ख़बर सुनें दुर्घटना में तमाम लोगों के हाथ-पैर की हड्डियां टूट जाती हैं। डॉक्टर उसे ठीक करने के लिए रॉड डालते हैं या फिर प्लेट लगाते हैं। यह तरीका महंगा भी पड़ता है और जल्द हड्डी का विकास भी नहीं होता। अब रॉड व प्लेट लगाने से छुटकारा मिल जाएगा। पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) व पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पेक) के प्रोफेसरों ने एक पाउडर तैयार किया है, जिसे किसी भी स्कैप फोल्ड में डालकर इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस फार्मूले व पाउडर का पेटेंट भी हो गया है। पीयू के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग की प्रो. सीमा कपूर व पेक की प्रो. उमा बत्रा ने यह शोध 2009 में शुरू किया था। उन्होंने दुनियाभर के आंकड़े इकट्ठे किए। पाया कि हड्डी के कैंसर में हड्डी को काटना पड़ता है। उसकी जगह रॉड आदि का इस्तेमाल किया जाता है, जो मेटल की होती है। इसके अलावा हड्डी टूटने पर भी यही होता है। उन्होंने पहले हड्डी में पाए जाने वाले सभी तत्वों का अध्ययन किया। सबसे महत्वपूर्ण तत्व कैल्शियम, फॉस्फेट, सिलिकॉन हैं। इन सभी का विकल्प उन्होंने केमिकल के जरिए तैयार किया, जो सिंथेटिक हैं। यह पाउडर के रूप में बना है। अब अमेरिका से नहीं मंगवाना पड़ेगा पाउडर प्रो. उमा बत्रा का कहना है कि हड्डियों आदि की मरम्मत के लिए अमेरिका से सामान मंगवाया जाता है जो 70 हजार रुपये किलो मिलता है। अब इस फार्मूले से यह सामान यहीं पर मिलने लगेगा, जो सस्ता होगा। साथ ही यह पाउडर हड्डी का विकास बहुत जल्द करेगा। रॉड आदि डालने से होने वाली तकलीफ भी नहीं होगी। इस पाउडर का शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव भी नहीं पड़ेगा। विस्तार दुर्घटना में तमाम लोगों के हाथ-पैर की हड्डियां टूट जाती हैं। डॉक्टर उसे ठीक करने के लिए रॉड डालते हैं या फिर प्लेट लगाते हैं। यह तरीका महंगा भी पड़ता है और जल्द हड्डी का विकास भी नहीं होता। अब रॉड व प्लेट लगाने से छुटकारा मिल जाएगा। पंजाब विश्वविद्यालय (पीयू) व पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज (पेक) के प्रोफेसरों ने एक पाउडर तैयार किया है, जिसे किसी भी स्कैप फोल्ड में डालकर इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस फार्मूले व पाउडर का पेटेंट भी हो गया है। विज्ञापन पीयू के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग की प्रो. सीमा कपूर व पेक की प्रो. उमा बत्रा ने यह शोध 2009 में शुरू किया था। उन्होंने दुनियाभर के आंकड़े इकट्ठे किए। पाया कि हड्डी के कैंसर में हड्डी को काटना पड़ता है। उसकी जगह रॉड आदि का इस्तेमाल किया जाता है, जो मेटल की होती है। इसके अलावा हड्डी टूटने पर भी यही होता है। उन्होंने पहले हड्डी में पाए जाने वाले सभी तत्वों का अध्ययन किया। सबसे महत्वपूर्ण तत्व कैल्शियम, फॉस्फेट, सिलिकॉन हैं। इन सभी का विकल्प उन्होंने केमिकल के जरिए तैयार किया, जो सिंथेटिक हैं। यह पाउडर के रूप में बना है। अब अमेरिका से नहीं मंगवाना पड़ेगा पाउडर प्रो. उमा बत्रा का कहना है कि हड्डियों आदि की मरम्मत के लिए अमेरिका से सामान मंगवाया जाता है जो 70 हजार रुपये किलो मिलता है। अब इस फार्मूले से यह सामान यहीं पर मिलने लगेगा, जो सस्ता होगा। साथ ही यह पाउडर हड्डी का विकास बहुत जल्द करेगा। रॉड आदि डालने से होने वाली तकलीफ भी नहीं होगी। इस पाउडर का शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव भी नहीं पड़ेगा। आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है। खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें। खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं? हां