comparemela.com

Card image cap


योगिनी एकादशी की उदया तिथि 5 जुलाई को प्राप्त हो रही है, इसलिए योगिनी एकादशी व्रत 5 जुलाई को ही रखा जाएगा। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, 4 जुलाई रविवार शाम को एवं 5 जुलाई सोमवार को व्रत के दिन चावल का खाने में प्रयोग बिल्कुल भी न करें। अगर आपने व्रत नहीं भी रखा है तो भी चावल न खाएं।
व्रत की पूजाविधि
योगिनी एकादशी के दिन सुबह घर की साफ-सफाई करके स्‍नान करके स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। उसके बाद भगवान श्रीहरि की मूर्ति स्‍थापित करें। फिर प्रभु को फूल, अक्षत, नारियल और तुलसी पत्ता अर्पित करें। फिर पीपल के पेड़ की भी पूजा करें। योगिनी एकादशी व्रत की कथा सुनें और अगले दिन परायण कर लें।
योगिनी एकादशी का मंत्र 
मम सकल पापक्षयपूर्वक कुष्ठादिरोग।
निवृत्तिकामनया योगिन्येकादशीव्रतमहं करिष्ये।।
सबसे पहले भगवान विष्‍णु को पंचामृत से स्‍नान कराएं। साथ में भगवान विष्‍णु के मंत्र का भी जप करते रहें। उसके बाद चरणामृत को व्रती अपने और परिवार के सदस्‍यों पर छिड़कें और उसे पिएं। मान्‍यता है कि इससे शरीर के रोग दूर होते हैं और पीड़ा खत्‍म होती है।
एकादशी व्रत से जुड़ी ये महत्‍वपूर्ण और खास बातें
एकादशी तिथि का भारतीय सनातन धर्म में बहुत महत्व है। इस व्रत से संकल्प और आत्मविश्वास बढ़ता है, देवताओं की कृपा बरसने लगती है और जीवन के सारे दु:ख और संताप कट जाते हैं तब आपका भविष्य उज्ज्वल हो जाता है।
ऐसे कौन से 26 व्रत हैं, जो सभी पापों को नष्ट कर संकटों को खत्म कर देते हैं और व्यक्ति को निरोगी काया, पारिवारिक सुख और धन-समृद्धि देते हैं? शास्त्रों को पढ़ने के बाद पता चलता है कि ऐसे व्रत कुल 26 होते हैं जिन्हें ‘एकादशी’ कहा गया है।
माह में 2 एकादशियां होती हैं अर्थात आपको माह में बस 2 बार और वर्ष के 365 दिनों में मात्र 24 बार ही नियमपूर्वक एकादशी व्रत रखना है। हालांकि प्रत्येक तीसरे वर्ष अधिकमास होने से 2 एकादशियां जुड़कर ये कुल 26 होती हैं।
पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है, वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उनके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।
आगामी श्रावण माह में पुत्रदा एवं अजा एकादशी आएगी। पुत्रदा एकादशी करने से संतान सुख प्राप्त होता है। अजा एकादशी से पुत्र पर कोई संकट नहीं आता, दरिद्रता दूर हो जाती है, खोया हुआ सबकुछ पुन: प्राप्त हो जाता है।
भाद्रपद माह में परिवर्तिनी एवं इंदिरा एकादशी आती हैं। परिवर्तिनी एकादशी के व्रत से सभी दु:ख दूर होकर मुक्ति मिलती है। पितरों को अधोगति से मुक्ति देने वाली इंदिरा एकादशी के व्रत से स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
आश्विन माह में पापांकुशा एवं रमा एकादशी आती हैं। पापांकुशा एकादशी सभी पापों से मुक्त कर अपार धन, समृद्धि और सुख देती है। रमा एकादाशी व्रत करने से सभी सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
कार्तिक माह में प्रबोधिनी एवं उत्पन्ना एकादशी आती हैं। देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से भाग्य जाग्रत होता है। इस दिन भगवान विष्‍णु चार महीने की निद्रा के बाद जाग जाते हैं। इस दिन तुलसी पूजा होती है। उत्पन्ना एकादशी व्रत करने से हजार वाजपेय और अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। इससे देवता और पितर तृप्त होते हैं।

Related Keywords

Indira Ekadashi , Utpnna Ekadashi , Shravana Putrada Ekadashi , Rama Ekadashi , Priwartini Ekadashi , Ekadashia Udaya , , July Sunday , July Monday , God Srihari , ஜூலை ஞாயிற்றுக்கிழமை , ஜூலை திங்கட்கிழமை ,

© 2024 Vimarsana

comparemela.com © 2020. All Rights Reserved.