भारत न्यूज़: हर अफगानी का दिल रो भर नहीं रहा , बल्कि फट सा गया है बैठ गया है। जिंदगी के कुछ साल एक किराए के घर में बिताने से उस जगह लगाव हो जाता है वहां से निकलने पर भी आंसू बहते हैं जबकि आप वहां से अपना सामान अपनी यादों का सामान लेकर जाते हैं मगर अफगानियों को सब कुछ छोड़कर बस अपनी जान बचाकर भागना पड़ रहा है।