यह साल 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में 5.83% कम रहा है। 2014 व 2019
में बीजेपी के खाते में जाने वाली इस सीट पर इस बार बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। जातिगत समीकरण और एंटी इन्कंबेंसी की वजह से यहां सत्ताधारी दल को
नुकसान होने की संभावना दिखई दे रही है।