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पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए। -मानस रंजन भुई
नयी दिल्ली, 6 जुलाई (एजेंसी)
कांग्रेस की पंजाब इकाई में कलह के जल्द खत्म होने की संभावनाओं को मंगलवार को उस वक्त बल मिला, जब मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह ने मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और कहा कि आलाकमान जो भी फैसला करेगा, वह सबको स्वीकार होगा। सोनिया के आवास 10 जनपथ पर उनके साथ करीब डेढ़ घंटे की मुलाकात के बाद सिंह ने संवाददाताओं से कहा, ‘सरकार या कांग्रेस को लेकर जो फैसला कांग्रेस अध्यक्ष करेंगी, हम उसे स्वीकार करेंगे। हम निर्णयों को पंजाब में लागू करेंगे...पंजाब में हम चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार हैं।’ इस बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी शामिल थे। माना जा रहा है कि आलाकमान के साथ अमरेंद्र की इस मुलाकात के दौरान कांग्रेस की पंजाब इकाई में कलह को दूर करने के फॉर्मूले पर चर्चा हुई है। प्रदेश कांग्रेस में यह संकट आरंभ होने के बाद अमरेंद्र सिंह की कांग्रेस आलाकमान के साथ यह पहली मुलाकात है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी आलाकमान मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू दोनों के लिए सम्मानजनक स्थिति वाले फॉर्मूले से पंजाब में पार्टी की कलह को दूर करने और कुछ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी को एकजुट करने की कोशिश कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि इस बैठक के बाद अब जल्द ही निर्णयों के बारे में घोषणा की जा सकती है। सूत्रों की मानें तो सिद्धू को चुनाव प्रचार समिति के प्रमुख या संगठन या सरकार में कोई दूसरी महत्वपूर्ण भूमिका दी जा सकती है, हालांकि चर्चा यह भी है कि अमरेंद्र सिंह अपने विरोधी नेता को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपे जाने के पक्ष में नहीं हैं। सिद्धू की भविष्य की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर अमरेंद्र सिंह ने कहा, ‘मैं सिद्धू साहब के बारे में नहीं जानता। बैठक में सरकार के मुद्दों पर चर्चा हुई। राजनीतिक मुद्दों पर भी चर्चा की गई।’ कांग्रेस की पंजाब इकाई में चल रही रस्साकशी से अवगत एक सूत्र ने बताया, ‘सहमति का फार्मूला जल्द ही सामने आ सकता है। अगर सिद्धू को सरकार में कोई भूमिका दी जाती है या फिर चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख बनाया जाता है तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का पद किसी हिंदू नेता को दिया जा सकता है।’ सूत्रों का कहना है कि अगर अमरेंद्र सिंह की इच्छा के मुताबिक उनके करीबी किसी हिंदू नेता को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान सौंपी जाती है तो इस जिम्मेदारी के लिए दावेदार नेताओं में सांसद मनीष तिवारी और प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री विजय इंदर सिंगला सबसे प्रमुख हैं। दूसरी तरफ, सिद्धू और उनका समर्थक गुट भी आलाकमान से महत्वपूर्ण जिम्मेदारी की उम्मीद कर रहा है।
सिद्धू ने गत बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के साथ लंबी बैठक की थी। सूत्रों ने बताया कि इन बैठकों में कांग्रेस आलाकमान की ओर से सिद्धू को पार्टी या संगठन में सम्मानजनक स्थान की पेशकश के साथ मनाने का प्रयास किया गया।
कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी की पंजाब इकाई के संकट को दूर करने के लिए हाल ही में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस समिति ने अमरेंद्र सिंह और प्रदेश कांग्रेस के 100 से अधिक विधायकों, सांसदों और नेताओं के साथ चर्चा की। कांग्रेस महासचिव और प्रदेश प्रभारी हरीश रावत ने पिछले दिनों कहा था कि पंजाब में सभी मुद्दों को आगामी 8-10 जुलाई तक हल कर लिया जाएगा।
कुछ दिनों पहले आलाकमान की ओर से समिति के माध्यम से मुख्यमंत्री से कहा गया था कि वह उन 18 मुद्दों को लेकर रूपरेखा तैयार करें, जिन पर प्रदेश सरकार को कदम उठाना है। इनमें भूमि और परिवहन माफिया तथा गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई का मुद्दा शामिल है। हाल के कुछ सप्ताह में सिद्धू और पंजाब कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं ने मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह के खिलाफ बिजली सहित विभिन्न मुद्दों पर मोर्चा खोल रखा है। सिद्धू का कहना है कि गुरू ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए भी कारगर कदम नहीं उठाए गए।
पीपीए रद्द होने तक मुफ्त बिजली वादे का कोई मतलब नहीं : सिद्धू
चंडीगढ़ (एजेंसी) : कांग्रेस विधायक नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार को एक कानून के जरिए पंजाब में बिजली खरीद समझौते (पीपीए) को रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि मुफ्त बिजली के ‘खोखले वादों’ का कोई मतलब नहीं है, जब तक कि शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी की पूर्ववर्ती सरकार के दौरान हस्ताक्षरित इन समझौतों को रद्द नहीं किया जाता। क्रिकेटर से नेता बने सिद्धू ने सिलसिलेवार ट्वीट में यह भी कहा कि अगर पीपीए के तहत निजी बिजली संयंत्रों को दिए जा रहे तय शुल्क का भुगतान नहीं किया गया, तो बिजली की लागत सस्ती हो सकती है। पंजाब में बिजली संकट के बीच सिद्धू पिछले कुछ दिनों से खासकर पीपीए का मुद्दा उठा रहे हैं। सिद्धू ने एक ट्वीट में कहा, ‘मुफ्त बिजली के खोखले वादों का कोई मतलब नहीं है, जब तक कि ‘पंजाब विधानसभा में नए कानून’ के माध्यम से पीपीए को रद्द नहीं किया जाता है...जब तक पीपीए के दोषपूर्ण खंड पंजाब के लिए बाध्यकारी हैं, 300 यूनिट मुफ्त बिजली केवल एक कल्पना है।’ आम आदमी पार्टी ने अगले साल सत्ता में आने पर 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का वादा किया है। सिद्धू ने चार जुलाई को राज्य में उपभोक्ताओं को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली और चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराने की भी पैरवी की थी।
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22 घंटे पहले
22 घंटे पहले
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।
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