Path of Pushkar Singh Dhami is not easy in election year the

Path of Pushkar Singh Dhami is not easy in election year these 11 challenges are in front of new Uttarakhand CM - चुनावी साल में आसान नहीं है पुष्कर सिंह धामी की राह, सामने हैं पहाड़ जैसी ये 11 चुनौतियां


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चुनावी साल में आसान नहीं है पुष्कर सिंह धामी की राह, सामने हैं पहाड़ जैसी ये 11 चुनौतियां
चंद्रशेखर बुड़ाकोटी, देहरादूनPublished By: Shivendra Singh
Sun, 04 Jul 2021 10:51 AM
खटीमा विधायक पुष्कर सिंह धामी के सिर पर उत्तराखंड के 11वें सीएम का मुकुट जरूर सज गया है, लेकिन लेकिन फिलहाल उनके भाग्य में राजमहल के बजाए रणभूमि ही लिखी है। चुनावी साल होने की वजह से धामी को प्रदेश के मुखिया के रूप में काम करने के लिए बामुश्किल पांच महीने का वक्त मिलेगा। इन्हीं पांच महीनों में नए सीएम को न केवल सरकार-संगठन को तालमेल के साथ आगे बढ़ाना है, बल्कि चुनाव की तैयारी भी करनी है। भले ही उन्हें पांच महीने का राजपाट मिला है, लेकिन जवाबदेही सरकार के पूरे पांच साल के कार्यकाल की देनी होगी।
1 - चुनाव में चमत्कार की जिम्मेदारी
वर्तमान साल चुनाव का साल है। भाजपा को अपने पांच साल के कार्यकाल की उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जाना है। भाजपा पांच साल के कार्यकाल में तीन-तीन सीएम बदल चुकी है। इसके साथ ही पांच साल के कार्यकाल में कई ऐसे मौके आए हैं, जो भाजपा को असहज करने वाले हैं। इन तमाम सवालों के जवाब के साथ नए सीएम को जनता की अदालत में जाना है और उसमें कामयाब होकर भी दिखाना है।
2 - सरकार के साथ संगठन से भी तालमेल
सरकार, संगठन और दोनों को साथ लेकर चलने की चुनौती नए सीएम पर है। कई बार सार्वजनिक रूप से मंत्रियों के परस्पर मनभेद, विधायकों की नाराजगी और संगठन की के साथ रिश्तों की तल्खियां सामने आती रहीं है। सीएम को न केवल सरकार में सभी मंत्रियों को साथ लेकर चलना है, बल्कि उनमें अपने नेत़त्व के प्रति विश्वास भी कायम करना है। यही बात संगठन पर भी लागू होगी।
3 - नौकरशाही पर कड़ा नियंत्रण
उत्तराखंड के बारे में मशहूर है कि यहां सरकार से ज्यादा नौकरशाही का राजपाट चलता है। आए दिन मंत्री-सचिवों के बीच होने वाली खटपट इसे साबित भी करती है। त्रिवेंद्र सरकार में सबसे कद्दावर माने जाने वाले मदन कौशिक, सतपाल महाराज, यशपाल आर्य, हरक सिंह रावत, राज्यमंत्री रेखा आर्य के विवाद तो खूब सुर्खियों में भी रहे। विधायक भी खुलेआम शिकायतें करते रहे हैं। नए सीएम को नौकरशाही को भी साधना और साथ ही नाथना भी होगा।
4 - कोविड 19 संक्रमण से राज्य की रक्षा
कोविड 19 की दूसरी लहर अभी चंद दिनों से ही शांत है। विशेषज्ञ तीसरी लहर की आशंका काफी समय से जता रहे हैं। पहले त्रिवेंद्र ओर फिर तीरथ सरकार में कोविड 19 प्रबंधन सवालों के घेरे में रहा। अब चूंकि तीसरी लहर की आशंका तेज है, ऐसे में नए सीएम के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती होगा। राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षा और जरूरत पड़ने पर समुचित उपचार मुहैया कराने की व्यवस्था करनी होगी।
5 - अर्थव्यवस्था में सुधार
कोविड 19 महामारी के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरी हुई है। राज्य के पास कोविड से लडाई, नए विकास कार्यों के लिए धन की किल्लत है। नए सीएम को कोविड से प्रभावित लोगों को राहत भी देनी है और विकास की गाड़ी को भी तेजी से आगे बढ़ाना है। राज्य के राजस्व के स्रोतों को मजबूत करना है बल्कि केंद्र से भी ज्यादा से ज्यादा इमदाद लानी होगी।
6 - पारदर्शी शासन और भ्रष्टाचार पर अंकुश
भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा अपनी नीति को जीरो टालरेंस की नीति बताई रही है। लेकिन एनएच मुआवजा घोटाला चावल घोटाला, कोरोना फर्जी जांच घोटाला, कर्मकार बोर्ड विवाद समेत कई मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें शुरूआती कार्रवाई के बाद सरकार के तेवर नरम पड़ते दिखाई दिए हैं। जनता को पारदर्शी शासन और भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड देन सीएम के लिए बड़ा टास्क रहेगा।
7 - कर्मचारियों का जीतना है विश्वास
उत्तराखंड की राजनीति भले ही भाजपा और कांग्रेस के बीच ही सिमटी रहती है, लेकिन इस राजनीति को सबसे ज्यादा प्रभावित ढाई लाख से ज्यादा शिक्षक-कर्मचारी भी प्रभावित करते हैं। इस वक्त करीब करीब हर शिक्षक और कर्मचारी संगठन सरकारी सिस्टम से नाराज हैं। तबादला, प्रमोशन, ग्रेड पे, चयन-प्रोन्नत वेतनमान समेत कई विसंगतियां हैं, जिन्हें सीएम को हल कर शिक्षक-कार्मियेां का विश्वास जीतना होगा।
8 - बेरोजगारी : बेरोजगारी राज्य का बड़ा मुद्दा है। निवर्तमान सीएम 22 हजार से ज्यादा पदों पर भर्ती के आदेश कर चुके हैं। इस भर्ती को समय पर कराना होगा।
9 - चारधाम यात्रा, पयर्टन राज्य की अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार हैं। कोविड 19 सुरक्षा मानकों के साथ धीरे धीरे इन्हें भी शुरु कराया जाना है।
10 - मानसून सीजन शुरू हो चुका है। इस दौरान आपदाओं की घटनाएं बढ़ जाती है। प्रभावितों को समय पर सुरक्षा, तेजी से राहत-बचाव कराने होंगे।
11 - देवस्थानम बोर्ड, गैरसैंण कमिश्नरी, समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दे अभी लंबित हैं। इन मुद्दो

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