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मुंबई: कोरोना के इलाज में काम आने वाले इंजेक्शन रेमडेसिविर की कालाबाजारी अब तक रुक नहीं पाई है। हाल ही में इसकी और कुछ अन्य दवाओं की कालाबाजारी के आरोप में नागपुर के एक वार्डबॉय को कोर्ट ने 5 साल के सश्रम कारावास के साथ आर्थिक जुर्माने की सजा सुनाई है। जी हाँ, आपको हम यह भी बता दें कि इससे पहले बीते 23 जुलाई को नागपुर में ही एक और वार्डबॉय को रेमडेसिविर कालाबाजारी के ही मामले में तीन साल की सजा सुनाई जा चुकी है। फिलहाल जिस वार्डबॉय के बारे में हम बात कर रहे हैं उस वार्डबॉय का नाम शेख आरिफ शेख रफीक (22 वर्ष) है जो नागपुर के होप हास्पिटल में काम करता था।
इसी साल कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 23 अप्रैल को जब उसके बैग की तलाशी ली गई तो बैग से दो रेमडेसिविर, चार पेंटाप्राजोल, एवं एक-एक मेरोपेनीम, पेप्रोसेलीन एवं सुसीनेक्स इंजेक्शन बरामद हुए। खबरों के अनुसार यह सारे इंजेक्शन उसने होप हास्पिटल की ही फार्मेसी से चुराए थे, और जरूरतमंद मरीजों को इनकी कालाबाजारी करना चाहता था। मिली जानकारी के तहत उसे 24 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में अभियोजन पक्ष की तरफ से शेख आरिफ के विरुद्ध 13 गवाह पेश किए गए थे और अब अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी.बी.घुगे ने उसे कई अलग-अलग धाराओं के तहत कुल पांच वर्ष के सश्रम कारावास एवं कुछ आर्थिक जुर्माने की सजा सुनाई है।
इस मामले में मिली जानकारी के तहत आर्थिक जुर्माना न भर पाने की स्थिति में उसे एक साल और जेल में ही गुजारना पड़ेगा। करीब 10 ही दिन के अंदर रेमडेसिविर की कालाबाजारी के मामले में नागपुर में ही दूसरे वार्डब्वाय को सजा सुनाई गई है। जी दरअसल इससे पहले 23 जुलाई को एक अन्य वार्डबॉय महेंद्र रतनलाल रंगारी को अदालत ने तीन वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी।

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