांरण का अधिकार भी मूल खातेदार के पास था। उक्त भूमि पर मुखत्यार आम यानि दलपत सिंह को निर्माण और विकास कार्य करवाने का अधिकार नहीं होगा। यानि दलपत सिंह इस जमीन को ना तो बेच सकते थे और ना ही जेड�