Chirag Paswan LJP Party Spilt Inside Story; Bihar News | LJP MPs To Remove Chirag Paswan As Lok Janshakti Party Leader
LJP में बगावत की INSIDE STORY:चिराग पासवान से चाचा और भाई नाराज चल रहे थे, पार्टी तोड़ने में JDU के 3 नेताओं ने निभाई बड़ी भूमिका
पटना15 घंटे पहले
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दिवंगत रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) में बड़ी टूट हो गई है। पार्टी पांच सांसदों- पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज ने मिलकर राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया है। साथ ही चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया है। उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ संसदीय दल के नेता का जिम्मा भी सौंपा गया है। LJP में चिराग समेत कुल छह ही सांसद थे।
LJP में टूट की बड़ी वजह चिराग से उनके अपनों की नाराजगी रही। इसका फायदा दूसरों ने उठाया और JDU के 3 कद्दावर नेताओं ने LJP को तोड़ने में अहम भूमिका निभाई। इनमें सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह और विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी शामिल हैं। तीसरे का नाम सामने नहीं आया है। बताया जा रहा है कि फिलहाल ये तीनों नेता दिल्ली में मौजूद हैं और LJP के सभी सांसदों पर नजर रखे हुए हैं।
चिराग को भारी पड़ी अपनों की नाराजगी
चिराग को सबसे ज्यादा भरोसा अपने चचेरे भाई और समस्तीपुर से सांसद प्रिंस राज पर था। लेकिन प्रिंस राज उस वक्त से नाराज चल रहे थे जब से उनके प्रदेश अध्यक्ष पद में बंटवारा कर दिया गया था और कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष राजू तिवारी को बनाया गया था।
चिराग के चाचा और हाजीपुर से सांसद पशुपति पारस तब से नाराज चल रहे हैं, जब से चिराग ने JDU से बगावत की थी। पशुपति पारस पिछली बिहार सरकार में पशुपालन मंत्री थे। वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी थे, लेकिन चिराग ने नीतीश कुमार से बगावत कर उनके और पारस के रिश्ते खराब कर दिए थे। विधानसभा चुनाव के समय भी पारस ने चिराग को बार-बार समझाया कि यह कदम जोखिम भरा होगा लेकिन चिराग नहीं मानें। ऐसे में पारस मन में खीझ लेकर सब कुछ देखते रहे और जब वक्त आया तो चिराग को छोड़ दिया।
चिराग के एकतरफा फैसले लेने से सभी नाराज थे
चिराग पासवान का एक तरफा फैसला लेना उनकी पार्टी के लिए नासूर बन गया था। चिराग पार्टी नेताओं से सलाह लिए बिना एकतरफा फैसले लेते रहे थे। चिराग के सबसे करीबी रहे सौरभ पांडे से पूरी पार्टी के नेता नाराज चल रहे थे। क्योंकि चिराग वही फैसले ले रहे थे, जिनमें सौरभ की सहमति होती थी। इस वजह से LJP के ज्यादातर बड़े और कद्दावर नेता नाराज चल रहे थे।
सूरजभान के छोटे भाई चंदन ने की बगावत
दिवंगत रामविलास पासवान के सबसे करीबी रहे सूरजभान सिंह ने अपनी कोशिशों से विधानसभा चुनाव में पार्टी को टूटने से बचाया था। लेकिन, चिराग के लगातार एक तरफा फैसले लेने से सूरजभान भी नाराज हो गए थे। ऐसे में सूरजभान सिंह के छोटे भाई चंदन सिंह जो कि नवादा से सांसद हैं, उन्होंने भी बगावत कर दी।
दूसरी तरफ लोजपा सांसद महबूब अली कैसर भी पार्टी की किसी भी बैठक में शामिल नहीं होते थे। वे महज लोजपा के सांसद ही रह गए थे। पार्टी के किसी भी कार्यक्रम में उनका शामिल नहीं होना उनकी बगावत का ही हिस्सा था। वहीं वैशाली से सांसद वीणा सिंह रामविलास पासवान की करीबी रही थीं लेकिन चिराग ने उन्हें भी कभी तरजीह नहीं दी। ऐसे में वीणा का भी अलग होना लाजिमी था।
मिशन LJP में JDU के तीन कद्दावर नेता लगे थे
LJP को तोड़ने में JDU के तीन कद्दावर नेता गुपचुप तरीके से लगे हुए थे। इनमें सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, रामविलास पासवान के रिश्तेदार और विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी और एक ऐसे नेता ने अहम भूमिका निभाई जो LJP की कमजोर कड़ी को जानते थे। उनका नाम तो सामने नहीं आया है, लेकिन वे किसी वक्त रामविलास पासवान के सबसे करीबियों में रहे थे। अभी वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सबसे करीबी नेता है।
इस पूरे मिशन को लीड कर रहे थे JDU सांसद ललन सिंह। ललन ने पहले पशुपति पारस को अपने पक्ष में किया और फिर सूरजभान सिंह के साथ मिलकर उनको भी पक्ष में कर लिया। इसके बाद महेश्वर हजारी ने महबूब अली कैसर को तोड़ा और फिर प्रिंस राज और वीणा सिंह को भी चिराग का साथ छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
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