ढांडा ने कहा कि आमतौर पर सीमित साधनों, अत्यधिक फीस व बैंकों के शिक्षा ऋण पर ब्याज के भार के कारण वह उच्च शिक्षा (जैसे व्यावसायिक/तकनीकी डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर व चिकित्सा संबंधी इत्यादि) प्राप्त करने से वंचित रह जाती हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षा ऋण के भार को कम करने के उद्देश्य से इस योजना के तहत शिक्षा ऋण पर 5% ब्याज दर पर सब्सिडी प्रदान की जाती है।