ख़बर सुनें
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के उबरने के साथ भारत में 2021 के दौरान उपभोक्ता भावनाओं में सुधार हो रहा है और सोने की मांग सकारात्मक दिखाई दे रही है। रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर में धनतेरस के शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि आभूषणों की मांग औसत से कम थी, लेकिन इसमें पिछले साल की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून 2020) के निचले स्तर के मुकाबले काफी सुधार हुआ।
सुस्त बनी रहेगी वैश्विक आर्थिक वृद्धि
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि कुछ समय के लिए अपनी पूर्ण क्षमता के मुकाबले सुस्त बनी रहेगी, लेकिन पिछले कुछ समय से सोने की कीमतों में स्थिरता के चलते उपभोक्ताओं के लिए खरीद के अवसर बढ़ेंगे। डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट के मुताबिक चीन जैसे देशों में आर्थिक सुधार की संभावना है, जिसे 2020 की शुरुआत में भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था।
सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली संपत्तियों में से एक था सोना
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के प्रबंध निदेशक (भारत) सोमसुंदरम पीआर ने कहा कि, 'वर्ष 2020 अभूतपूर्व रूप से अनिश्चितता से भरा था। जाहिर तौर पर निवेशकों के लिए सोना सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली संपत्तियों में से एक था और उच्च जोखिम, कम ब्याज दरों और कीमतों में तेजी से इसे बल मिला।'
निम्न स्तर पर चली गई उपभोक्ता मांग
हालांकि, उन्होंने कहा कि सर्वकालिक उच्च स्तर और प्रमुख वैश्विक बाजारों में लॉकडाउन के चलते उपभोक्ता मांग अपने निम्न स्तर पर चली गई। सोमसुंदरम ने आगे कहा कि 2021 में आर्थिक सुधार के साथ ही भारत में सोने की कीमत और मांग दोनों के लिए अनुकूल माहौल होगा।
पिछले साल 25 फीसदी बढ़े दाम
भारत में सोने पर 12.5 फीसदी आयात शुल्क और तीन फीसदी जीएसटी लगता है। कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों और सरकारों द्वारा राजकोषीय उपायों ने पिछले साल सोने की कीमतों में 25 फीसदी से अधिक की वृद्धि की थी, जबकि चांदी लगभग 50 फीसदी बढ़ गई थी। सोने को मुद्रास्फीति और मुद्रा में आई गिरावट के खिलाफ बचाव के रूप में देखा जाता है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के उबरने के साथ भारत में 2021 के दौरान उपभोक्ता भावनाओं में सुधार हो रहा है और सोने की मांग सकारात्मक दिखाई दे रही है। रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर में धनतेरस के शुरुआती आंकड़े बताते हैं कि आभूषणों की मांग औसत से कम थी, लेकिन इसमें पिछले साल की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून 2020) के निचले स्तर के मुकाबले काफी सुधार हुआ।
विज्ञापन
सुस्त बनी रहेगी वैश्विक आर्थिक वृद्धि
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि कुछ समय के लिए अपनी पूर्ण क्षमता के मुकाबले सुस्त बनी रहेगी, लेकिन पिछले कुछ समय से सोने की कीमतों में स्थिरता के चलते उपभोक्ताओं के लिए खरीद के अवसर बढ़ेंगे। डब्ल्यूजीसी की रिपोर्ट के मुताबिक चीन जैसे देशों में आर्थिक सुधार की संभावना है, जिसे 2020 की शुरुआत में भारी नुकसान का सामना करना पड़ा था।
सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली संपत्तियों में से एक था सोना
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के प्रबंध निदेशक (भारत) सोमसुंदरम पीआर ने कहा कि, 'वर्ष 2020 अभूतपूर्व रूप से अनिश्चितता से भरा था। जाहिर तौर पर निवेशकों के लिए सोना सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली संपत्तियों में से एक था और उच्च जोखिम, कम ब्याज दरों और कीमतों में तेजी से इसे बल मिला।'
निम्न स्तर पर चली गई उपभोक्ता मांग
हालांकि, उन्होंने कहा कि सर्वकालिक उच्च स्तर और प्रमुख वैश्विक बाजारों में लॉकडाउन के चलते उपभोक्ता मांग अपने निम्न स्तर पर चली गई। सोमसुंदरम ने आगे कहा कि 2021 में आर्थिक सुधार के साथ ही भारत में सोने की कीमत और मांग दोनों के लिए अनुकूल माहौल होगा।
पिछले साल 25 फीसदी बढ़े दाम
भारत में सोने पर 12.5 फीसदी आयात शुल्क और तीन फीसदी जीएसटी लगता है। कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों और सरकारों द्वारा राजकोषीय उपायों ने पिछले साल सोने की कीमतों में 25 फीसदी से अधिक की वृद्धि की थी, जबकि चांदी लगभग 50 फीसदी बढ़ गई थी। सोने को मुद्रास्फीति और मुद्रा में आई गिरावट के खिलाफ बचाव के रूप में देखा जाता है।
आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है। खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें।
खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं?
हां