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BSP Brahmin Politics: यूपी के रण में खुशी दुबे की रिहाई का बीएसपी ने क्यों चला दांव, मायावती को इसमें क्या दिख रहा मौका?
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नदीम | Edited byराम शंकर | नवभारत टाइम्स | Updated: Jul 26, 2021, 8:55 AM
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UP Politics: सियासी पंडितों का मानना है कि राजनीति में प्रतीकात्मक बातों का बहुत महत्व होता। ऐसे में खुशी दुबे पर बीएसपी के दांव से यूपी की सियासी तस्वीर बदल सकती है।
ब्राह्मणों के 16 पर्सेंट वोटों को साधने की तैयारी में मायावती
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लखनऊ/नई दिल्ली
यूपी में अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर वहां ब्राह्मण वोट के लिए राजनीतिक दलों के बीच घमासान चल रहा है। बीएसपी चीफ मायावती 2007 दोहराना चाहती हैं। 2007 के चुनाव में बीएसपी बहुत बड़े बहुमत के साथ सत्ता में आई थी और इस जीत की वजह यह मानी गई थी कि ब्राह्मणों ने दलितों के साथ मिलकर बीएसपी को वोट किया।
सतीश मिश्र इस 'सोशल इंजिनियरिंग' के हीरो माने गए थे। करीब 10 साल से यूपी में सत्ता से बाहर चल रही बीएसपी एक बार फिर 'ब्राह्मण कार्ड' खेल रही है। सभी मंडल मुख्यालयों पर ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित करने का फैसला किया गया है, शुरुआत अयोध्या से की गई है। लेकिन इन सबके बीच बीएसपी ने जो एक और दांव चला है और जिसको लेकर सबसे ज्यादा चर्चा है, वह यह है कि खुशी दुबे को जेल से बाहर लाने के लिए सतीश मिश्र उसका केस लड़ेगे।
कौन हैं खुशी दुबे?
एक साल पहले यूपी में बिकरू कांड हुआ था। गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने उसके गांव बिकरू पहुंची पुलिस को विकास दुबे ने अपने सहयोगियों की मदद से घेरकर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी थी। मौके पर ही आठ पुलिस कर्मी मारे गए थे और बाकी को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा था।
अगले रोज पुलिस ने जवाबी कार्रवाई शुरू की, उसमें विकास दुबे के गैंग के भी कई लोग एनकाउंटर में मारे गए थे, इनमें विकास दुबे का शूटर अमर दुबे भी शामिल था। खुशी दुबे अमर दुबे की पत्नी है। बिकरू कांड से डेढ़ हफ्ते पहले ही उसकी अमर दुबे से शादी हुई थी। बाद में पुलिस ने खुशी दुबे के खिलाफ भी गम्भीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करते हुए उसे गिरफ्तार कर लिया था।
फाइल फोटो: अमर दुबे के साथ खुशी
खुशी दुबे करीब एक साल से जेल में है। उसके वकीलों की ओर से उसे जमानत दिलाने की कई बार कोशिश हुई, लेकिन उसके खिलाफ इतने संगीन आरोप हैं कि उसे जमानत नहीं मिल पा रही है। कोरोना की दूसरी लहर में उसकी तबीयत खराब हो गई थी और माना जा रहा था कि शायद वह बच भी न पाए लेकिन किसी तरह वह बच गई। खराब स्वास्थ्य के आधार पर भी उसने जमानत की याचिका डाली लेकिन वह भी खारिज हो गई।
खुशी दुबे से सहानुभूति क्यों?
बिकरू कांड ही वह घटनाक्रम है, जिसके जरिये यूपी में यह धारणा बनाने की कोशिश हुई कि राज्य में ब्राह्मणों को नियोजित रूप से निशाना बनाया जा रहा है। बिकरू कांड के अगले रोज पुलिस की फिल्मी स्टाइल में हुई कार्रवाई में विकास दुबे गैंग के जो लोग भी मारे गए संयोग से वे सभी ब्राह्मण ही थे। विकास दुबे के सरेंडर करने के बाद मध्य प्रदेश से यूपी लाने के दौरान 'गाड़ी पलटने', उसके भागने की कोशिश और फिर पुलिस फायरिंग में उसके मारे जाने की जो कहानी रही, उसकी वजह से भी ब्राह्मण समाज की नाराजगी की बात कही जाती है।
खुशी दुबे को लेकर सहानुभूति की वजह यह कही जाती है कि उसकी शादी के महज डेढ़ हफ्ते के अंदर ही न केवल उसका पति मार दिया गया, बल्कि उसको भी जेल में डाल दिया गया? यह सवाल भी उठा कि जिस लड़की की शादी महज डेढ़ हफ्ते पहले हुई हो, वह अपने पति के गैंग की सक्रिय सदस्य कैसे हो सकती है, उसने तो अभी पति के परिवार के सभी लोगों को सही से पहचाना भी नहीं था।
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उसकी रिहाई की मांग बीजेपी के अंदर से भी उठ चुकी है। बीजेपी के विधान परिषद सदस्य उमेश द्विवेदी ने कोरोना काल में जब खुशी दुबे की तबीयत बिगड़ी थी तो उसकी रिहाई की मांग को लेकर पत्र भी लिखा था।
बीएसपी को क्या फायदा हो सकता है?
दो बातों को समझना बहुत जरूरी है। एक यह कि यूपी में कास्ट फैक्टर बहुत अहम रोल निभाता है और दूसरा यह कि राजनीति में प्रतीकात्मक बातों का बहुत महत्व होता। इसमें कोई शक नहीं कि यूपी पॉलिटिक्स में ब्राह्मण बहुत महती भूमिका रखते हैं और खुशी दुबे को वहां किसी अपराधी की पत्नी की तरह नहीं देखा जा रहा है बल्कि उसे 'मासूम ब्राह्मण लड़की' की तरह देखा जा रहा है, जिसे अपनी जिंदगी जीने का मौका ही नहीं मिला।
उसके पति की पृष्ठभूमि के चलते जब उसके साये के साथ भी लोग खड़े नहीं होना चाहते हैं तो बीएसपी का खुलकर उसकी मदद में आना और यह कहना कि उसका केस सतीश मिश्र लड़ेंगे, वोटों के नजरिये से मायावती के लिए फायदेमंद हो सकता है।
बातचीत में लोग खुलकर कह रहे हैं कि इतने सारे नेताओं में मायावती ने ऐसा कहने और करने की हिम्मत तो दिखाई। देखना होगा कि आने वाले समय में मायावती इसके जरिए कितना फायदा उठा पाती हैं।
फाइल फोटो: मायावती और खुशी दुबेNavbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप
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