तिरंगे में सम्मिलित प्रत्येक रंग का अपना महत्व है, वैसे ही तिरंगा डिजाइन करने वाले व्यक्ति के 'नामों' के कई अर्थ और महत्व हैं। यहां 'नामों' इसलिए लिखा गया है क्योंकि इसे डिजाइन करने वाला व्यक्ति देश में ही अलग-अलग नाम से लोकप्रिय हुआ। खेती-किसानी (कृषि) से लेकर, भाषा तथा प्लेग जैसी बीमारी तक के लिए काम किया। हम बात कर रहे है पिंगली वेंकैया की, जिन्होंने तिरंगा डिजाइन किया था। वर्ष 1963 में आज ही के दिन पिंगली वेंकैया का देहांत हो गया था। अंतिम वक़्त में वो एक झोपड़ी में रहते थे। उनकी जिंदगी का आखिरी वक़्त बेहद निर्धनता में गुजरा। पहली बार वर्ष 2009 में उनके नाम पर डाक टिकट जारी किया गया।
2 अगस्त 1876 में आंध्र प्रदेश के कृष्णा शहर के पेदाकल्लीपतल्ली गांव में जन्मे पिंगली वैंकेया ने सरकारी स्कूल से अध्ययन किया। वह जिस इलाके में बड़े हुए वह टेक्सटाइल्स तथा मछली पालन के लिए जाना जाता था। खेती-किसानी भी बड़े स्तर पर होती थी। उनके परिवार वाले कृषि पर ही आधारित थे। ऐसे में पिंगली को भी कपास की खेती के विशेषज्ञ थे। ।
विद्यालय में पिंगली को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बारे में खबर हुई। पिंगली की जिंदगी में इसका प्रभाव पड़ा तथा 19 वर्ष की आयु में मुंबई जाकर उन्होंने मिलिट्री सर्विस जॉइन की। यहां उनकी ट्रेनिंग हुई और इसके पश्चात् उन्हें अफ्रीका भेज दिया गया। उन दिनों अफ्रीका में बोअर युद्ध (किसान युद्ध) चरम पर था। सुभाषचंद्र बोस से प्रभावित होकर मिलिट्री जॉइन करने वाले पिंगली की दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी से भेंट हुई। जब गांधी भारत लौटे, तो पिंगली भी देश लौट आए। यहां वो अंग्रेजी हुकुमत से लड़ रही गुप्त क्रांतिकारी इकाई का भाग बने।