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Independence day essay : भारत का स्वतंत्रता दिवस, पढ़ें निबंध

तुलसीदास जी ने कहा है पराधीन सपनेहुं सुखनाहीं अर्थात्‌ पराधीनता में तो स्वप्न में भी सुख नहीं है। पराधीनता तो किसी के लिए भी अभिशाप है। जब हमारा देश परतंत्र था उस समय विश्व में न हमारा राष्ट्रीय ध्वज था, न हमारा कोई संविधान था।

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