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no deaths due to lack of oxygen: no deaths of corona patients lack of oxygen,क्या सच में ऑक्सिजन की कमी से नहीं गई किसी कोरोना मरीज की जान?


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क्या सच में ऑक्सिजन की कमी से नहीं गई किसी कोरोना मरीज की जान? जरा ये पढ़ लीजिए
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पंकज सिंह | टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Updated: 21 Jul 2021, 10:50:00 AM
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कोरोना के केस भले ही देश में कम हुए हैं लेकिन दूसरी लहर का जो नजारा था उसको सोचकर लोग आज भी डर जाते हैं। ऑक्सिजन कमी की कई ऐसी तस्वीरें देखने को मिली जो अब तक लोगों को याद है। वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार का कहना है कि राज्यों से ऑक्सिजन की कमी के चलते मौत की कोई सूचना नहीं मिली है।
 
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नई दिल्ली
एक सवाल के जवाब में सरकार ने राज्यसभा में कहा कि कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सिजन की कमी से किसी के मरने की कोई सूचना किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश से नहीं है। सरकार की ओर से दिए गए जवाब में कहा कि स्वास्थ्य राज्यों का विषय है और उनकी ओर से कोविड से हुई मौत की सूचना दी जाती है लेकिन इसमें भी ऑक्सिजन की कमी से किसी मौत की सूचना नहीं है। ऑक्सिजन से मौत पर हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट कुछ और ही कहती है।
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अधिकांश राज्य इससे प्रभावित हुए। मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच ऑक्सिजन की कमी की कई ऐसी तस्वीरें देखने को मिली जो अब तक लोगों को याद है। केंद्र सरकार का कहना है कि राज्यों से ऑक्सिजन की कमी के चलते मौत की कोई सूचना नहीं मिली है। ऐसे में राज्य सरकारों के ही बयान और रिपोर्ट को देखा जाए तो ऑक्सिजन से मौत की संख्या जीरो नहीं बल्कि कहीं अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक केवल 5 राज्यों से ही ऑक्सिजन कमी के चलते 195 लोगों की जान चली गई। ये वो राज्य हैं दिल्ली,गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और हरियाणा।
दिल्ली: बत्रा अस्पताल ने कहा कि 1 मई को ऑक्सिजन की कमी के चलते 12 मरीजों की मौत हो गई। आईसीयू में छह मरीजों की मौत हो गई और वार्ड में भर्ती दो अन्य मरीजों की भी मौत हो गई है। कम से कम चार दूसरे और मरीज जिनकी ऑक्सिजन की कमी के कारण होने वाली दिक्कतों के कारण जान चली गई। अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ एस सी एल गुप्ता ने यह जानकारी दी थी।
बत्रा अस्पताल में हुई मौतों पर प्रतिक्रिया देते हुए उस वक्त मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा यह खबर बहुत दर्दनाक है। समय पर ऑक्सिजन देकर उनकी जान बचाई जा सकती थी। दिल्ली को ऑक्सिजन का कोटा दें। हम अपने लोगों को अब इस तरह मरते नहीं देख सकते। 25 जून को एक अन्य ट्वीट में, भाजपा की ओर दिल्ली सरकार पर शहर की ऑक्सिजन की मांग को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का आरोप लगाने के बाद, उन्होंने कहा ऑक्सीजन की कमी के कारण लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है। उन्हें झूठा मत कहो, उन्हें बहुत बुरा लग रहा है।
गोवा: टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 11 से 15 मई के बीच ऑक्सिजन संबंधित कारणों के चलते कम से कम 83 लोगों की मौत हुई, पहले दिन सबसे ज्यादा (26) मौतें हुईं। 11 मई को, गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे ने कहा ऑक्सिजन की बाधित आपूर्ति के कारण, हमें लगता है कि गोवा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में सुबह 2 से 6 बजे के बीच कई लोग मर रहे हैं। एक दिन, आवश्यकता लगभग 1,200 सिलेंडर थी लेकिन 400 सिलेंडर मिले। कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की ओर से टिप्पणी की गई कि उसके सामने रखी गई सामग्री ने स्थापित किया कि कुछ रोगियों ने ऑक्सिजन की आपूर्ति के अभाव में दम तोड़ दिया।
कर्नाटक: चामराजनगर जिले में 2 और 3 मई को ऑक्सिजन कमी के कारण 24 मरीजों की मौत हो गई। कर्नाटक उच्च न्यायालय की ओर से गठित एक पैनल ने निष्कर्ष निकाला कि वास्तव में 36 रोगियों की मृत्यु हुई थी, न कि 24 की। और यह सब ऑक्सिजन कमी के कारण मौत हुई थी। पैनल की रिपोर्ट में कहा गया था कि जिले में मेडिकल ऑक्सिजन के बफर स्टॉक की कमी के कारण लोगों की मौत हुई है। अब तक 24 मरीजों को मुआवजा दिया गया।
आंध्र प्रदेश: टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मई महीने में राज्य में ऑक्सिजन की कमी से 45 कोविड मरीजों की मौत हुई, लेकिन राज्य सरकार ने ऐसी 23 मौतों को ही स्वीकार किया। सभी मौतें रायलसीमा क्षेत्र से हुई हैं। 28 जून को, सरकार ने उच्च न्यायालय के समक्ष स्वीकार किया कि तिरुपति के एक सरकारी संस्थान रुइया अस्पताल में 23 लोगों की मौत हुई थी। सरकारी वकील ने उच्च न्यायालय को बताया कि मौतें ऑक्सिजन टैंकर के आने में देरी के कारण हुई।
हरियाणा: सरकार ने 5 अप्रैल से 1 मई के बीच ऑक्सिजन की कमी के कारण हुई कम से कम 19 मौतों की जांच के आदेश दिए। ये रेवाड़ी के विराट अस्पताल से चार, गुड़गांव के कथूरिया अस्पताल से चार, हिसार के सोनी बर्न से पांच और गुड़गांव में कृति अस्पताल से छह रिपोर्ट किए गए थे।
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