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मुंबई में बुधवार को अपने घर पर दिलीप साहब के पार्थिव शरीर के पास बैठीं उनकी पत्नी सायरा बानो उनके माथे पर हाथ रखकर उन्हें निहारते हुए। -प्रेट्र
मुंबई, 7 जुलाई (एजेंसी)
लाजवाब अदाकारी से भारतीय सिनेमा में अमिट छाप छोड़ने वाले दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का लंबी बीमारी के बाद बुधवार सुबह मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। हिंदी फिल्म जगत में ‘ट्रेजडी किंग’ के नाम से मशहूर दिलीप कुमार 98 वर्ष के थे। वह पिछले मंगलवार से यहां हिंदुजा अस्पताल के आईसीयू में भर्ती थे। पत्नी सायरा बानो और अन्य परिजनों की मौजूदगी में शाम 4:45 बजे उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया। सांताक्रूज के जुहू कब्रिस्तान में उन्हें अंतिम विदाई दिए जाने के समय तोप से सलामी दी गयी। उनके सम्मान में पुलिस बैंड बजाया गया। कब्रिस्तान के अंदर 25-30 से अधिक लोगों को आने की अनुमति नहीं थी, लेकिन वहां मीडियाकर्मियों और दिलीप कुमार के चाहने वालों का तांता लग गया। इससे पहले दिलीप साहब की पार्थिव देह को उनके पाली हिल स्थित आवास पर तिरंगे में लपेटा गया। उनके कई दोस्तों और प्रशंसकों ने उनके घर पर जाकर उनके अंतिम दर्शन किये। इनमें धर्मेंद्र, शाहरुख खान, शबाना आजमी, विद्या बालन और निर्माता सिद्धार्थ रॉय कपूर आदि शामिल थे। बेहद भावुक धर्मेंद्र ने कहा, ‘मैंने अपने भाई को खो दिया।’ अभिनेता अमिताभ बच्चन और उनके पुत्र अभिषेक बच्चन ने जुहू कब्रिस्तान जाकर श्रद्धांजलि दी। दिलीप कुमार का असली नाम यूसुफ खान था। उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को पेशावर में हुआ था। उनके बेहतरीन अभिनय की छाप हमेशा फिल्म जगत पर रहेगी। अपने चाहने वालों के दिल में वे सदा रहेंगे।
मुंबई में बुधवार को अपने घर पर दिलीप साहब के पार्थिव शरीर के पास बैठीं उनकी पत्नी सायरा बानो उनके माथे पर हाथ रखकर उन्हें िनहारते हुए। -प्रेट्र
कई बीमारियों से लड़े :
अस्पताल से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि दिलीप कुमार कई साल से बीमार थे, उन्हें प्रोस्टेट कैंसर और फेफड़ों की बीमारी सहित कई रोग थे। एक छोटा आईसीयू उनके घर पर भी बनाया गया था। सांस लेने में तकलीफ के कारण उन्हें बीती 6 जून को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
सांस्कृतिक दुनिया के लिए नुकसान
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई हस्तियों ने उनके निधन पर शोक जताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘दिलीप कुमार जी को सिनेमा जगत के दिग्गज के रूप में याद किया जाएगा। वह अद्वितीय प्रतिभा के धनी थे और इस वजह से सभी पीढ़ियों के दर्शकों के चहेते थे। उनका निधन हमारी सांस्कृतिक दुनिया के लिए नुकसान है। उनके परिवार, मित्रों और असंख्य चाहने वालों के प्रति मेरी संवेदनाएं।’ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘दिलीप कुमार जी के परिवार, मित्रों और प्रशंसकों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। भारतीय सिनेमा में उनके अद्भुत योगदान को आने वाली पीढ़ियां याद करेंगी।’ हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने दिलीप कुमार के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा है कि उनके निधन से हुई क्षति की भरपाई करना असंभव है। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने भी शोक जताया है। अमिताभ बच्चन ने ट्वीट किया, ‘भारतीय सिनेमा का इतिहास जब भी लिखा जाएगा, वह हमेशा ‘दिलीप कुमार से पहले, और दिलीप कुमार के बाद’ होगा।
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2 घंटे पहले
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दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।
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