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आतंकी कमांडर गिरफ्तारी के बाद मुठभेड़ में ढेर


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कुपवाड़ा जिले के हंदवाड़ा में बुधवार को मुठभेड़ के दौरान एक जवान। -प्रेट्र
सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 7 जुलाई
जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में बुधवार को सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में हिज्बुल मुजाहिदीन का कुख्यात आतंकवादी मेहराजुद्दीन हलवाई उर्फ उबैद मारा गया। उसे मंगलवार देर शाम एक नाके पर वाहनों की तलाशी के दौरान पकड़ा गया था। बीते 9 दिन में ऐसा दूसरी बार हुआ कि कोई आतंकी कमांडर गिरफ्तारी के अगले दिन मुठभेड़ में मारा गया।
कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार ने हिजबुल के टाॅप कमांडर मेहराजुद्दीन हलवाई के मारे जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि यह सुरक्षाबलों के लिए बहुत बड़ी कामयाबी है। करीब 36 वर्षीय मेहराजुद्दीन वर्ष 2011 से उत्तरी कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा था। घाटी में हुए कई आतंकी हमलों में वह शामिल रह चुका था। सुरक्षाबलों की मोस्ट वांटेड सूची में वह चौथे नंबर पर था और डबल ए कैटेगरी का आतंकवादी था।
पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार मेहराजुद्दीन हलवाई को गत मंगलवार देर शाम हंदवाड़ा में लगाए गये विशेष नाके पर पकड़ा गया था। नाका देखकर उसने चालाकी के साथ निकलने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षाबलों ने उसे दबोच लिया। उसकी कार की तलाशी लेने पर एक ग्रेनेड बरामद हुआ। पुलिस के अनुसार पूछताछ में हिजबुल कमांडर ने बताया कि उसने पाजीपोरा रेनान करालगुंड हंदवाड़ा में हथियार व गोलाबारूद छिपाया हुआ है। हंदवाड़ा पुलिस, सेना की 32 आरआर और सीआरपीएफ की 92 बटालियन के जवानों के साथ मेहराजुद्दीन को बताए हुए स्थान पर ले जाकर तलाशी अभियान शुरू किया गया। इसी दौरान आतंकी ने एके-47 उठा ली और गोलीबारी करता हुआ छिप गया। पुलिस के अनुसार सुरक्षाबलों ने उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, लेकिन उसने अंधाधुंध गोलीबारी की। सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में वह मारा गया। गौर हो कि गत 29 जून को कुछ इसी तरह लश्कर-ए-तैयबा का टॉप कमांडर नदीम अबरार हथगोले के साथ पकड़ा गया था और फिर मुठभेड़ में मारा गया था।
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16 घंटे पहले
15 घंटे पहले
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दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।
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