बचपन के दिनों को याद करते ही खेल-खिलौनों की याद आ जाती है। जब हम सुंदर-सुंदर गुड्डे गुड़ियाें को सजाकर अपना मन बहलाते थे। इन गुड़ियों की बनावट किसी सुंदर लड़की या महिला को फ्रेम में रखकर इस तरह की जाती थी, ताकि एक भी बाल इधर से उधर न हों। वक्त बीता, इन गुड़ियों की जगह महंगी बार्बी डॉल ने ले ली। एक से बढ़कर एक डॉल मार्केट में आ गईं और हमारे बचपन के दिनों वाली गुड़िया बस यादों में रह गई। अब �