इतिहास में आज: तीन जुलाई
अमेरिकी नौसेना के युद्धपोत ने फारस की खाड़ी में गश्त करने के दौरान आज ही के दिन ईरान के यात्री जहाज को मार गिराया था. अमेरिकी नौसेना को लगा था कि यह लड़ाकू जहाज एफ-14 है जो उसकी तरफ बढ़ रहा है.
तीन जुलाई 1988 को फारस की खाड़ी में अमेरिकी युद्धपोत विंसेनेस ने ईरान के यात्री हवाई जहाज को मार गिराया. रडार में जहाज के दिखने के बाद युद्धपोत से दो मिसाइलें छोड़ी गईं जो सीधे जाकर विमान से टकराई. विमान हवा में ही नष्ट हो गया. इस विमान में कुल 290 यात्री सवार थे और मिसाइल हमले में सभी के सभी मारे गए.
यह हमला ईरान और इराक युद्ध की समाप्ति के बाद हुआ. उस दौरान अमेरिकी युद्धपोत खाड़ी में कुवैत के तेल के जहाजों की सुरक्षा के लिए लगाए गए थे. ईरान के विमान पर हमले से पहले विंसेनेस की झड़प ईरान के उन नावों से हुई थी जिसने उसके हेलिकॉप्टर पर फायरिंग की. ईरान ने इस घटना को अमेरिका की बर्बरता पूर्ण कार्रवाई कहा.
अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने इसे एक दुर्घटना बताया और यात्रियों के मारे जाने पर खेद जताया. अमेरिकी अधिकारियों ने इस कार्रवाई का यह कहते हुआ बचाव किया कि विमान कमर्शियल उड़ान क्षेत्र के दायरे के बाहर था. उन्होंने कहा कि विमान 7,800 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था और विंसेनेस की तरफ बढ़ रहा था.
हालांकि एक महीने बाद अमेरिका ने इस बात को माना कि एयरबस कमर्शियल उड़ान क्षेत्र में उड़ रहा था और वह 12,000 फीट की ऊंचाई पर था. अधिकारियों ने कहा कि वह नीचे की तरफ नहीं आ रहा था. अमेरिकी नौसेना की रिपोर्ट में चालक दल के सदस्यों की त्रुटि को जिम्मेदार ठहराया गया और कहा गया कि पहली बार युद्ध के लिए तैनात जवानों पर बहुत मानसिक तनाव था. साल 1996 में अमेरिका ने पीड़ित परिवारों को बतौर मुआवजा 6.2 करोड़ डॉलर देने का एलान किया.
तारीख
02.07.2014