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nasa self driving perseverance mars rover takes the wheel on crater to search of ancient life on red planet
Perseverance Rover : क्या मंगल ग्रह पर कभी मौजूद था जीवन? सबूत तलाशने निकला NASA का मार्स रोवर
Priyesh Mishra | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 03 Jul 2021, 09:24:00 AM
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Perseverance Mars Rover: नासा का पर्सवेरेंस मार्स रोवर मंगल के एक क्रेटर में प्राचीन जीवन के सबूत तलाशने जा रहा है। इस दौरान यह रोवर खुद के कंप्यूटर के जरिए सही रास्ते का चुनाव करेगा। मंगल की सतह पर चलते समय रोवर की स्पीड 120 मीटर प्रति घंटा होगी।
 
कैलिफोर्निया
नासा का पर्सवेरेंस मार्स रोवर मंगल पर प्राचीन जीवन के निशान खोजने के अपने महाअभियान पर निकलने के लिए तैयार है। नासा का मार्स रोवर जिस क्रेटर में खोज करने जा रहा है, वह कभी एक बड़ी झील थी। अरबों साल पहले लाल ग्रह आज की तुलना में अधिक गीला था। इस खोज के दौरान मार्स रोवर Perseverance AutoNav का उपयोग करके खुद ही नेविगेशन की कमान संभालेगा। AutoNav एक इंटेलिजेंट एल्गोरिथम है जो रोवर को अपने ड्राइव के दौरान आसपास के 3डी-मैपिंग और सबसे सही रास्ता खोजने में मदद करता है।
खुद ही रास्ते को तय करेगा रोवर
नासा के एक बयान में रोवर टीम में शामिल वरिष्ठ इंजिनियर वंडी वर्मा ने बताया कि इस रोवर के पास ड्राइविंग करते समय सोचने की भी क्षमता है। उनके अनुसार, रोवर के पहिए जब चल रहे होंगे तब वह अपनी ऑटोमेटिक ड्राइव के बारे में लगातार सोच रहा होगा। इसके लिए रोवर के अंदर एक खास कंप्यूटर लगाया गया है। हालांकि, इस मिशन के लिए रोवर को केवल AutoNav के भरोसे भी नहीं छोड़ा जा सकता।
3डी मैप बनाकर रोवर को बताएगा सही रास्ता
नासा ने बताया कि रोवर टीम से जुड़े वैज्ञानिकों ने नेविगेशन रूट की योजना बनाकर रोवर को इसका पालन करने के निर्देशों का मसौदा तैयार किया है। यह काफी मुश्किल काम होता है, लेकिन नासा के वैज्ञानिकों ने इसे भी संभव कर दिखाया है। मंगल से पृथ्वी के बीच रेडियो सिग्नल में देरी के कारण वैज्ञानिक जॉयस्टिक से रोवर को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। यहीं पर AutoNav काम करता है।
मंगल पर रोवर को कंट्रोल करना क्यों मुश्किल
जॉयस्टिक एक हैंडल की तरह होता है। इसके माध्यम से दूर बैठे कंट्रोलर किसी भी यूएवी, व्हीकल या रोबोट को कमांड दे सकते हैं। हालांकि, यह तभी संभव होगा जब ऑब्जेक्ट और कमांड सेंटर के बीच रेडियो सिग्नल में कोई बाधा न आए। अगर रेडियो सिग्नल टूटता है तो इससे कमांड सेंटर का अपने ऑब्जेक्ट पर से कंट्रोल भी छूट सकता है।
120 मीटर प्रतिघंटा की स्पीड से चलेगा रोवर
पर्सवेरेंस रोवर मंगल की सतह पर 120 मीटर प्रतिघंटे की स्पीड से चलने में सक्षम है। इससे पहले नासा ने मंगल पर क्यूरियोसिटी रोवर को भेजा था, जिसकी स्पीड मात्र 20 मीटर प्रति घंटा ही थी। क्यूरियोसिटी भी AutoNav से लैस है, हालांकि इसका वर्जन काफी पुराना है। केवल स्पीड में ही नहीं, बल्कि उबड़-खाबड़ सतह पर चलने के मामले में भी पर्सवेरेंस रोवर का नेविगेशन क्यूरियोसिटी से अधिक उन्नत है। यह मंगल के तेज और नुकीले पत्थरों से खुद को बचा सकता है।
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