नयी दिल्ली, 6 जुलाई (एजेंसी)
उत्तर-पश्चिम भारत विशेषकर पंजाब और हरियाणा में भूजल चिंताजनक स्तर तक गिर गया है। एक नये अध्ययन में यह बात कही गई है। आईआईटी कानपुर द्वारा प्रकाशित शोध पत्र में उत्तर पश्चिम भारत के 4,000 से अधिक भूजल वाले कुओं के आंकड़ों का उपयोग किया गया है ताकि यह प्रदर्शित किया जा सके कि पंजाब और हरियाणा राज्यों में भूजल स्तर पिछले चार-पांच दशकों में खतरनाक स्तर तक गिर गया है।
भारत सिंचाई, घरेलू और औद्योगिक जरूरतों के लिए दुनियाभर में भूजल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है। अध्ययन में कहा गया है कि गंगा के मैदानी इलाकों के कई हिस्से फिलहाल भूजल के इसी तरह के अत्यधिक दोहन से पीड़ित हैं और यदि भूजल प्रबंधन के लिए उचित रणनीति तैयार की जाये तो स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर राजीव सिन्हा और उनके पीएचडी के छात्र सुनील कुमार जोशी के नेतृत्व में किये गये अध्ययन में बताया गया कि पंजाब और हरियाणा राज्य सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्र हैं। इसके अनुसार ऊपरी भूजल 1974 के दौरान जमीनी स्तर से 2 मीटर नीचे था जो 2010 में गिरकर लगभग 30 मीटर नीचे हो गया।
अध्ययन से पता चलता है कि हरियाणा में चावल की खेती का क्षेत्र 1966-67 के 1,92,000 हेक्टेयर से बढ़कर 2017-18 में 14,22,000 हेक्टेयर हो गया जबकि पंजाब में यह 1960-61 के 2,27,000 के मुकाबले 2017-18 में बढ़कर 30,64,000 हेक्टेयर तक पहुंच गया है। नतीजतन, मांग को पूरा करने के लिए भूजल अवशोषण बढ़ गया। इसके अलावा, भूजल स्तर में सबसे महत्वपूर्ण गिरावट घग्गर-हकरा पैलियो चैनल (कुरुक्षेत्र, पटियाला और फतेहाबाद जिले) और यमुना नदी घाटी (पानीपत और करनाल जिलों के कुछ हिस्सों) में दर्ज की गई है।
अध्ययन में कहा गया है, ‘उत्तर-मध्य पंजाब और हरियाणा के कई इलाकों में भूजल स्तर में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है, जिसके लिए भूजल स्तर में बदलाव की निगरानी बढ़ाने और अमूर्त दबाव के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है।’
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22 घंटे पहले
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दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।
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