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Harsha Singh
Updated Mon, 05th Jul 2021 10:28 AM IST
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पूर्व यह देखना दिलचस्प होगा की मुसलमान इस बार किस पार्टी का साथ देंगे। इस बार राजनीति में तड़का लगाने के लिए असदुद्दीन ओवैसी भी मैदान में है, हो सकता है की चुनावों में हिन्दू-मुसलमान का मुद्दा भी उठाया जाए। इन आरोप-प्रत्यारोप के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत द्वारा हिंदुत्व और लिंचिंग को लेकर दिए गए बयान पर एक नई बहस भी शुरू हो गई है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार सुबह मोहन भागवत के बयान पर टिप्पणी की।
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा कि ये नफरत हिंदुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है। असदुद्दीन ओवैसी ने सिलसिलेवार ट्वीट करते हुए लिखा कि आरएसएस के भागवत ने कहा लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी हैं। इन अपराधियों को गाय और भैंस में फर्क नहीं पता होगा, लेकिन कत्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे। 
ओवैसी ने आगे लिखा कि ये नफरत हिंदुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है। केंद्रीय मंत्री के हाथों अलीमुद्दीन के कातिलों की गुलपोशी हो जाती है, अखलाक के हत्यारे की लाश पर तिरंगा लगाया जाता है।
असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट में आगे लिखा कि आसिफ़ को मारने वालों के समर्थन में महापंचायत बुलाई जाती है, जहां भाजपा का प्रवक्ता पूछता है कि "क्या हम मर्डर भी नहीं कर सकते?" कायरता, हिंसा और कत्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोच का अटूट हिस्सा है, मुसलमानों की लिंचिंग भी इसी सोच का नतीजा है। 
जानिए क्या था मोहन भागवत का बयान
मोहन भागवत ने कहा कि लोगों में इस आधार पर अंतर नहीं किया जा सकता कि उनका पूजा करने का तरीका क्या है। आरएसएस प्रमुख ने लिंचिंग (पीट-पीट कर मार डालने) की घटनाओं में शामिल लोगों पर हमला बोलते हुए कहा, ‘‘वे हिन्दुत्व के खिलाफ हैं।’’ हालांकि, उन्होंने कहा कि लोगों के खिलाफ लिंचिंग के कुछ झूठे मामले दर्ज किए गए हैं। भागवत ने मुसलमानों से कहा, ‘‘ वे भय के इस चक्र में न फंसें कि भारत में इस्लाम खतरे में है।’’ उन्होंने कहा कि देश में एकता के बिना विकास संभव नहीं है।
आरएसएस प्रमुख ने इस बात पर जोर दिया कि एकता का आधार राष्ट्रवाद और पूर्वजों का गौरव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष का एकमात्र समाधान ‘संवाद’ है, न कि ‘विसंवाद’। भागवत ने इस अवसर पर ख्वाजा इफ्तकार अहमद की किताब ‘द मीटिंग ऑफ माइंड्स’ का विमाचेन भी किया। उन्होंने कहा, ‘‘हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात भ्रामक है क्योंकि वे अलग नहीं, बल्कि एक हैं। सभी भारतीयों का डीएनए एक है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों।’’

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