It Was Only 6 Months After I Joined The Army That The War Of Kargil Broke Out, The Last Time Was Found At The Railway Station For Just A Few Moments.
कैप्टन विजयंत की कहानी उनके पिता की जुबानी:आखिरी बार चंद लम्हों के लिए विजयंत से स्टेशन पर मिला था; वे जहां शहीद हुए वह जगह मेरा तीर्थ, हर साल वहां जाता हूं
नई दिल्ली5 घंटे पहलेलेखक: इंद्रभूषण मिश्र
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मैं आर्मी ऑफिसर रहा, मेरे पिता और दादा भी आर्मी में रहे। लेकिन मुझे पहचान मेरे बेटे से मिली, उसकी शहादत से मिली। आज कही�