When The Younger Brother Insisted On Getting A Scooter, The Engineer Brother Made An E cycle, Now He Is Earning Lakhs Of Rupees Every Month From His Business.
आज की पॉजिटिव खबर:छोटे भाई ने स्कूटर दिलाने की जिद की तो इंजीनियर भाई ने तैयार की ई साइकिल; फिर उसे बिजनेस में बदला, अब एक लाख रुपए महीना कमा रहे
वडोदरा11 घंटे पहलेलेखक: रोहित चावड़ा
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पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं। दिन ब दिन दाम बढ़ता जा रहा है। इसका सीधा असर हमारी जेब पर हो रहा है। जो लोग अपने काम के सिलसिले में या ऑफिस के लिए पेट्रोल वाले वाहन का इस्तेमाल करते हैं, उन पर अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ रहा है। ऊपर से पर्यावरण को अलग नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे अब इलेक्ट्रिक बाइक और साइकिल की डिमांड बढ़ रही है। कई बड़ी कंपनियां इस तरह के E व्हीकल बना रही हैं। ऐसा ही एक स्टार्टअप की शुरुआत वडोदरा के रहने वाले विवेक पगेना ने की है। वे इससे हर महीने एक लाख रुपए की कमाई कर रहे हैं।
कॉलेज के प्रोजेक्ट में बनाई थी पहली ई-बाइक
वडोदरा के गोत्री रोड के रहने वाले 25 साल के विवेक ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। साल 2017 में कॉलेज के फाइनल ईयर के प्रोजेक्ट में उन्होंने एक इलेक्ट्रिक बाइक तैयार की थी। जजों के एक पैनल ने विवेक के प्रोजेक्ट की बहुत तारीफ की और उन्हें प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए कहा था। इसलिए विवेक अपनी इलेक्ट्रिक बाइक सयाजी स्टार्टअप में ले गए। वहां भी, उनकी इलेक्ट्रिक बाइक के प्रोजेक्ट को काफी तारीफ मिली और यहीं से उनके सफर की शुरुआत हुई।
25 साल के विवेक ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इसके बाद थोड़े वक्त के लिए उन्होंने नौकरी भी की।
पैसों की कमी के चलते पहला स्टार्टअप बंद करना पड़ा
विवेक बताते हैं कि जब मैंने इलेक्ट्रिक बाइक बनाई थी तब मुझे मार्केटिंग का अनुभव नहीं था, लेकिन मैंने फ्लैश मोटरबाइक नाम से स्टार्टअप शुरू करने का फैसला किया। हालांकि पैसों की कमी के चलते मुझे इस प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले ही रोकना पड़ा। इसके बाद मैंने 2 साल तक डिजाइन इंजीनियर के रूप में काम किया, जहां मैंने इलेक्ट्रिक पैनल डिजाइन किए।
छोटे भाई ने स्कूटर दिलाने की जिद की तो पहली इलेक्ट्रिक साइकिल बनाई
ई-साइकिल के बारे में विवेक बताते हैं कि एक दिन मेरे छोटे भाई ने स्कूल जाने के लिए स्कूटर दिलाने की जिद की। इसलिए मैंने उसकी पुरानी साइकिल को ही इलेक्ट्रिक साइकिल में बदल दिया। इतना ही नहीं, सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई इस साइकिल की तस्वीरें रिश्तेदारों और दोस्तों को बहुत पसंद आईं। दुबई की एक कंपनी में काम करने वाले मेरे मामा ने मुझे दुबई में अपनी कंपनी के लिए साइकिल बनाने के लिए बुलाया और मैंने उस कंपनी के लिए एक इलेक्ट्रिक साइकिल तैयार की। इसके बाद ही मुझे भारत में और इलेक्ट्रिक साइकिल स्टार्टअप शुरू करने का ख्याल आया।
विवेक अभी अपने ई साइकिल की मार्केटिंग ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों ही तरह से देशभर में कर रहे हैं।
विवेक बताते हैं कि दुबई से भारत आने के बाद मैंने पेडो इलेक्ट्रा नाम से एक कंपनी शुरू की, लेकिन उस नाम से ट्रेडमार्क नहीं मिला। इसके बाद मैंने इसे ओडो बाइक का नाम दिया और इसी नाम से अब स्टार्टअप चला रहा हूं। सबसे पहले मुझे यूनाइटेड वे ऑफ बड़ौदा के गरबा में पहलवानों को पुरस्कार के रूप में देने के लिए 10 साइकिलें बनाने का बड़ा ऑर्डर मिला। इस तरह धीरे-धीरे मेरी साइकिल की बिक्री बढ़ने लगी और एक दिन में 3 से 4 ऑर्डर मिलने लगे। हालांकि, कोरोना के लॉकडाउन में बिक्री में गिरावट आई, लेकिन उस दौरान भी मैं साइकिलें बनाता रहा।
कैसे करते हैं मार्केटिंग?
विवेक ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों ही मोड में मार्केटिंग कर रहे हैं। देशभर में कहीं से भी इसके जरिए ऑर्डर किया जा सकता है। वे सोशल मीडिया के साथ ही फ्लिपकार्ट, अमेजन, इंडिया मार्ट जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग कर रहे हैं। ऑफलाइन के लिए उन्होंने उत्तरप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, दिल्ली, सहित साउथ इंडिया कई राज्यों में डीलरशिप चेन तैयार की है। वहां से भी E साइकिल खरीदी जा सकती है। कई और राज्यों में भी वे अपना नेटवर्क बढ़ा रहे हैं।
विवेक द्वारा बनाई गई इलेक्ट्रिक साइकिल की कीमत 25,000 रुपए से लेकर 46,500 रुपए तक है।
डिलीवरी के लिए उन्होंने कुछ ट्रांसपोर्टिंग कंपनियों से टाइअप कर रखा है। इसके लिए कस्टमर को एक यूजर गाइड दिया जाता है ताकि वे खुद इसे इंस्टॉल कर सकें। अगर किसी तरह की दिक्कत होती है तो उसे वीडियो कॉल के जरिए या लोकल स्टाफ भेजकर दूर करने की कोशिश होती है।
इलेक्ट्रिक साइकिल की खासियत
विवेक द्वारा बनाई गई इलेक्ट्रिक साइकिल की कीमत 25,000 रुपए से लेकर 46,500 रुपए तक है। एक बार चार्ज करने के बाद साइकिल 40 से 80 किमी तक चलाई जा सकती है। साइकिल के दायीं ओर एक एक्सेलेरेटर है और डिस्प्ले में स्पीड और बैटरी का लेवल दिखता है। साइकिल के पिछले टायरों में मोटर और सीट के निचले हिस्से में बैटरी लगी है। पैडल में एक सेंसर लगा होता है, जिससे पैडलिंग करते समय मोटर चालू करने पर साइकिल की स्पीड बढ़ जाती है। साइकिल में ई-ब्रेक और बुलेट वायरिंग भी दी गई है। ई-ब्रेक मारने से साइकिल की मोटर बंद हो जाती है और बुलेट वायरिंग हादसे के दौरान वायरिंग को डैमेज होने से बचाती है।
उनके मुताबिक बहुत हद तक यह E साइकिल एक आम साइकिल की तरह ही है। इसे ऑपरेट करना बिलकुल आसान है। साथ ही इसका मेंटेनेंस भी किफायती और सहूलियत भरा है। अगर किसी भी तरह की दिक्कत आती है तो एक कॉमन साइकिल रिपेयरिंग करने वाला इसकी मरम्मत कर सकता है।
भारत में तेजी से बढ़ रहा ई साइकिल का मार्केट? भारत में पिछले कुछ सालों से ई साइकिल का मार्केट बढ़ रहा है। इस सेक्टर में तेजी से नए-नए स्टार्टअप आ रहे हैं। अलग-अलग राज्य सरकारें भी इसको लेकर पहल कर रही हैं। खास करके कोरोनाकाल में ई साइकिल की डिमांड ज्यादा बढ़ी है। पिछले साल कोरोना के दौरान ही बिहार के रहने वाले प्रशांत कुमार ने voltron नाम से ई साइकिल का स्टार्टअप शुरू किया। अब तक वे 30 लाख से ज्यादा का बिजनेस कर चुके हैं। उन्होंने 10 लोगों को रोजगार से भी जोड़ा है (पढ़िए पूरी खबर)। इसी तरह महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले कुनाल गुप्ता ने भी साल 2020 में ई-मोटोरैड नाम से ई साइकिल का बिजनेस शुरू किया। अब तक वे 70 करोड़ रुपए का कारोबार कर चुके हैं। उन्हें विदेशों से भी ऑर्डर मिलते हैं (पढ़िए पूरी खबर)।
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