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इंजन नंबर-28703 के सहारे छावनी रेलवे स्टेशन से बांग्लादेश के लिए स्पेशल पार्सल ट्रेन रविवार को दोपहर एक बजे की जगह 4.33 बजे रवाना हुई। ट्रेन संचालन की जिम्मेदारी रेलवे द्वारा सहारनपुर हेडक्वार्टर के लोको पायलट पंकज कर्णवाल और गार्ड देवेंद्र कुमार को सौंपी गई है। ट्रेन के 20 कोच में 486 टन धागा भेजा गया है, जो 2 दिन में 1780 किलोमीटर का सफर तय कर बांग्लादेश के बॉर्डर पर पहुंचेगा।
वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक विवेक शर्मा ने बताया कि मंडल के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। मंडल रेल प्रबंधक गुरिंदर मोहन सिंह के मार्गदर्शन में ही विभागीय अधिकारियों ने पंजाब व हिमाचल के व्यापारियों से सामान भेजने को मंत्रणा की और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। मंडल ने एमजीएच ग्रुप के सहयोग से एक विशेष पार्सल ट्रेन को देश की सीमाओं से परे बांग्लादेश के बेनापोल के लिए सूती धागे के साथ रवाना किया। 20 वीपीयू वाली इस ट्रेन को वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक विवेक शर्मा, डॉ. रितिका वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक-1, डॉ. कनिष्का, मंडल वाणिज्य प्रबंधक-2, व मंडल के अन्य वरिष्ठ कर्मचारियों और एमजीएच इंडिया के निदेशक और सीईओ हिमांशु पंत की उपस्थिति में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। हिमांशु पंत ने बताया कि पहले पंजाब और हरियाणा क्षेत्र सहित आसपास के व्यापारी वस्तुओं को सड़क मार्ग से कम मात्रा में बांग्लादेश तक पहुंचाते रहे हैं, लेकिन रेलवे ने उनकी इस परेशानी का समाधान कर दिया है। आगामी दिनों में काफी सामान इन्हीं पार्सल ट्रेनों के माध्यम से बांग्लादेश भेजा जाएगा।
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पूरी कार्रवाई में लगे 10 घंटे
रविवार को कंपनी की तरफ से 20 सुपरवाइजर को सामान लोड करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सुबह लगभग 6.30 बजे रेलवे यार्ड पहुंचे 12 टायर ट्रकों से धागा को पार्सल यान में लोड किया गया। कोच सील करने और अन्य कागजी कार्रवाई को पूरा करने में लगभग 10 घंटे का समय लग गया।
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प्रति टन लागत सिर्फ 5491 रुपये
प्रत्येक वीपीयू में 23 टन के 430 नग भरे हैं। स्पेशल पार्सल ट्रेन से ले जाने के लिए प्रति टन किराया 5,491 रुपये लिया गया है, जो कि सड़क परिवहन की तुलना में बहुत सस्ता और किफायती है। यह उत्तर भारत के धागा उद्योग को पूरा करने वाले उत्तर रेलवे से अपनी तरह का पहला यातायात होगा और इससे रेलवे को 25 लाख 69 हजार 630 रुपये का अतिरिक्त राजस्व अर्जित हुआ।
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घग्गर टर्मिनल पर मिलेगी सुविधा
अधिकांश फैक्ट्रियां पंजाब व हिमाचल में हैं, इसलिए लोड भेजने के लिए घग्गर पर भी टर्मिनल बनाया गया है ताकि बिना किसी परेशानी के सामान घग्गर टर्मिनल तक पहुंच सके। स्पेशल पार्सल ट्रेन से धागा भेजने वाली कंपनियों में आरती इंटरनेशनल, सीडर टेक्सटाइल्स, गर्ग एक्रेलिक, नाहर स्पिनिंग और वर्धमान टेक्सटाइल्स शामिल हैं।
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सालाना मिलेंगे 12 करोड़ रुपये
रविवार को पहली शुरुआत हुई है। एक रैक से लगभग 25 लाख रुपये के राजस्व की प्राप्ति होगी। स्पेशल पार्सल ट्रेनों के संचालन को लेकर एक साल का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इससे लगभग 12 करोड़ रुपये मंडल को राजस्व के रूप में प्राप्त होंगे। आगामी दिनों में कुछ अन्य स्पेशल पार्सल ट्रेनों को भी चलाया जाएगा।
विवेक शर्मा, वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक फ्रेट
इंजन नंबर-28703 के सहारे छावनी रेलवे स्टेशन से बांग्लादेश के लिए स्पेशल पार्सल ट्रेन रविवार को दोपहर एक बजे की जगह 4.33 बजे रवाना हुई। ट्रेन संचालन की जिम्मेदारी रेलवे द्वारा सहारनपुर हेडक्वार्टर के लोको पायलट पंकज कर्णवाल और गार्ड देवेंद्र कुमार को सौंपी गई है। ट्रेन के 20 कोच में 486 टन धागा भेजा गया है, जो 2 दिन में 1780 किलोमीटर का सफर तय कर बांग्लादेश के बॉर्डर पर पहुंचेगा।
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वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक विवेक शर्मा ने बताया कि मंडल के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। मंडल रेल प्रबंधक गुरिंदर मोहन सिंह के मार्गदर्शन में ही विभागीय अधिकारियों ने पंजाब व हिमाचल के व्यापारियों से सामान भेजने को मंत्रणा की और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। मंडल ने एमजीएच ग्रुप के सहयोग से एक विशेष पार्सल ट्रेन को देश की सीमाओं से परे बांग्लादेश के बेनापोल के लिए सूती धागे के साथ रवाना किया। 20 वीपीयू वाली इस ट्रेन को वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक विवेक शर्मा, डॉ. रितिका वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक-1, डॉ. कनिष्का, मंडल वाणिज्य प्रबंधक-2, व मंडल के अन्य वरिष्ठ कर्मचारियों और एमजीएच इंडिया के निदेशक और सीईओ हिमांशु पंत की उपस्थिति में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। हिमांशु पंत ने बताया कि पहले पंजाब और हरियाणा क्षेत्र सहित आसपास के व्यापारी वस्तुओं को सड़क मार्ग से कम मात्रा में बांग्लादेश तक पहुंचाते रहे हैं, लेकिन रेलवे ने उनकी इस परेशानी का समाधान कर दिया है। आगामी दिनों में काफी सामान इन्हीं पार्सल ट्रेनों के माध्यम से बांग्लादेश भेजा जाएगा।
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पूरी कार्रवाई में लगे 10 घंटे
रविवार को कंपनी की तरफ से 20 सुपरवाइजर को सामान लोड करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। सुबह लगभग 6.30 बजे रेलवे यार्ड पहुंचे 12 टायर ट्रकों से धागा को पार्सल यान में लोड किया गया। कोच सील करने और अन्य कागजी कार्रवाई को पूरा करने में लगभग 10 घंटे का समय लग गया।
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प्रति टन लागत सिर्फ 5491 रुपये
प्रत्येक वीपीयू में 23 टन के 430 नग भरे हैं। स्पेशल पार्सल ट्रेन से ले जाने के लिए प्रति टन किराया 5,491 रुपये लिया गया है, जो कि सड़क परिवहन की तुलना में बहुत सस्ता और किफायती है। यह उत्तर भारत के धागा उद्योग को पूरा करने वाले उत्तर रेलवे से अपनी तरह का पहला यातायात होगा और इससे रेलवे को 25 लाख 69 हजार 630 रुपये का अतिरिक्त राजस्व अर्जित हुआ।
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घग्गर टर्मिनल पर मिलेगी सुविधा
अधिकांश फैक्ट्रियां पंजाब व हिमाचल में हैं, इसलिए लोड भेजने के लिए घग्गर पर भी टर्मिनल बनाया गया है ताकि बिना किसी परेशानी के सामान घग्गर टर्मिनल तक पहुंच सके। स्पेशल पार्सल ट्रेन से धागा भेजने वाली कंपनियों में आरती इंटरनेशनल, सीडर टेक्सटाइल्स, गर्ग एक्रेलिक, नाहर स्पिनिंग और वर्धमान टेक्सटाइल्स शामिल हैं।
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सालाना मिलेंगे 12 करोड़ रुपये
रविवार को पहली शुरुआत हुई है। एक रैक से लगभग 25 लाख रुपये के राजस्व की प्राप्ति होगी। स्पेशल पार्सल ट्रेनों के संचालन को लेकर एक साल का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इससे लगभग 12 करोड़ रुपये मंडल को राजस्व के रूप में प्राप्त होंगे। आगामी दिनों में कुछ अन्य स्पेशल पार्सल ट्रेनों को भी चलाया जाएगा।
विवेक शर्मा, वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक फ्रेट
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