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भास्कर एक्सप्लेनर:जल्द शुरू हो सकता है बच्चों का वैक्सीनेशन, जानिए बच्चों को वैक्सीन लगाना कितना सुरक्षित और क्या कहते हैं ट्रायल के नतीजे
6 घंटे पहलेलेखक: आबिद खान
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देश में जल्द ही 18 साल से कम उम्र के बच्चों को भी कोरोना की वैक्सीन लगनी शुरू हो सकती है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने हाल ही में इसे लेकर ऐलान किया है। मंडाविया ने भाजपा संसदीय दल की बैठक में अगले महीने यानी अगस्त से बच्चों को कोरोना का टीका लगने की उम्मीद जताई है।
मंडाविया ने यह जानकारी बीते मंगलवार को दी। उनके बयान के बाद ये जानकारी भी सामने आई कि जायडस कैडिला ने बच्चों पर अपनी वैक्सीन के ट्रायल का एडिशनल डेटा ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के पास सब्मिट कर दिया है। DCGI की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी इस डेटा को स्टडी कर वैक्सीन के इमरजेंसी अप्रूवल पर फैसला लेगी। अगर वैक्सीन को अप्रूवल मिलता है तो देश में ये चौथी वैक्सीन होगी।
एक तरफ जहां कई राज्यों में स्कूल खुल गए हैं और कई राज्य जल्द ही स्कूल खोलने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में बच्चों की वैक्सीन को लेकर आई इस खबर के क्या मायने हैं? देश में बच्चों के लिए कितनी वैक्सीन हैं या आने वाली हैं? बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन कितनी सुरक्षित हैं? बच्चों का वैक्सीनेशन कितना जरूरी है? दुनिया में बच्चों के वैक्सीनेशन का क्या स्टेटस है? आइए समझते हैं…
भारत में बच्चों के लिए वैक्सीन का क्या स्टेटस है?
अभी देश में वयस्कों को तीन वैक्सीन लगाई जा रही हैं। कोवैक्सिन, कोवीशील्ड और स्पूतनिक वी। इनमें से भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का बच्चों पर ट्रायल चल रहा है। कोवीशील्ड बनाने वाला सीरम इंस्टीट्यूट भी बच्चों की वैक्सीन कोवोवैक्स को बनाने की तैयारी कर रहा है। वहीं, जायडस कैडिला की वैक्सीन जायकोव-डी का क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है। उसे मंजूरी का इंतजार है। ये बड़ों के साथ बच्चों को भी लगाई जा सकेगी।
देश में बच्चों की वैक्सीन और उनका स्टेटस
जायकोव-डी: जायडस कैडिला की DNA बेस्ड वैक्सीन जायडस-डी के 12 से 18 साल तक के बच्चों पर क्लिनिकल ट्रायल पूरे हो चुके हैं। कंपनी ट्रायल का डेटा DCGI को दे चुकी है। बच्चों के लिए वैक्सीन की रेस में सबसे आगे यही वैक्सीन है। कंपनी 5 साल तक के बच्चों पर भी वैक्सीन के ट्रायल की तैयारी कर रही है।
कोवैक्सिन: भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का बच्चों पर ट्रायल देशभर में अलग-अलग जगहों पर चल रहा है। सिंतबर तक ट्रायल के फाइनल नतीजे आने की उम्मीद है। ट्रायल के दौरान 12 से 18, 6 से 12 और 2 से 6 साल तक के बच्चों को तीन कैटेगरी में बांटा गया है।
कोवोवैक्स: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को अपनी कोरोना वैक्सीन ‘कोवोवैक्स’ के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी मिल चुकी है। देशभर में 10 जगहों पर 12 से 17 साल और 2 से 11 साल के 920 बच्चों पर वैक्सीन के ट्रायल किए जाएंगे। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इस वैक्सीन को अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स के साथ मिलकर बना रहा है।
फाइजर: फाइजर वैक्सीन को अमेरिका और यूरोप के कई देशों में 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को दिया जा रहा है, लेकिन ये वैक्सीन भारत में अभी आई नहीं है। भारत में मंजूरी मिलने के बाद बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन का विकल्प भी हमारे पास होगा।
मॉडर्ना: मॉडर्ना की mRNA वैक्सीन भी 12 साल तक के बच्चों को दी जा रही है, लेकिन भारत में ये भी उपलब्ध नहीं है। भारत में मंजूरी मिलने के बाद ये वैक्सीन भी बच्चों को लगाई जा सकती है। फाइजर और मॉडर्ना दोनों ही वैक्सीन के 5-11 साल तक के बच्चों पर भी ट्रायल चल रहे हैं। सितंबर तक इस ट्रायल के नतीजे आने की भी उम्मीद है।
स्पूतनिक: रूस में बच्चों पर स्पूतनिक के ट्रायल किए जा रहे हैं। मॉस्को में 100 बच्चों पर वैक्सीन के ट्रायल जारी है। भारत में ये वैक्सीन उपलब्ध है, लेकिन बच्चों पर इसके ट्रायल के नतीजों का इंतजार है।
बच्चों में वैक्सीनेशन को लेकर क्या कहते हैं ट्रायल्स के नतीजे?
जायडस कैडिला ने जनवरी में तीसरे फेज के ट्रायल शुरू किए थे। देशभर में 28 हजार लोगों पर वैक्सीन के ट्रायल किए गए, इनमें 1 हजार कैंडिडेट्स की उम्र 12 से 18 साल है। कंपनी ने इसी ट्रायल के डेटा को सरकार के पास रिव्यू के लिए सब्मिट किया है।
यूरोप में मॉडर्ना की वैक्सीन को बच्चों के लिए अप्रूव करने से पहले 12 से 17 साल के 3,732 बच्चों पर ट्रायल किया गया था। ट्रायल के नतीजों में सामने आया था कि वैक्सीन ने बच्चों में भी बड़ों के बराबर ही एंटीबॉडी प्रोड्यूस की है। ट्रायल के दौरान 2,163 बच्चों को कोरोना वैक्सीन दी गई थी और 1,073 को प्लास्बो। जिन 2,163 बच्चों को वैक्सीन दी गई थी, उनमें से किसी को भी न तो कोरोना हुआ और न ही कोई गंभीर साइड इफेक्ट।
चीनी वैक्सीन कोरोनावैक भी 3 से 17 साल तक के बच्चों पर असरदार पाई गई है। कंपनी ने दो फेज में 550 से ज्यादा बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल किया था। कंपनी ने बताया कि ट्रायल में शामिल केवल दो बच्चों को ही वैक्सीनेशन के बाद तेज बुखार आया था। बाकी किसी में भी कोई साइड इफेक्ट नहीं देखा गया। वैक्सीनेशन के बाद 98% बच्चों में एंटीबॉडी भी प्रोड्यूस हुई।
फाइजर ने बच्चों पर अपनी वैक्सीन की इफेक्टिवनेस पता करने के लिए 12 से 15 साल के 2,260 बच्चों पर ट्रायल किया था। इनमें से 1,131 को वैक्सीन और बाकी 1,129 को प्लास्बो दिया गया था। वैक्सीन लेने वाले 1,131 बच्चों में किसी में भी कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं देखे गए। ट्रायल के नतीजों के बाद फाइजर ने कहा था कि उसकी वैक्सीन बच्चों में 100% इफेक्टिव है।
क्या अगस्त तक शुरू हो सकता है बच्चों का वैक्सीनेशन?
हो सकता है। जायडस कैडिला का कहना है कि अगस्त से हर महीने 1 करोड़ डोज और दिसंबर तक 5 करोड़ डोज के प्रोडक्शन की उम्मीद है। कंपनी ने 1 साल में 10 करोड़ डोज तैयार करने का टारगेट सेट किया है।
भारत सरकार फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन को भी जल्द लाने की कोशिशों में है, लेकिन लीगल इन्डेम्निटी पर आकर मामला अटका हुआ है। जहां इन्हें मंजूरी मिली है वहां ये दोनों ही वैक्सीन बच्चों को दी जा रही हैं। अगर भारत में आती हैं तो इनका इस्तेमाल बच्चों पर भी किया जा सकेगा।
क्या बच्चों के लिए वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है?
जून में सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने बताया था कि अमेरिका में 1200 लोगों में फाइजर या मॉडर्ना की वैक्सीन लगवाने के बाद दिल की मांसपेशियों में सूजन आ गई थी। इनमें से 500 लोग ऐसे थे जिनकी उम्र 30 साल से कम थी। वैक्सीन लगवाने के दो हफ्ते बाद ही ज्यादातर युवाओं में इस तरह की शिकायतें आने लगी थीं।
इजराइल में फाइजर की वैक्सीन लगवाने के बाद कई बच्चों के दिल की मांसपेशियों में सूजन की शिकायतें आई थीं।
हालांकि इन सभी लोगों में कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं देखे गए। साथ ही वैक्सीन की वजह से ही सूजन आई, ये भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस तरह के मामलों की संख्या बेहद कम है। 12 से 17 साल की यंग पॉपुलेशन में हर 10 लाख पर 70 से भी कम लोगों में ये समस्या सामने आई है।
किन देशों में बच्चों को वैक्सीन दी जा रही है?
अमेरिका मई से फाइजर की वैक्सीन को 12 साल से ज्यादा उम्र के सभी बच्चों को लगाना शुरू कर चुका है। अगले साल तक वहां 12 साल से कम उम्र के बच्चों को भी वैक्सीनेशन की शुरुआत हो सकती है।
यूरोपियन यूनियन ने 23 जुलाई को मॉडर्ना की वैक्सीन को बच्चों के लिए अप्रूव किया है। 12 से 17 साल तक के बच्चों को यूरोपियन यूनियन में मॉडर्ना की वैक्सीन लगाई जाएगी।
19 जुलाई को यूके ने 12 साल तक के बच्चों को फाइजर वैक्सीन लगाने की अनुमति दी है। हालांकि अभी केवल मोर्बिडिटी वाले बच्चों को ही वैक्सीन दी जा रही है। सितंबर तक मॉडर्ना की वैक्सीन को भी अप्रूवल मिलने की संभावना है।
इजराइल भी 12 साल तक के सभी बच्चों को वैक्सीनेट करना शुरू कर चुका है। इजराइल ने जनवरी में 16 साल तक के बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू किया था। जून में वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ाने के लिए 12 साल तक के बच्चों को भी वैक्सीन देने की शुरुआत की गई।
कनाडा उन देशों में से है, जहां सबसे पहले बच्चों को वैक्सीनेशन की शुरुआत हुई। कनाडा ने दिसंबर 2020 में ही 16 साल तक के सभी लोगों के लिए फाइजर की वैक्सीन को अप्रूवल दे दिया था। मई में वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ाते हुए 12 साल तक के बच्चों को भी इसमें शामिल किया गया।
इसके अलावा माल्टा, चिली जैसे कई छोटे देशों ने भी बच्चों को वैक्सीनेट करना शुरू कर दिया है। इन देशों ने अपनी आबादी के एक बड़े हिस्से को वैक्सीनेट कर दिया है और अब पूरी आबादी को वैक्सीनेट करने के लिए बच्चों को भी वैक्सीनेशन प्रोग्राम में शामिल किया जा रहा है।
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