महामारी के दौरान नयी तकनीकों पर काम कर रहे युवाओं ने साझा की अपनी सफलता की कहानिया। जब ऐसा लग रहा था कि अब ज़िंदगी वापिस अपने ट्रैक पर आ जाएगी और एक बार सब अपने काम काज पर लौट पाएंगे, कोरोना वायरस ने दुबारा दस्तक दे दी और अब खबर यह भी है की तीसरी लहर भी जल्दी आ सकती है। महामारी और lockdown के चलते युवा वर्ग के सामने बहुत सी समस्याए और चुनौतियां आ गयी हैं, उनमें बेरोज़गारी , शिक्षा के सीमित साधन और अभाव , गरीबी आदि मुख्य मुद्दे हैं , तो वही वर्क फ्रॉम होम कल्चर, वर्चुअल एजुकेशन जैसे नए ट्रेंड्स भी सामने आये, इन ट्रेंड्स को युवा वर्ग जहाँ आरामदायक मान रहा है वही इन ट्रेंड्स के चलते मानसिक हेल्थ, डिप्रेशन आदि जैसी समस्याएँ भी सामने आ रही हैं. भारत के युवा एक जटिल स्थिति का सामना कर रहे हैं, और उन्हें समाधान प्रदान करना सर्वोपरि है। इसी कठिन परिस्थिति को देखते हुए उसका सामना करने के लिए अर्थ स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजीज के छात्रों ने वेब इवेंट का आयोजन किया। यह आयोजन जयपुर स्थित टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट और एडुकेशनिस्ट विमल डागा के तत्वाधान में हुआ। इस दौरान सभी ने चुनौतियों का सामना करते हुए सफलता प्राप्त करने और क्रिएटिव रहते हुए काम करने की ज़रूरत पर बल दिया।
इस वेबिनार में जहाँ वर्किंग प्रोफेशनल्स युवाओ ने हिस्सा लिया वही ऑनलाइन एजुकेशन प्राप्त कर रहे स्टूडेंट्स ने भी भाग लिया । इस वेब इवेंट में छात्रों ने
अपनी सक्सेस स्टोरीज शेयर की और इनोवेटिव टिप्स भी शेयर किये। इस इवेंट में बहुत से छात्र ऐसे भी रहे जिन्होंने इस दौरान रचनात्मक रहते हुए कुछ ऐसी नयी तकनीकों का निर्माण किया जो महामारी की स्थिति में मील का पत्थर साबित होंगी और सामजिक उत्थान में भी मददगार साबित होंगी।
इस आयोजन में दिल्ली , जयपुर और चंडीगढ़ से छात्रों और युवा प्रोफेशनल्स ने भाग लिया। इस दौरान छात्रों ने यह भी बताया कि कैसे उन्होंने अपने कम्फर्ट जोन को छोड़ा और खुद के स्टार्ट अप लांच करने की और नयी शुरुआत की और साथ ही एंटरप्रेंयूर्शिप की और प्रयास करने शुरू किये।
विमल डागा के अनुसार, वेबिनार की इस सीरीज ने छात्रों और शिक्षकों के लिए नई संभावनाओं को खोल दिया है, युवाओं के लिए लॉकडाउन सबसे कठिन चरण रहा औरअभी भी अनेक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं जिनमे मेन्टल हेल्थ की तरफ ध्यान देना बहुत ज़रूरी है। हमारी इस वेब कार्यशाला के ज़रिये प्रतिभागियों ने एक कॉमन प्लेटफार्म साझा किया।
कार्यशाला के दौरान रचनात्मक होने के साथ-साथ घर से काम करने का ट्रेंड भी सामने आया और छात्रों ने महामारी की स्थिति में घर से काम करने की संस्कृति को अपनाते हुए रचनात्मक बने रहने के तरीके भी सुझाए । अर्थ से जुड़े रजित पॉल IIEC DOT का हिस्सा बने, यह एक ऐसा संगठन है द्वारा जिसके द्वारा कोविड सेंटर चलाये गए और कोविड से निपटने में मदद करने के लिए नवीन और ट्रेंडिंग तकनीकों का निर्माण किया।
रजित ने मशीन लर्निंग एल्गोरिदम विकसित किया जो फेफड़ों में covid पैटर्न का पता लगा सकता है और यह विश्लेषण कर सकता है कि आप बीमार हैं या नहीं या आप कोविड से प्रभावित हैं या फिर आपको भविषय में संक्रमित होने की कितनी संभावना है।
इस वेबिनार में मनाली जैन ने बताया कि कैसे वह महामारी के समय में परेशान हुए बिना ऑनलाइन विकल्पों की तलाश करती रही और बिना ध्यान खोए या विचलित हुए नौकरी की तलाश करती रही । विकट परिस्थितियों ने उसकी स्पिरिट को कम नहीं किया और ऐसे समय में खुद को एंटरटेन करते हुए नए कौशल सीखने के प्रति अग्रसर रही। मनाली ने कम्युनिटी सर्विसेज करते हुए लोगो को ऑक्सीजन और भोजन उपलब्ध करवाने के लिए सामजिक संसथान से जुडी और आज वे खुद अपना सामजिक संस्थान खोलने का मन बना चुकी हैं और साथ ही ऐसे ऐप पर काम कर रही हैं जिसके द्वारा लोगो को ऑक्सीजन और भोजन की सहायता पहुचायी जा सकेगी।
बेंगलुरु के राहुल कुमार ने साइबर सुरक्षा और डिजिटल खतरे के मुद्दों का अवलोकन दिया और कई उपयोगी सुझाव दिए कि कैसे लोग साइबर हमलों से खुद को बचा सकते हैं। जैसा कि वर्क फ्रॉम होम लॉकडाउन के समय में बढ़ता जा रहा है, जिससे कई सुरक्षा मुद्दे सामने आ रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि कर्मचारियों के लिए कार्यालयों में जाना असंभव है, और वीपीएन समस्याएं भी हैं, संवेदनशील डेटा को संभालने के मुद्दे, लैपटॉप से जुड़े सुरक्षा मुद्दे आदि। हैकर्स डेटाबेस पर हमला कर रहे थे जिसमें इस समय निजी और संवेदनशील कंपनी की जानकारी थी, राहुल द्वारा ऐसी तकनीक को विकसित करने का काम किया जा रहा है जिसकी मदद से आम आदमी भी जान पायेगा की कैसे वो अपने फ़ोन या सिस्टम को साइबर क्राइम से प्रोटेक्ट कर सकते हैं।
हरविंदर सिंह की कहानी भी बहुत प्रेरणादायक थी और उनके अनुसार जब महामारी आई तो वह अपने हॉस्टल में थे और सभी को हॉस्टल छोड़ने के लिए कहा गया था। वह भ्रमित थे लेकिन परेशान हुए बिना वे अपनी नौकरी भी खोजते रहे और प्रयास करते रहे , वे अपने चाचा के साथ सामुदायिक सेवा भी करते रहे और साथ ही आज बहुत ाची कंपनी में नौकरी कर रहे हैं, उन्होने वर्क फ्रॉम होम कल्चर के दौरान तनावमुक्त रहते हुए काम करने और क्रिएटिविटी पर ज़ोर दिया और महत्वपूर्ण टिप्स भी साझा किये।
इसी तरह, रितेश रेड्डी को भी lockdown के दौरान इसी तरह की दुविधा का सामना करना पड़ा, लेकिन इस समय में अपनी पढ़ाई करते हुए उन्होने कुछ तकनीकी पार्ट्स ढूंढते हुए २ ड्रोन विकसित कर लिए जिनका उपयोग वो हेल्थ वर्कर्स की सहायता के लिए करेंगे।