faridabad aravali range: aravali hill range latest news today : अरावली रेंज में मिले 50 हजार साल पुराने शैल कला के निशान और गुफाएं

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50 thousand year old rock art marks and caves found in aravalli in faridabad
फरीदाबाद के पास अरावली में मिले हाथ-पैर के निशान कर रहे हैरान, छिपा है 50 हजार साल पुराना रहस्य!
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एनबीटी डेस्क | नवभारत टाइम्स | Updated: 15 Jul 2021, 09:30:00 AM
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देश की सबसे पुरानी अरावली पर्वत श्रंखला मानव जाति के कुछ ऐसे चिन्ह मिले हैं जिससे इस श्रंखला को खत्म होने से बचाने की तरफ कारगर कदम उठाया जा सकता है। ये खोज 50 हजार साल पहले मनुष्य के अस्तित्व से जुड़ी हैं।
 
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हाइलाइट्स
ऑर्केलॉजी के छात्र शैलेश बैंसला ने खोजे पुराने चिह्न व शैल आर्ट
कोट गांव के अंदर तो पाषाण काल की गुफाएं व घर मिले हैं
हरियाणा पुरातत्व विभाग की टीम ने रिसर्च के लिए बनाई कमेटी
फरीदाबाद
देश की सबसे पुरानी अरावली पर्वत श्रंखला को खत्म होने से बचाने में एक नई खोज कारगर हो सकती है और इसे पर्यटन का केंद्र भी बना सकती है। ऑर्केलॉजी के छात्र शैलेश बैंसला ने अरावली के अंदर 2 साल तक रिसर्च कर मानव जाति के कुछ ऐसे चिन्हों को खोज निकाला है जिससे साबित होता है कि यहां 50 हजार साल पहले भी मनुष्य रहते थे और वह पहाड़ पर शैल आर्ट बनाते थे।
मांगर गांव के अंदर पत्थर के घर, गुफाएं मिली
शैलेश ने बताया कि कोट गांव के अंदर तो पाषाण काल के कुछ चिन्ह मिले हैं जिनका प्रयोग मनुष्य उस समय किया करते थे। वहीं मांगर गांव के अंदर पत्थर के घर व गुफाएं भी मिली हैं जिनमें लोग रहा करते थे। अब इसकी गहराई तक जाने के लिए हरियाणा पुरातत्व व संग्रहालय निदेशालय ने रिसर्च करने के लिए कमिटी का गठन किया है। यह कमिटी क्षेत्र को अपने अंडर में लेकर जांच करेगी। कमिटी में शैलेश बैंसला को भी शामिल किया है।
पाषाण काल की हो सकती हैं चीजें
पाषाण काल 10 हजार से लेकर 50 हजार साल पुराना है। इसमें लोग अलग-अलग तरह से रहे थे। वैसे भी अरावली रेंज 35 लाख साल पुरानी है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि ये देश की सबसे पुरानी रेंज है। अगल इस रेंज में इस तरह से मानव जाति से जुड़ी कुछ चीजें मिली हैं तो इसे सहेजने की आवश्यकता है।
अब अरावली के बचने की उम्मीद
अरावली के लिए काम करने वाले मोहित मावी ने बताया कि अगर अरावली के अंदर इस तरह से मानव जाति की चीजें मिल रही हैं तो ये काफी अच्छी बात है। इसे तो संग्रहित करने का काम करना चाहिए। आज के समय में तो अरावली को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। अगर इस तरह की चीजें मिल रही हैं तो उस पर शोध होना चाहिए और पूरी अरावली श्रंखला को बचाना चाहिए।
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अब यहां होगा शोध, नई चीजें ढूंढी जाएंगी
हरियाणा पुरातत्व व संग्रहालय निदेशालय के डिप्टी डायरेक्टर बनानी भट्टाचार्य ने इस विषय में बताया कि ये अरावली पर्वत श्रंखला के लिए अच्छी बात है कि इस तरह की पुरानी चीजें मिल रही हैं। मेरा तो मानना है कि 75 हजार साल पुरानी कुछ चीजें भी अरावली के मांगर, कोर सिलाकरी में मिल सकते हैं। इसलिए अब पुरातत्व विभाग की टीम ने एक कमिटी बनाई है जो एरिया को अपने अंडर लेकर शोध शुरू करेगी।
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