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रायबरेली। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अब सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले मरीजों में से पांच फीसदी की टीबी की भी जांच की जाएगी। शासन से निर्देश आने के बाद सीएमओ ने सभी सीएचसी व पीएचसी अधीक्षकों को आदेश के अनुपालन के आदेश दिए हैं। रोजाना कम से कम पांच प्रतिशत मरीजों की टीबी की जांच कराने के निर्देश दिए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है। इसके तहत विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसी क्रम में शासन ने ओपीडी में आने वाले मरीजों में से पांच प्रतिशत मरीजों की टीबी जांच कराने का निर्देश दिए हैं।
सामान्य मरीजों में भी संभावित लक्षण के आधार पर टीबी की जांच कराने का निर्णय लिया गया है। जिन मरीजों को लंबे समय से खांसी आ रही है या फिर खांसी के साथ बलगम आ रहा है तो उनकी टीबी की जांच कराई जाएगी। जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डीएस अस्थाना ने बताया कि टीबी के इलाज में रोगियों की पहचान जरूरी है। जितने अधिक क्षय रोगियों को ढूंढ पाएंगे उतने ही ज्यादा मरीजों का इलाज हो पाएगा।
इसीलिए बीती 10 मार्च से शुरू हुए दस्तक अभियान में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बुखार के साथ टीबी के लक्षण वाले मरीजों की भी जानकारी जुटा रही हैं। इस दौरान वह प्रत्येक घर में खांसी, सांस लेने में दिक्कत वालों की सूची बना रही हैं। दस्तक अभियान में यह पहली बार हुआ है, शत प्रतिशत आबादी की स्क्रीनिंग की जाएगी।
अधिक से अधिक क्षय रोगियों को चिह्नित करके उनका इलाज करने की मंशा से अब सभी सीएचसी व पीएचसी में ओपीडी में आने वाले कम से कम पांच प्रतिशत मरीजों की टीबी की भी जांच कराई जाएगी। जांच में क्षयरोगी मिलने पर मुफ्त इलाज शुरू किया जाएगा। इस संबंध में सभी सीएचसी व पीएचसी अधीक्षकों को निर्देशित कर दिया गया है।
डॉ. बीरेंद्र सिंह, सीएमओ
रायबरेली। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अब सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले मरीजों में से पांच फीसदी की टीबी की भी जांच की जाएगी। शासन से निर्देश आने के बाद सीएमओ ने सभी सीएचसी व पीएचसी अधीक्षकों को आदेश के अनुपालन के आदेश दिए हैं। रोजाना कम से कम पांच प्रतिशत मरीजों की टीबी की जांच कराने के निर्देश दिए हैं।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है। इसके तहत विभिन्न कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसी क्रम में शासन ने ओपीडी में आने वाले मरीजों में से पांच प्रतिशत मरीजों की टीबी जांच कराने का निर्देश दिए हैं।
सामान्य मरीजों में भी संभावित लक्षण के आधार पर टीबी की जांच कराने का निर्णय लिया गया है। जिन मरीजों को लंबे समय से खांसी आ रही है या फिर खांसी के साथ बलगम आ रहा है तो उनकी टीबी की जांच कराई जाएगी। जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डीएस अस्थाना ने बताया कि टीबी के इलाज में रोगियों की पहचान जरूरी है। जितने अधिक क्षय रोगियों को ढूंढ पाएंगे उतने ही ज्यादा मरीजों का इलाज हो पाएगा।
इसीलिए बीती 10 मार्च से शुरू हुए दस्तक अभियान में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बुखार के साथ टीबी के लक्षण वाले मरीजों की भी जानकारी जुटा रही हैं। इस दौरान वह प्रत्येक घर में खांसी, सांस लेने में दिक्कत वालों की सूची बना रही हैं। दस्तक अभियान में यह पहली बार हुआ है, शत प्रतिशत आबादी की स्क्रीनिंग की जाएगी।
अधिक से अधिक क्षय रोगियों को चिह्नित करके उनका इलाज करने की मंशा से अब सभी सीएचसी व पीएचसी में ओपीडी में आने वाले कम से कम पांच प्रतिशत मरीजों की टीबी की भी जांच कराई जाएगी। जांच में क्षयरोगी मिलने पर मुफ्त इलाज शुरू किया जाएगा। इस संबंध में सभी सीएचसी व पीएचसी अधीक्षकों को निर्देशित कर दिया गया है।
डॉ. बीरेंद्र सिंह, सीएमओ
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