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चित्रकूट जिले की सीमा से सटे मुकुंदपुर (मप्र) व्हाइट टाइगर सफारी में एक और बाघ की मौत हो गई है। सतना से लेकर पन्ना टाइगर रिजर्व से अक्सर बाघ व अन्य वन्यजीव चित्रकूट की सीमा तक पहुंचते हैं। दो साल के अंदर इन क्षेत्रों में चार बाघों की मौत हो चुकी है।
टाइगर सफारी मुकंदपुर के निदेशक संजय राय खेड़े ने मेल व्हाइट टाइगर गोपी की मौत की पुष्टि कर दी है। उन्होंने बताया कि गोपी की मौत बुधवार की शाम को पांच बजे ही हो गई थी। इसकी पुष्टि डॉ. जीपी त्रिपाठी द्वारा बृहस्पतिवार की शाम की गई है।
पोस्टमार्टम के लिए जबलपुर से टीम बुलाई गई है। उनके द्वारा पीएम के उपरांत सैंपल सुरक्षित कर लैब के लिए भेजा जाएगा। गौरतलब है कि मुकुंदपुर वाइट टाइगर सफारी में सफेद बाघ की मौत का यह पहला मामला नहीं है। दुनिया की पहली टाइगर सफारी बाघों की कब्रगाह बनती जा रही है।
यहां रेस्क्यू सेंटर भी है, लेकिन उपचार के लिए लाए गए कई वन्य प्राणियों की भी यहां मौत हो चुकी है। जानकार सूत्रों की मानें तो सफारी प्रबंधन मौत के कारण तलाशने और उनका समाधान निकालने की बजाय मौतों को छिपाने के प्रयास में ज्यादा संजीदा नजर आता है।
गोपी की मौत को भी प्रबंधन छिपाए बैठा रहा। मीडिया तक बात पहुंचने के बाद अधिकारियों ने इसे स्वीकार किया है। मुकुंदपुर से लेकर मानिकपुर चित्रकूट मारकुंडी धारकुंडी, सती अनसुइया व बहिलपुरवा के जंगलों में दो साल के अंदर चार बाघ की मौत हो चुकी है।
घटिया भोजन तो नहीं मौत की वजह
सफारी में वन्य प्राणियों की मौतें टाइगर और अन्य वन्य जीवों के रख रखाव की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहीं हैं। सूत्रों की मानें तो सफारी में वन्य प्राणियों की मौत की बड़ी वजह घटिया किस्म का भोजन भी हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि सफारी में मांसाहारी पशुओं के लिए भोजन सप्लाई करने वाले ठेकेदारों द्वारा यहां मृत पशुओं का मांस सप्लाई किया जा रहा है।
उसने सफारी की आड़ में स्लाटर हाउस का बस्ती के अंदर लाइसेंस लिया है। हालांकि टाइगर सफारी मुकंदपुर के निदेशक ने इस बात से इंकार किया है। कहा कि सभी जीवों को मानक के अनुरूप भोजन दिया जाता है।
शाही अंदाज में नजर आता था गोपी
नवंबर 2013 में गोपी को भिलाई अभ्यारण से टाइगर सफारी मुकुंदपुर लाया गया था, गोपी सफेद बाघ नर था। मुकुंदपुर टाइगर सफारी आने वाले दर्शकों के लिए गोपी सहजता से उपलब्ध हो जाता था। बाड़े में उछलकूद करने के साथ ही दौड़ना और अपने शहंशाही अंदाज में दर्शकों के समक्ष पिंजड़े के बाहर आकर बैठ जाना गोपी की आदत में शुमार था। उसकी मौत की जानकारी होने पर स्थानीय लोगों ने भी गहरा शोक जताया है और मामले की जांच कराने की मांग की है।
चित्रकूट जिले की सीमा से सटे मुकुंदपुर (मप्र) व्हाइट टाइगर सफारी में एक और बाघ की मौत हो गई है। सतना से लेकर पन्ना टाइगर रिजर्व से अक्सर बाघ व अन्य वन्यजीव चित्रकूट की सीमा तक पहुंचते हैं। दो साल के अंदर इन क्षेत्रों में चार बाघों की मौत हो चुकी है।
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टाइगर सफारी मुकंदपुर के निदेशक संजय राय खेड़े ने मेल व्हाइट टाइगर गोपी की मौत की पुष्टि कर दी है। उन्होंने बताया कि गोपी की मौत बुधवार की शाम को पांच बजे ही हो गई थी। इसकी पुष्टि डॉ. जीपी त्रिपाठी द्वारा बृहस्पतिवार की शाम की गई है।
पोस्टमार्टम के लिए जबलपुर से टीम बुलाई गई है। उनके द्वारा पीएम के उपरांत सैंपल सुरक्षित कर लैब के लिए भेजा जाएगा। गौरतलब है कि मुकुंदपुर वाइट टाइगर सफारी में सफेद बाघ की मौत का यह पहला मामला नहीं है। दुनिया की पहली टाइगर सफारी बाघों की कब्रगाह बनती जा रही है।
यहां रेस्क्यू सेंटर भी है, लेकिन उपचार के लिए लाए गए कई वन्य प्राणियों की भी यहां मौत हो चुकी है। जानकार सूत्रों की मानें तो सफारी प्रबंधन मौत के कारण तलाशने और उनका समाधान निकालने की बजाय मौतों को छिपाने के प्रयास में ज्यादा संजीदा नजर आता है।
गोपी की मौत को भी प्रबंधन छिपाए बैठा रहा। मीडिया तक बात पहुंचने के बाद अधिकारियों ने इसे स्वीकार किया है। मुकुंदपुर से लेकर मानिकपुर चित्रकूट मारकुंडी धारकुंडी, सती अनसुइया व बहिलपुरवा के जंगलों में दो साल के अंदर चार बाघ की मौत हो चुकी है।
घटिया भोजन तो नहीं मौत की वजह
सफारी में वन्य प्राणियों की मौतें टाइगर और अन्य वन्य जीवों के रख रखाव की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहीं हैं। सूत्रों की मानें तो सफारी में वन्य प्राणियों की मौत की बड़ी वजह घटिया किस्म का भोजन भी हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि सफारी में मांसाहारी पशुओं के लिए भोजन सप्लाई करने वाले ठेकेदारों द्वारा यहां मृत पशुओं का मांस सप्लाई किया जा रहा है।
उसने सफारी की आड़ में स्लाटर हाउस का बस्ती के अंदर लाइसेंस लिया है। हालांकि टाइगर सफारी मुकंदपुर के निदेशक ने इस बात से इंकार किया है। कहा कि सभी जीवों को मानक के अनुरूप भोजन दिया जाता है।
शाही अंदाज में नजर आता था गोपी
नवंबर 2013 में गोपी को भिलाई अभ्यारण से टाइगर सफारी मुकुंदपुर लाया गया था, गोपी सफेद बाघ नर था। मुकुंदपुर टाइगर सफारी आने वाले दर्शकों के लिए गोपी सहजता से उपलब्ध हो जाता था। बाड़े में उछलकूद करने के साथ ही दौड़ना और अपने शहंशाही अंदाज में दर्शकों के समक्ष पिंजड़े के बाहर आकर बैठ जाना गोपी की आदत में शुमार था। उसकी मौत की जानकारी होने पर स्थानीय लोगों ने भी गहरा शोक जताया है और मामले की जांच कराने की मांग की है।
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