indian government going to lose billions rupees of assets in france know the reason
जानिए क्यों फ्रांस में अपनी अरबों की संपत्ति खोने वाली है भारत सरकार
Dil Prakash | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: 09 Jul 2021, 10:07:00 AM
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फ्रांस के एक कोर्ट ने केयर्न एनर्जी (Cairn Energy) को पेरिस स्थित भारत सरकार (Government of India) की संपत्ती जब्त करने की इजाजत दे दी है। इस फैसले से वहां स्थित भारत सरकार की 20 संपत्ती प्रभावित होंगी। इनकी कीमत 2 करोड़ यूरो यानी 177 करोड़ रुपये से अधिक है।
आर्बिटेशन कोर्ट ने केयर्न एनर्जी के पक्ष में फैसला दिया था।
हाइलाइट्स:
फ्रांस के कोर्ट ने केयर्न एनर्जी को भारत सरकार की संपत्तियां जब्त करने की इजाजत दी
इससे सरकार की 20 संपत्तियां प्रभावित होंगी जिनकी कीमत 177 करोड़ रुपये से अधिक है
Arbitration court ने केयर्न को 1.7 अरब डॉलर का हर्जाना वसूलने का अधिकार दिया था
नई दिल्ली
ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी (Cairn Energy) के साथ टैक्स विवाद (Tax dispute) में भारत को झटका लगा है। फ्रांस के एक कोर्ट ने केयर्न एनर्जी के पक्ष में फैसला दिया है। उसने केयर्न को पेरिस स्थित भारत सरकार की संपत्ती जब्त करने की इजाजत दे दी है जिनमें ज्यादातर फ्लैट शामिल हैं। फ्रांसीसी अदालत के इस फैसले से वहां स्थित भारत सरकार की 20 संपत्ती प्रभावित होंगी, जिनकी कीमत 2 करोड़ यूरो यानी 177 करोड़ रुपये से अधिक है। इसमें से कुछ संपत्ती पेरिस से सबसे महंगे इलाकों में हैं।
इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि यह इस संपत्ती का मालिकाना हक लेने की दिशा में शुरुआती कदम है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि इनकी बिक्री से होने वाली कमाई केयर्न (Cairn) को मिलेगी। कंपनी ने अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, सिंगापुर, मॉरीशस और कनाडा की अदालतों में भी भारत के खिलाफ इस तरह के केस कर रखे हैं। मध्यस्थता अदालत (Arbitration court) ने केयर्न को 1.7 अरब अमेरिकी डॉलर का हर्जाना वसूलने का अधिकार दिया था। इसकी वसूली के लिए कंपनी यह कदम उठा रही है।
आर्बिट्रेशन कोर्ट का फैसला
एक मध्यस्थता अदालत ने दिसंबर में भारत सरकार को आदेश दिया था कि वह केयर्न एनर्जी को 1.2 अरब डॉलर के साथ-साथ ब्याज और जुर्माना चुकाए। भारत सरकार ने इस आदेश को स्वीकार नहीं किया। उसने मध्यस्थता अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर की है। केयर्न एनर्जी (Cairn Energy) ने भारत सरकार की संपत्ति को जब्त कर देय राशि की वसूली के लिए विदेशों में कई न्यायालयों में अपील की थी। पांच देशों की अदालतों ने केयर्न के पक्ष में आए ट्रिब्यूनल के फैसले पर मुहर लगा दी थी। इनमें अमेरिका और ब्रिटेन का अदालतें भी शामिल थी।
भारत सरकार की सफाई
भारत सरकार का कहना है कि उसे इस बारे में फ्रांस की किसी भी अदालत से कोई नोटिस, ऑर्डर या कम्युनिकेशन नहीं मिला है। वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरकार इस बारे में तथ्यों की जांच की जा रही है। अगर इस तरह का कोई नोटिस मिलता है तो उस पर वकीलों से राय मशविरा करके भारत के हितों को ध्यान में रखते हुए उचित कानूनी कदम उठाया जाएगा।
सरकार ने 22 मार्च को एक अर्जी देकर द हेग कोर्ट ऑफ अपील के दिसंबर 2020 के आदेश को खारिज करने अनुरोध किया है। बयान के मुताबिक केयर्न एनर्जी के सीईओ और प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे के समाधान के लिए सरकार से संपर्क साधा था। इस पर रचनात्मक बातचीत हुई है और सरकार देश के कानून के तहत इस विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए खुलकर बातचीत करने को तैयार है।
क्या है मामला
केयर्न ब्रिटेन की कंपनी है। उसने 2007 में भारत में अपनी कंपनी को सूचीबद्ध कराने के लिए आईपीओ पेश किया था। इससे एक साल पहले उसने केयर्न इंडिया के साथ भारत में अपनी कई इकाइयों का विलय किया था। लेकिन इससे इनके मालिकाना हक में कोई बदलाव नहीं हुआ था। केयर्न ने इसके लिए फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) से इजाजत ली थी। भारत में टैक्स विभाग ने उसे कैपिटल गेंस टैक्स का नोटिस भेजा।
भारत में टैक्स डिपार्टमेंट ने 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक बकाये (Capital Gains Tax) के एवज में केयर्न इंडिया के 10 फीसदी शेयरों को अपने कब्जे में ले लिया। इस मामले की सुनवाई के बाद नीदरलैंड्स में हेग के आर्बिट्रेशन कोर्ट ने भारत सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया। उसने ब्याज सहित यह रकम केयर्न को चुकाने का निर्देश दिया।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन में एक्सपर्ट फ्रांस की लॉ फर्म Bredin Prat में पार्टनर Tim Portwood ने फाइनेंशियल टाइम्स से कहा कि भारत सरकार निश्चित रूप से अपने एसेट्स के ऊपर सॉवरेन इम्युनिटी (sovereign immunity) का दाव करेगी। इसकी वजह यह है कि इनका इस्तेमाल सॉवरेन परपज के लिए होता है। सॉवरेन इम्युनिटी का मतलब होता है कि सरकार के खिलाफ उसकी सहमति के बिना मुकदमा नहीं किया जा सकता है।
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