इस्तांबुल। काबुल की दहलीज पर खड़े तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में शांति के नए युग का वादा किए जाने के बावजूद आम अफगानों के दिलों में क्रूर शासन की वापसी का डर घर करने लगा है। तमाम लोगों को डर है कि तालिबान उन सभी अधिकारों को समाप्त कर देगा जो पिछले करीब दो दशक में कड़ी मशक्कत से महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदाय ने हासिल किए थे। साथ ही पत्रकारों और गैर-सरकारी संगठनों के काम करने की आजादी पर भी पाबंदी लगाई जा सकती है।