"खामोशी ही तो खुदा की जुबान है. बाकी सब फूहड़ अनुवाद है", कोई 800 साल पहले ऐसे विचार देने वाले सूफी संत और कवि जलालुद्दीन मुहम्मद रूमी आज ही के दिन पैदा हुए.
कई कीड़े ऐसे होते हैं जो हमें नंगी आंखों से आसानी से दिख जाते हैं, लेकिन कई ऐसे होते हैं जिन्हें हम देख नहीं पाते. ये हमारे घरों में छुपे होते हैं और बीमारी का घर बन सकते हैं. इनसे बचना जरूरी है.