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nasa says asteroid 2008 go20 twice the size of big ben to enter earth orbit
Asteroid News: धरती की ओर तूफानी रफ्तार से आ रहा विशाल ऐस्‍टरॉइड, NASA की पैनी नजर
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शैलेश शुक्ला | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 19 Jul 2021, 10:26:00 AM
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NASA Asteroid Warning धरती की कक्षा की ओर एक और विशाल ऐस्‍टरॉइड आ रहा है। नासा के मुताबिक ऐस्‍टरॉइड 2008 GO20 करीब 8 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती की कक्षा के पास से गुजरेगा।
 
हाइलाइट्स
नासा ने कहा है कि एक‍ विशाल ऐस्‍टरॉइड तूफानी रफ्तार से धरती की कक्षा ओर आ रहा है
यह ऐस्‍टरॉइड 220 मीटर चौड़ा है और 8 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती के पास से गुजरेगा
बताया जा रहा है कि 25 जुलाई को यह विशाल ऐस्‍टरॉइड धरती की कक्षा के नजदीक से गुजरेगा
वॉशिंगटन
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा है कि एक‍ विशाल ऐस्‍टरॉइड तूफानी रफ्तार से धरती की कक्षा ओर आ रहा है। यह ऐस्‍टरॉइड 220 मीटर चौड़ा है और 8 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती के पास से गुजरेगा। इस ऐस्‍टरॉइड का नाम '2008 GO20' है। बताया जा रहा है कि आगामी 25 जुलाई को यह विशाल ऐस्‍टरॉइड धरती की कक्षा के पास से गुजरेगा।
डेली स्‍टार की रिपोर्ट के मुताबिक इस ऐस्‍टरॉइड के धरती से टकराने की आशंका 'बहुत ही कम' है। नासा ने इस ऐस्‍टरॉइड पर अपनी पैनी नजर बनाई हुई है। यह आकार में लंदन के बहुत चर्चित बिग बेन से आकार में दोगुना है। भारतीय समयानुसार 25 जुलाई को रात को करीब दो बजे गुजरेगा। जिस कक्षा से यह ऐस्‍टरॉइड गुजरेगा, उसे अपोलो कहा जाता है।
22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की आशंका
नासा ने इसे खतरनाक ऐस्‍टरॉइड की श्रेणी में रखा है। नासा इन दिनों दो हजार ऐस्‍टरॉइड पर नजर रखे हुए है जो धरती के लिए खतरा बन सकते हैं। अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी आशंका है।
क्या होते हैं Asteroids?
ऐस्टरॉइड्स वे चट्टानें होती हैं जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। हमारे सोलर सिस्टम में ज्यादातर ऐस्टरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति यानी मार्स और जूपिटर की कक्षा में ऐस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूरज का चक्कर काटते हैं। करीब 4.5 अरब साल पहले जब हमारा सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी ऐस्टरॉइड्स में तब्दील हो गए। यही वजह है कि इनका आकार भी ग्रहों की तरह गोल नहीं होता। कोई भी दो ऐस्टरॉइड एक जैसे नहीं होते हैं।
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