explainer: banks can pay less interest on matured bulk fds, auto renewal of retail fds will not be impacted Explainer: FD और TD को लेकर रिजर्व बैंक ने जो नियम बदला है, यहां समझिए उसका सही मतलब! Anuj Maurya | Navbharat Times | Updated: 06 Jul 2021, 11:52:49 AM Subscribe FD and TD rule change: रिजर्व बैंक (RBI) चाहता है कि तमाम बिजनस हाउस अपना पैसा यूं ही बैंक में जमा कर के ना छोड़ दें, बल्कि वह उस पैसे को बिजनस में प्रोडक्टिविटी के लिए लगाएं। ऐसे में केंद्रीय बैंक ने नियम बदल दिया है कि मेच्योरिटी के बाद बल्क एफडी (Fixed Deposit) पर बैंक चाहे तो सेविंग अकाउंट की दर से ब्याज दें चाहे उस दर पर जिस पर एफडी के लिए कॉन्ट्रैक्ट हुआ था।
Explainer: FD और TD को लेकर रिजर्व बैंक ने जो नियम बदला है, यहां समझिए उसका सही मतलब! FD and TD rule change: पिछले ही दिनों भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) और टर्म डिपॉजिट (Term Deposit) से जुड़ा एक बड़ा फैसला किया था। रिजर्व बैंक ने कहा था कि एफडी (FD) की मेच्योरिटी के बाद भी पैसे बैंक के पास पड़े रहने और उसका दावा नहीं होने पर ब्याज देने के नियम को बदला है। नए नियम के अनुसार ऐसी स्थिति में बैंक उस पैसे पर सेविंग अकाउंट या एफडी में से जिस पर कम ब्याज दिया जाता है, वह दे सकते हैं। रिजर्व बैंक के इस फैसले के बाद कई तरह के कयास लगने शुरू हो गए हैं। आइए आपको बताते हैं इससे क्या फायदा होगा और किसे नुकसान होगा। साथ ही जानते हैं रिजर्व बैंक ने ऐसा क्यों किया। बिजनस से जुड़ा है ये फैसला रिजर्व बैंक ने ये फैसला इसलिए किया है, ताकि तमाम बिजनस हाउस देश के बैंकों को ट्रेजरी मैनेजमेंट की तरह इस्तेमाल ना करें। अभी तक यह नियम है कि अगर मेच्योरिटी पूरी होने के बाद भी रकम बैंक के पास पड़ी रहती है तो बैंक उस पर सेविंग्स अकाउंट जितना ब्याज देते हैं। अब बैंक सेविंग्स अकाउंट के हिसाब से ब्याज दे सकते हैं या फिर उस रेट पर ब्याज दे सकते हैं जिस पर एफडी के लिए या टर्म डिपॉजिट के लिए कॉन्ट्रैक्ट हुआ था। रिजर्व बैंक ने कहा है कि बैंक इनमें से जो भी कम हो, वह दर ऑफर कर सकते हैं। अगर बिजनस हाउस अपने करोड़ों रुपये बैंकों में छोड़ देते हैं और उन्हें सेविंग अकाउंट की दर से 3-4 फीसदी ब्याज (जो अधिकतर बैंक देते हैं) भी मिलता है, तो ये उनके लिए बहुत ही अच्छा रिटर्न होगा। बिजनस हाउस को होगा नुकसान, लेकिन... सीधे तौर पर देखा जाए तो रिजर्व बैंक के इस फैसले से बिजनस हाउस को अपने पैसों पर नुकसान झेलना होगा। उसे मेच्योरिटी के बाद पहले की तुलना में कम ब्याज मिलेगा, क्योंकि मुमकिन है कि बिजनस हाउस की एफडी पर बैंक सेविंग अकाउंट से भी कम ब्याज दे रहा हो। दरअसल, रिजर्व बैंक ने ऐसा इसलिए किया है ताकि बिजनस हाउस अपना पैसा बैंक में जमा कर के ना रखें, बल्कि उसका प्रोडक्टिव तरीके से बिजनस में इस्तेमाल करें। अगर पैसे बिजनस में इस्तेमाल होगा तो इससे सरकारी की तमाम टैक्सों के जरिए कमाई तो बढ़ेगी ही, रोजगार भी पैदा होगा, जिसकी अभी बहुत जरूरत है। अगर बिजनस फिर भी पैसों को बैंक में ही निवेश करना चाहते हैं तो इस रिजर्व बैंक के फैसले के चलते बिजनस अपने पैसे लंबे वक्त के लिए बैंक में एफडी कराएंगे। रिटेल एफडी पर बैंक अपने हिसाब से फैसला ले सकते हैं, लेकिन बिजनस हाउस की भारी-भरकम यानी बल्क एफडी पर रिजर्व बैंक के नियम सख्ती से लागू होंगे। RBI सर्कुलर ने पैदा कुए कुछ कनफ्यूजन रिजर्व बैंक के सर्कुलर की वजह से कुछ तरह के कनफ्यूजन भी पैदा हो गए हैं। माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक के इस फैसला का असर सीधा ऑटो रिन्यूअल पर पड़ेगा। वहीं रिजर्व बैंक के एक सोर्स से बात के बाद पता चला है कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला। ऑटो रिन्यूअल पहले की तरह ही जारी रहेंगे। बैंकों ने भी कहा है कि ग्राहक की तरफ से जिस ऑटो रिन्यूअल की अनुमति दी गई है उसे बैंक नकार नहीं सकते हैं। हो सकता है कि आने वाले कुछ दिनों में रिजर्व बैंक इस बात को लेकर स्पष्टीकरण भी दे कि नए नियम का ऑटो रिन्यूअल से कुछ लेना-देना नहीं है। यह वीडियो भी देखें What is IFSC Code: जानिए, अगर पैसे भेजते वक्त गलत आईएफएससी कोड डाल दिया तो क्या होगा! Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुक पेज लाइक करें कॉमेंट लिखें इन टॉपिक्स पर और पढ़ें