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टोक्यो ओलंपिक: भारत हॉकी सेमी फ़ाइनल में क्यों हार गया बेल्जियम से?
मनोज चतुर्वेदी
वरिष्ठ खेल पत्रकार
3 अगस्त 2021, 10:17 IST
अपडेटेड 3 अगस्त 2021, 12:19 IST
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विश्व चैंपियन बेल्जियम ने आख़िरी क्वॉर्टर में चैम्पियनों वाला प्रदर्शन करके भारत को 5-2 से हराकर लगातर दूसरे ओलंपिक के फ़ाइनल में स्थान बना लिया. अब उनके सामने विश्व चैम्पियन रहने के साथ ओलंपिक चैम्पियन बनने का भी मौक़ा है.
पांच साल पहले रियो ओलंपिक में वह पहली बार फ़ाइनल में पहुंची थी. पर उस समय अर्जेंटीना ने उसके सपने को तोड़ दिया था. अब वह ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के विजेता से खेलकर चैम्पियन बनने का प्रयास करेगी.
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भी
वहीं इस हार ने भारत की उम्मीदों को बड़ा झटका दिया है. हालांकि भारत के लिए अब कांस्य पदक जीतने का मौका है और वह यदि पदक जीतता है तो यह उसका ओलंपिक हॉकी में 41 सालों बाद पदक होगा. भारत ने आख़िरी बार 1980 के मॉस्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था.
आख़िरी क्वॉर्टर
ने बदली बेल्जियम की
तक़दीर
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भारतीय टीम ने वैसे तो जमकर मुक़ाबला किया और अपने खेल से मैच का रुख़ अपनी तरफ़ करने का माद्दा भी दिखाया. लेकिन बेल्जियम ने आख़िरी क्वॉर्टर में चैम्पियनों वाला प्रदर्शन करके यह जीत हासिल की.
उन्होंने दूसरे क्वॉर्टर के आख़िर में बराबरी पाने के बाद तीसरे क्वॉर्टर से खेल पर नियंत्रण बनाने का प्रयास किया. पर उन्हें तीसरे क्वॉर्टर में तो इस काम में ज़्यादा सफलता नहीं मिली. लेकिन चौथे और आख़िरी क्वॉर्टर में वह पूरी तरह से भारत पर दवाब बनाने में सफल हो गई.
उन्होंने इस क्वॉर्टर में भारत को पूरी तरह से बचाव में उलझाए रखकर हमले बनाने का मौका ही नहीं दिया. उन्होंने पहले नौवें पेनल्टी कॉर्नर को बदलकर स्कोर 3-2 किया. यह गोल हेंड्रिक्स ने जमाया और यह उनका ओलंपिक में 13वां गोल रहा. इसके कुछ ही मिनट बाद मिले पेनल्टी स्ट्रोक पर हेंड्रिक्स ने गोल जमाकर स्कोर 4-2 करके भारत की हार तय कर दी.
भारत ने दबाया पैनिक बटन
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खेल समाप्ति से दो मिनट पहले भारत ने एक अतिरिक्त खिलाड़ी मैदान में उतारकर पैनिक बटन दबाया. इस स्थिति में श्रीजेश बाहर आ गए.
इस स्थिति में भारत ने हमले में पूरी टीम उतार दी. लेकिन इसका उन्हें तो फ़ायदा नहीं मिला, बल्कि बेल्जियम इसका फ़ायदा उठाकर पांचवां गोल जमाकर जीत को और आकषर्क बनाने में सफल हो गई.
खेल की शुरुआत हुई तेज़
भारत और बेजिल्जयम ने खेल की शुरुआत बहुत तेज़ की. इससे पहला क्वॉर्टर बहुत ही रोमांचक बन गया. बेल्जियम ने पहले ही मिनट में पेनल्टी कॉर्नर पर गोल करके बढ़त बना ली. लेकिन भारत ने इस गोल से दबाब में आने के बजाय ज़ोरदार ढंग से वापसी की और सातवें और आठवें मिनट में दो गोल जमाकर 2-1 की बढ़त बनाकर अपने इरादे जता दिए.
बेल्जियम के लुयपर्ट द्वारा जमाए गोल के जवाब में पहले हरमनप्रीत ने दूसरे पेनल्टी कॉर्नर पर तेज़ ड्रैग फ़िल्क से गोल करके बराबरी दिलाई.
बेल्जियम अभी इस झटके से उबर भी नहीं पाई थी कि भारत ने अगले ही मिनट दाहिने फ़्लैंक से हमला बनाकर सर्किल में एक अच्छा क्रॉस फेंका और गोल के सामने खड़े मनदीप सिंह ने गेंद को गोल की दिशा देकर भारत को 2-1 से आगे कर दिया.
एक समय भारत का दिख रहा था दबदबा
भारत पर विश्व चैम्पियन से खेलने का दबाव कभी नज़र नहीं आया. उसने शुरुआत से ही स्वाभाविक खेल का प्रदर्शन किया. सही मायनों में भारत ने खेल पर नियंत्रण बनाकर बेल्जियम को डिफ़ेंसिव खेलने के लिए मजबूर कर दिया. यह वह समय था, जब दिख रहा था कि भारत जीतने के लिए खेल रहा है.
उस समय भारतीय टीम ने 'आक्रमण ही सबसे अच्छा रक्षण' की रणनीति को अपनाया और उनकी यह रणनीति काफ़ी सफल होती भी नज़र आई. बेल्जियम को आख़िरी समय में दबाव हटाने के लिए लंबे शॉटों से गेंद को अपने ख़तरा क्षेत्र से बाहर करते देखा गया.
बेल्जियम ने बदली रणनीति
बेल्जियम ने भारतीय डिफ़ेंस में दरार बनाने में दिक्क़त होने पर शुरुआत में हमलों के लिए फ़्लैंक के इस्तेमाल करने की रणनीति को बदला और आगे बढ़ने के लिए सेंटर में गेंद लाकर भारतीय डिफ़ेंस को भेदने की रणनीति अपनाई. यह रणनीति कारगर होती भी नज़र आई.
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बेल्जियम ने शुरुआत से ही हमलावर रुख़ अपनाकर भारत पर दबाव बनाने की रणनीति अपनाई और पहले दो मिनट में भारत पर दबाव बनाया पर इन हमलों से मिले पेनल्टी कॉर्नरों को गोल में नहीं बदल सकी. लेकिन जवाबी भारतीय हमले में मनदीप के गोल जमाने का मौका बर्बाद करने के बाद बेल्जियम पांचवें पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलकर स्कोर को 2-2 करने में सफल हो गया. यह गोल उनके विशेषज्ञ ड्रैग फ़्लिकर हेंड्रिक्स ने किया.
भारत ने बेल्जियम के बराबरी पर आने के बाद फिर से खेल पर नियंत्रण बनाकर हमले बनाने का सिलसिला शुरू किया.
भारत को कुछ गोल जमाने के मौके मिले भी पर सही मायनों में इस क्वॉर्टर में भारतीय टीम थोड़ी दबाव में खेलती नज़र आई. इस दबाव की वजह से उसका स्वाभाविक खेल देखने को मिला. भारत ने इस क्वॉर्टर में अपना पांचवां पेनल्टी कॉर्नर प्राप्त भी किया पर हरमनप्रीत का ड्रैग फ़्लिक गोल के बाएं से बाहर चला गया.
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हेंड्रिक्स ने तीन गोल दागे
तीसरा
रहा बराबरी का
इस क्वॉर्टर में भारत ने हमलावर रुख़ अपनाकर बढ़त बनाने का भरसक प्रयास किया और उसे आठवें मिनट में मिले छठे पेनल्टी कॉर्नर पर गोल जमाने का मौका मिला.
इस पेनल्टी कॉर्नर पर बेल्जियम ने रेफ़रल लेकर इसे खो दिया. भारत पहले ही रेफ़रल को खो चुका था. पर इस पेनल्टी कॉर्नर को हरमनप्रीत गोल में बदलने में सफल नहीं हो सके क्योंकि उनका ड्ऱैग फ़्लिक पर डिफ़ेंस ने शानदार बचाव किया.
इस क्वॉर्टर में भारतीय डिफ़ेंस ने भी शानदार प्रदर्शन किया. ख़ासतौर से अमित रोहिदास ने अच्छी सूझ-बूझ से कई हमलों को विफल किया.
बेल्जियम ने दूसरे क्वॉर्टर की तरह ही तीसरे में भी आख़िरी मिनट में हमले बनाकर पेनल्टी कॉर्नर प्राप्त करने का प्रयास किया पर भारतीय डिफ़ेंस मुस्तैदी के साथ डटा रहा और उसने उन्हें अपने इरादों में सफल नहीं होने दिया.
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बेल्जियम ने बनाई बढ़त
बेल्जियम आख़िरी क्वॉर्टर के चौथे मिनट में बढ़त बनाने में सफल रही. इस दौरान उसे लगातार तीन पेनल्टी कॉर्नर मिले और इस सीरीज़ के आखिरी पेनल्टी कॉर्नर पर हेंड्रिक्स ने आगे चार्ज करने आ रहे अमित रोहिदास को गच्चा देने के लिए अपना एंगल बदला और ड्रैग फ़्लिक से श्रीजेश को भी गच्चा देकर गेंद को नेट में उलझा दिया.
इससे उनको 3-2 की बढ़त मिल गई. इस समय तक बेल्जियम की खेल पर पकड़ साफ दिखने लगी थी. आख़िर में वह दो गोल और जमाकर 5-2 से जीत पाने में सफल हो गई.
क्यों वापसी नहीं कर पाया भारत
?
भारत ने एक गोल से पिछड़ने के बाद वापसी के लिए जो जज़्बा दिखाया था, उसे वह 3-2 से पिछड़ने के बाद नहीं दिखा सकी. इसमें बेल्जियम की मज़बूत हाफ़ लाइन की चतुराई भरी टैकलिंग ने भी अहम भूमिका निभाई.
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भारतीय टीम के बढ़त बनाने के बाद हाफ़ लाइन के खेल में थोड़ी ढिलाई देखने को मिली. इस ढिलाई के दौरान उनसे ग़लतियों भी हुईं और बेल्जियम इस स्थिति का अच्छे से फ़ायदा उठाने में सफल रही.
बेल्जियम ने आख़िरी क्वार्टर में जब हमलावर रुख अपनाकर भारत को पूरी तरह से दवाब में ला दिया तो भारतीय टीम की समझ में ही नहीं आया कि इस दवाब से बाहर कैसे निकला जाए. इस हड़बड़ाहट में उनसे ग़लतियां होने लगीं. इन ग़लतियों की वजह से उन्होंने काफी पेनल्टी कार्नर दे दिए. बेल्जियम के पास इन पेनल्टी कार्नरों को गोल में बदलने के लिए विश्व स्तरीय ड्रैग फ़्लिकर एलेक्जेंडर हेंड्रिक्स था और उसकी काट हमारे पास नजर नहीं आई.
बेल्जियम के हमलावर होने से डिफ़ेंस की हड़बड़ाहट दिखाने से भारतीय दीवार माने जाने वाले गोलकीपर श्रीजेश से भी ग़लतियां होने लगीं और इसका विपक्षी टीम ने भरपूर फ़ायदा उठाया. इसके अलावा आख़िरी क्वार्टर में ज्यादातर समय हम बचाव में व्यस्त रहे और खेल में वापसी के लिए हमले ही नहीं बना सके. भारत ने आख़िरी दो मिनट में जब हमलों में पूरी जान लगाई, तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी.
भारत को भाग्य का भी साथ नहीं मिला तीसरे क्वार्टर में मनदीप कम से कम दो हमलों पर गोल जमाने के क़रीब पहुंचे, लेकिन गोल नहीं कर पाए. यदि ये गोल हो जाते तो मैच की कुछ और तस्वीर हो सकती थी.
बेल्जियम के पिछले
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विश्व चैम्पियन बेल्जियम ओलंपिक हॉकी में भाग तो 1920 के एंटवर्प ओलंपिक से ले रहा है और उस समय उसने कांस्य पदक भी जीता था. लेकिन इसके बाद कभी उसे हॉकी दिग्गज के तौर पर नहीं पहचाना गया. उसने 2000 में हॉकी के इंफ़्रास्ट्रक्चर पर ख़ासा खर्च करना शुरू किया और कुछ सालों बाद ही उसके परिणाम दिखने शुरू हो गए.
2016 के रियो ओलंपिक में उसने फ़ाइनल तक चुनौती पेश करके रजत पदक हासिल किया. इसके बाद वह दुनिया की एक ताक़त के तौर पर उभरा और इसके बाद विश्व और यूरोपीय चैम्पियन बनने का गौरव हासिल कर लिया.
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