what is double marker test
मंदबुद्धि बच्चा पैदा करने से बचना चाहती हैं, तो प्रेग्नेंसी के पहले महीने में जरूर करवाएं ये टेस्ट
Parul Rohatagi | Navbharat Times | Updated: Aug 4, 2021, 10:37 AM
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प्रेगनेंट होने के बाद गर्भावस्था में संभावित जटिलताओं और शिशु में कोई विकार होने का पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट करवाए जाते हैं जिनमें से एक डबल मार्कर टेस्ट भी है। इस टेस्ट की मदद से बेबी में संभावित विकारों का जन्म से पहले ही पता लगा लिया जाता है।
मंदबुद्धि बच्चा पैदा करने से बचना चाहती हैं, तो प्रेग्नेंसी के पहले महीने में जरूर करवाएं ये टेस्ट
डबल मार्कर टेस्ट एक प्रीनेटल टेस्ट है जो एक स्क्रीनिंग टूल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इस टेस्ट से बच्चे में खासतौर पर डाउन सिंड्रोम जैसी क्रोमोसोमल एब्नॉर्मेलिटी का पहले ही पता लगाया जाता है।
डिलीवरी से पहले डबल मार्कर टेस्ट किया जाता है और इससे पता लगाया जाता है कि कहीं शिशु में किसी तरह का कोई विकार होने का तो खतरा नहीं है। यहां हम जानेंगे कि प्रेग्नेंसी में कब डबल मार्कर टेस्ट करवाया जाता है और इससे क्या फायदा होता है।
क्या है डबल मार्कर टेस्ट
प्रेग्नेंसी की पहली तिमाही में क्रोमोसाम में असामान्यता की जांच करने के लिए डबल मार्कर टेस्ट किया जाता है। इससे शिशु में नसों से संबंधित कोई बीमारी जैसे कि डाउन सिंड्रोम, एडवर्ड सिंड्रोम आदि का पता चलता है। आमतौर पर यह टेस्ट प्रेग्नेंसी के 10वें और 14वें हफ्ते में करवाया जाता है।
क्यों किया जाता है यह टेस्ट
जिन प्रेगनेंट महिलाओं में जोखिम रहता है, उनका पहली तिमाही में डबल मार्कर टेस्ट किया जाता है। 35 से अधिक उम्र में मां बनने पर, पहले बच्चे में कोई क्रोमोसोमल असामान्यता होने पर, फैमिली हिस्ट्री, आईवीएफ प्रेग्नेंसी, टाइप 1 डायबिटीज में इंसुलिन लेने वाली महिलाओं का डबल मार्कर टेस्ट किया जाता है।
डबल मार्कर टेस्ट के फायदे
अगर भ्रूण में कोई क्रोमोसोमल असामान्यता दिखती है और टेस्ट करवाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। इस टेस्ट का रिजल्ट ज्यादातर ठीक ही आता है।
अगर किसी तरह की कोई कॉम्प्लिकेशन दिखे तो आप गर्भपात करवा सकती हैं। इसके अलावा प्रीक्लैंप्सिया, प्लेसेंटा के हटने और फीटल ग्रोथ रिस्ट्रिक्शन जैसी कंडीशन पैदा करने वाली स्थितियों का पहले ही पता चल जाता है।
डबल मार्कर टेस्ट की कीमत
शहर और अस्पताल के हिसाब से डबल मार्कर टेस्ट की कीमत अलग होती है। लोकेशन, क्वालिटी और उपलब्धता के आधार पर इसकी कीमत 2,500 रुपए से शुरू हो सकती है।
हर प्रेग्नेंसी टेस्ट का अपना एक महत्व होता है। हालांकि, कोई भी टेस्ट करवाने से पहले आप डॉक्टर से उस टेस्ट के फायदे और नुकसान के बारे में पूछें।
अगर आपका रिजल्ट पॉजिटिव आता है, तो डॉक्टर से बात करें। इस टेस्ट से पता चलता है कि शिशु में कहीं कोई असामान्यता तो नहीं आ सकती है। इसे लेकर ज्यादा स्ट्रेस लेने की जरूरत नहीं है।
टेस्ट की नॉर्मल रेंज न हो तो
यदि एचसीजी लेवल नॉर्मल रेंज से ज्यादा है तो यह डाउन सिंड्रोम के लिए पॉजिटिव मार्कर है। वहीं अगर लो PAPP-A वैल्यू है तो आपको अभी और टेस्ट करवाने होंगे।
इस टेस्ट के बाद एम्निओसेंटेसिस और कोरिओनिक विलस सैंपलिंग करवाया जाता है।
आप टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद एक बार डॉक्टर से बात करें और जानें कि क्या समाधान हो सकता है। संभव हुआ तो किसी कॉम्प्लिकेशन से बचने के लिए डॉक्टर अबॉर्शन करवाने की सलाह भी दे सकते हैं।
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