5 ideas to ensure equitable and sustainable prosperity for all by mukesh ambani
Mukesh Ambani 5 Ideas For Better India: उदारीकरण के 30 साल पूरे होने पर मुकेश अंबानी ने दिए ये 5 आइडिया, इनकी मदद से देश छुएगा बुलंदी!
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Mukesh Ambani | Edited byअनुज मौर्या | Navbharat Times | Updated: Jul 24, 2021, 11:28 AM
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Mukesh Ambani 5 Ideas For Better India: उदारीकरण के 30 साल पूरे होने पर देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी ने अपनी बात रखी है। उनका मानना है कि देश क विकास के रास्ते पर तेजी से आगे ले जाने के लिए गरीबों को मजबूत करना होगा। गरीब मजबूत होंगे तो एक बड़ा मार्केट पैदा होगा, जिससे मांग बढ़ेगी और ग्रोथ होगी। आइए जानते हैं मुकेश अंबानी ने बेहतर भारत के लिए कौन से 5 आइडिया दिए हैं।
Mukesh Ambani 5 Ideas For Better India: उदारीकरण के 30 साल पूरे होने पर मुकेश अंबानी ने दिए ये 5 आइडिया, इनकी मदद से देश छुएगा बुलंदी!
Mukesh Ambani 5 Ideas For Better India: उदारीकरण के 30 साल पूरे हो चुके हैं और इस मौके पर देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी ने एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने कई आइडिया भी दिए हैं। वह कहते हैं उदारीकरण के बाद न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया ही बदल सी गई। कम्युनिस्ट सोवियत संघ खत्म हो गया। वहीं 1990 के उदारीकरण ने भारत के लिए इकनॉमिक रिफॉर्म के रास्ते खोल दिए। इसका नतीजा ये हुआ कि 1991 में जो जीडीपी सिर्फ 266 अरब डॉलर थी, अब वह करीब 10 गुना तक बढ़ चुकी है। हमारी अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। हमारे एक्सप्रेसवे और एयरपोर्ट अब वर्ल्ड क्लास हो चुके हैं। लोगों को गैस या टेलीफोन कनेक्शन के लिए सालों का इंतजार नहीं करना है। ना ही किसी कंपनी को कंप्यूटर खरीदने से पहले सरकार से इजाजत लेनी है। उदारीकरण ने लाइसेंस राज खत्म कर के तमाम प्राइवेट प्लेयर्स को एंट्री का मौका दिया, जिसने सब कुछ बदल दिया। आइए जानते हैं एक न्यायसंगत और स्थायी समृद्धि पाने के 5 शानदार आइडिया।
1- गरीबों को मजबूत बनाने की है जरूरत
अभी तक इकनॉमिक रिफॉर्म ने भारतीयों को समान रूप से फायदा नहीं पहुंचाया है। भारत के मॉडल को ऐसा बनाने की जरूरत है जिससे गरीब तबके को मजबूत बनाया जा सके। किसी भी देश की समृद्धि तब बढ़ती है, जब वहां का बाजार बड़ा होता है। ऐसे में भारत के साथ सबसे शानदार बात ये है कि यहां का घरेलू बाजार बहुत बड़ा है। हमे करीब 1 अरब मिडिल क्लास की आबादी बनाने की जरूरत है, जिससे मांग बढ़ेगी। इसके चलते बहुत सारे युवा और महिला आंत्रप्रेन्योर बनेंगे। विदेशों से भी निवेश बढ़ेगा। उदारीकरण से पहले ये मुमकिन नहीं हो सकता था, लेकिन आज के वक्त ये मुमकिन है।
2- तीसरे इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन का लीडर बनने का है मौका
यह तकनीक का दौर है। दुनिया अगले 30 सालों में ऐसे बदलाव देखेगा, जो उसने पिछले 300 सालों में भी नहीं देखे होंगे। शुरुआती दो इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन में कुछ खास करने का मौका तो भारत ने गंवा दिया और फिर तीसरे का फायदा उठाया। अब मौका है चौथे इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन का लीडर बनने का। तकनीक की मदद से एंट्राप्रेन्योर अपना प्रोडक्शन भी बढ़ा सकते हैं। इसे ना सिर्फ बड़ी कंपनियों को फायदा होगा, बल्कि एग्रिकल्चर और एमएसएमई को भी फायदा होगा। 2050 तक भारत की आबादी 1.64 अरब तक हो सकती है। ऐसे में तकनीक की मदद से एक बेहतर भारत बनाया जा सकता है, जिसमें सभी के लिए समान मौके हों।
3- भारत को निवेशकों का देश बनने की है जरूरत
भारत को अब निवेशकों का देश बननने की जरूरत है। भारत अभी तक लो-टेक एक्टिविटीज में इनोवेशन करता रहा है, लेकिन अब जरूरत है कि इसे हाई-टेक टूल्स के साथ बदला जाए। ऐसा करने से तोज ग्रोथ होगी। इस तरह से प्रोडक्ट और सर्विस का एक्सपोर्ट किया जा सकता है, जिससे विकसित देशों की वेल्थ भारत में आएगी। इसके लिए जरूरी है कि हम अपने एजुकेशन सिस्टम को बेहतर करें, ताकि बच्चों की स्किल बढ़ सकें। हमें अपनी यूनिवर्सिटी और रिसर्च सेंटर में अधिक निवेश करने की जरूरत है।
4- वेल्थ का मतलब और इसे पाने का तरीका बदलने की जरूरत
हमें वेल्थ का मतलब बदलने की जरूरत है और साथ ही इसे पाने के तरीके को भी बदलना होगा। अभी वेल्थ को सिर्फ पर्सनल और फाइनेंशियल टर्म में देखा जाता है। हमने सच्ची वेल्थ को नजरअंदाज किया है जो है सभी के लिए शिक्षा, सभी के लिए स्वास्थ्य, सभी के लिए रोजगार, सबके लिए घर, सबके लिए सुरक्षित पर्यावरण, सबके लिए खेल, कल्चर और कला की जरूरत है। आसाना भाषा में कहें तो सबके लिए खुशियों की जरूरत है। ऐसा करने के लिए हमें बिजनस और सोसाएटी में हर चीज में देखभाल और सहानुभूति लानी होगी।
5- एंट्राप्रेन्योरशिप पर खुद से दोबारा सोचने की जरूरत
भारत में वेल्थ बनाने के लिए एंट्राप्रेन्योरिशिप की खुद से पुनर्संकल्पना करने की जरूरत है। यानी इस पर फिर से सोचने की जरूरत है। कल के सफल बिजनस पार्टनरशिप और प्लेटफॉर्म होंगे, जो हेल्दी कॉम्पटीशन को बढ़ावा देंगे। यानी भविष्य में कोई भी एंटरप्राइज अकेले चलाना फायदे का सौदा नहीं होगा। रिलायंस में हम इसे प्रोफेशनल्स के समूह और साथ ही मालिकाना हक वाली सोच रखने वाले कर्मचारियों की तरह देखते हैं। इनके साथ पार्टनर और निवेशक भी हों। यानी सब मिलकर एक ही लक्ष्य के लिए काम करें, जिसे महात्मा गांधी अन्त्योदय कहते थे। यानी आखिरी शख्स तक का फायदा।
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