अंग्रेजी, हिंदी, ब्रज और संस्कृत भाषा पर भी उनकी बहुत अच्छी पकड थी। हालांकि दक्षिण भारतीय भाषाओं, तमिल और तेलुगू का भी उन्हें अच्छा ज्ञान था। वे केवल 39 साल की उम्र में ही चल गए। लेकिन तब तक उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज सहित आलोचना, संस्कृति और सभ्यता जैसे विषयों पर डेढ़ सौ से ज्यादा किताबें लिखीं।