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mamata banerjee wants to remove governor jagdeep dhankhar what is the rule what constitution of india says read here all detail you want to know mtj | जगदीप धनखड़ को हटाना चाहती हैं ममता बनर्जी, राज्यपाल को हटाने के क्या हैं नियम, क्या कहता है संविधान


केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से भी ममता बननर्जी के अच्छे संबंध नहीं हैं. इसलिए ममता और जगदीप धनखड़ के बीच जारी खींचतान में संविधान के तराजू में राज्यपाल का पलड़ा भारी है. हालांकि, राज्यपाल को हटाने की मांग करने वाला प्रस्ताव विधानसभा में पारित करने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्वतंत्र हैं. हालांकि, इसका कोई फायदा होने वाला नहीं है.
केंद्र के प्रतिनिधि होते हैं राज्यपाल
भारत के संविधान का आर्टिकल 155 और 156 राज्यपाल को राज्य में केंद्र सरकार का प्रतिनिधि नियुक्त करता है. संविधान का आर्टिकल 74 में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल की मदद करने और उन्हें सलाह देने के लिए राष्ट्रपति बाध्य हैं. इसका अर्थ यह हुआ कि केंद्र में शासन करने वाली पार्टी राष्ट्रपति के माध्यम से किसी भी राज्य में अपनी पसंद का राज्यपाल नियुक्त कर सकती है.
राष्ट्रपति भी राज्यपाल को यूं ही नहीं हटा सकते
वर्ष 2004 में एक साथ चार राज्यों के राज्यपाल को रातोरात हटा दिया गया था. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. वर्ष 2010 के बीपी सिंघल केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नजीर माना जाता है. उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और गोवा के राज्यपालों को जुलाई 2004 में हटाये जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था राष्ट्रपति किसी भी राज्यपाल को हटाने का एकतरफा, मनमाना या गैर-वाजिब तरीका अख्तियार नहीं कर सकते. सिर्फ अभूतपूर्व परिस्थितियों में ही उन्हें ऐसा करने का अधिकार है.
दरअसल, वर्ष 2004 में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) लोकसभा चुनाव में हार गयी थी और कांग्रेस की अगुवाई में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की सरकार बनी थी. सरकार बनने के बाद डॉ मनमोहन सिंह की सरकार ने एनडीए सरकार के द्वारा नियुक्त किये गये उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और गोवा के राज्यपालों को उनके पद से हटा दिया था.
उस वक्त की परिस्थितियों की बात करें, तो मामला केंद्र सरकार के साथ राज्यपाल की नीतियों और विचारधारा के टकराव का था. राज्य सरकार के साथ राज्यपाल के गतिरोध का कोई मामला नहीं था.
मद्रास हाइकोर्ट में हार चुकी है तमिलनाडु सरकार
राज्यपाल को हटाने का मुद्दा मद्रास हाइकोर्ट पहुंचा, तो तमिलनाडु सरकार को वहां मुंह की खानी पड़ी. मामला वर्ष 2020 का है. एक गैर-राजनीतिक संगठन ने मद्रास हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की. उसने मांग की कि हाइकोर्ट केंद्र सरकार को तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को हटाने का आदेश दे.
याचिकाकर्ता की दलील थी कि सितंबर 2018 में तमिलनाडु की कैबिनेट से पारित सिफारिश पर राज्यपाल फैसला नहीं ले रहे हैं. इसलिए उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए. ज्ञात हो कि तमिलनाडु की सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के सभी 7 आरोपियों को रिहा करने का प्रस्ताव कैबिनेट में पास किया था. हाइकोर्ट ने संविधान के आर्टिकल 156 और बीपी सिंघल जजमेंट केस का हवाला देते हुए याचिका खारिज कर दी थी.
राज्यपाल को हटाने पर क्या है आयोगों का रुख?
संविधान और कोर्ट किसी राज्यपाल को मुख्यमंत्री या किसी राज्य सरकार की इच्छा से हटाने की अनुमति नहीं देता. इस विषय पर विचार करने के लिए अब तक कम से कम तीन आयोगों का गठन किया गया है. इन तीन आयोगों में से दो की सिफारिशों पर गौर करेंगे, तो पायेंगे कि ममता बनर्जी किसी भी सूरत में राज्यपाल जगदीप धनखड़ को नहीं हटा पायेंगी. तीन आयोगों की सिफारिशों के बारे में यहां पढ़ें-
1988 का सरकारिया कमीशन
वर्ष 1988 में गठित सरकारिया कमीशन ने जो सिफारिशें की, उसमें स्पष्ट कहा गया है कि राज्यपालों को उनके 5 साल के कार्यकाल से पहले तब तक नहीं हटाया जाना चाहिए, जब तक कोई अभूतपूर्व परिस्थिति न उत्पन्न हो गयी हो. बंगाल के मामले में राज्यपाल जगदीप धनखड़ की नियुक्त जुलाई 2019 में हुई थी. यानी उनका कार्यकाल जुलाई 2024 तक है. इस आयोग की सिफारिशों के मुताबिक, उन्हें अभी नहीं हटाया जा सकता.
2002 का वेंकटचलैया कमीशन
राज्यपाल को हटाये जाने के मुद्दे पर विचार करने के लिए वर्ष 2002 में वेंकटचलैया आयोग का गठन हुआ था. इस आयोग ने सरकारिया कमीशन की तरह ही कहा कि राज्यपालों को उनके 5 साल के कार्यकाल से पहले नहीं हटाया जाना चाहिए. हालांकि, वेंकटचलैया आयोग ने इसके साथ जोड़ा कि केंद्र सरकार मुख्यमंत्री के साथ सलाह-मशविरा करने के बाद राज्यपाल को हटा सकते हैं. लेकिन, वर्तमान में पश्चिम बंगाल के मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्यपाल को हटाने की मांग कर रही हैं. और ममता की मांग मानने में केद्र सरकार की रुचि नहीं दिख रही.
2010 का पुंछी कमीशन
वर्ष 2010 में बने पुंछी आयोग ने राज्यपाल को हटाने के मसले पर एक कदम आगे बढ़कर अपनी सिफारिश दी. आयोग ने राष्ट्रपति की इच्छा से राज्यपाल की नियुक्त को संविधान से हटाने की सिफार

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