पूनिया ने पिछले साल दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचार में पार्टी प्रत्याशियों की हार को निराशाजनक बताया है। माना कि उस वक्त राजनीति कमजोर होकर रह गई थी। पूनिया ने छात्र जीवन से लेकर प्रदेशाध्यक्ष पद तक के संघर्ष उपलब्धियों को शब्दों में पिरोने की कोशिश की।