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शिमला/रामपुर बुशहर 10 जुलाई (निस)
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह आज पंचतत्व में विलीन हो गए। वीरभद्र सिंह का रामपुर बुशहर में जोगणी बाग स्थित शाही श्मशानघाट में पूरे राजकीय व राजशाही परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार कर दिया गया। वीरभद्र सिंह की पार्थिव देह को उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने मुखाग्नि दी। लोकवाद्य यंत्रों की धुनों के साथ वीरभद्र सिंह को अंतिम विदाई दी गई। अनंत यात्रा में 20 हजार से अधिक लोग शामिल हुए। वीरभद्र सिंह का लंबी बीमारी के बाद 8 जुलाई को शिमला में निधन हो गया था।
वीरभद्र सिंह की शवयात्रा दोपहर बाद लगभग पौने तीन बजे रामपुर स्थित पद्म पैलेस से आरंभ हुई। विक्रमादित्य ने वीरभद्र के ‘बमाण’ को कंधा दिया। पद्म पैलेस से लेकर जोगणी बाग श्मशानघाट तक सड़क के दोनों ओर और घरों की छतों से लोगों ने पुष्प वर्षा कर राजा को नम आंखों से विदाई दी।
रामपुर में शनिवार को वीरभद्र सिंह की अंत्येष्टि के मौके पर उनके पुत्र विक्रमादित्य िसंह।
- अमित कंवर
वीरभद्र सिंह की पार्थिव देह तिरंगे में लिपटी हुई थी और इसे एक खास तरह से बनाई गई राजशाही अर्थी ‘बमाण’ में रखा गया था। अंतिम संस्कार में चंदन और स्थानीय चंदन (शूर) तथा सामान्य लकड़ी का प्रयोग हुआ। श्मशान घाट पर हवन भी किया गया जिसे राज परिवार से जुड़े पंडितों ने पूरा करवाया।
अंतिम संस्कार में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश वघेल, कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष पवन बंसल, कार्यसमिति सदस्य व सांसद आनंद शर्मा, कांग्रेस के हिमाचल मामलों के प्रभारी राजीव शुक्ला, सह प्रभारी संजय दत्त, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर, हिमाचल के शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज, वन मंत्री राकेश पठानिया, पंजाब के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल भी शामिल हुए।
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10 घंटे पहले
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
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