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लखीमपुर खीरी के सेमरा घाट गांव में शनिवार को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ब्लाक प्रमुख चुनाव के नामांकन के दौरान मारपीट की पीड़िता रितु सिंह से बातचीत करते हुए। -प्रेट्र
लखनऊ, 17 जुलाई (एजेंसी)
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भविष्य में चुनाव लड़ने या उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनने को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई। लखीमपुर खीरी में शनिवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान प्रियंका से जब पूछा गया कि क्या वह भविष्य में चुनाव लड़ेंगी, तो उन्होंने कहा, 'हम देखेंगे।' यह पूछे जाने पर कि क्या वह उत्तर प्रदेश में पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा होंगी, कांग्रेस महासचिव ने कहा, 'क्या मैं आपको अभी सब कुछ बता दूं।'
पार्टी की रणनीति क्या होगी, इस पर उन्होंने कहा, 'हमारी रणनीति हमेशा रही है कि जहां कहीं भी समस्या या तकलीफ है, तो हम वहां जाएंगे और उन (लोगों) के साथ खड़े होंगे।' उन्होंने कहा, 'पिछले डेढ़ वर्षों में हमारी ही पार्टी रही है, जिसने सबसे मजबूत आवाज उठाई है। हम सड़कों पर उतरे हैं और हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी दी है। बाकी पार्टियों ने न तो कुछ बोला है और न ही वे (सड़कों पर) बाहर आए हैं।' प्रियंका ने मांग की कि लखीमपुर खीरी में हाल में हुए पंचायत चुनाव रद्द कर फिर से चुनाव कराये जाएं। उन्होंने उन दो महिलाओं से भी मुलाकात की, जिनके साथ भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कथित रूप से दुर्व्यवहार किया था।
राज्य में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अपने लखनऊ दौरे के दूसरे दिन प्रियंका लखीमपुर खीरी जिले के पथगावा प्रखंड के सेमरा गांव पहुंचीं।
हम आपके लिए लड़ेंगे
9 जुलाई को सपा के प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनकी पार्टी की उम्मीदवार रितु सिंह और उनकी प्रस्तावक अनीता यादव के साथ दुर्व्यवहार किया। प्रियंका ने शनिवार को रितु सिंह और अनीता यादव से भी मुलाकात की। प्रियंका ने कहा, ‘मैं उन्हें यह बताना चाहती हूं कि देश और इस प्रदेश की एक-एक महिला उनके साथ खड़ी है। एक दिन आप (दोनों महिलाएं) नामांकन पत्र दाखिल करेंगी और चुनाव में विजयी होंगी। आपको लड़ना होगा, और हम सब आपके लिए लड़ेंगे।' बाद में प्रियंका ने ट्वीट कर कहा, 'लोकतंत्र का चीरहरण करने वाले भाजपा के ‘गुंडे' कान खोलकर सुन लें, महिलाएं प्रधान, ब्लॉक प्रमुख, विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री बनेंगी और उन पर अत्याचार करने वालों को शह देने वाली सरकार को शिकस्त देंगी।
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5 घंटे पहले
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।
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