नयी दिल्ली, 27 जुलाई (एजेंसी)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर मनाए जाने वाले ‘अमृत महोत्सव’ को जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया है। संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के अनुसार मंगलवार को भाजपा संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, आजादी का अमृत महोत्सव केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं है। यह जन आंदोलन के रूप में होना चाहिए, जन भागीदारी के साथ हमें आगे बढ़ना है। मेघवाल के मुताबिक प्रधानमंत्री ने सांसदों से उनके संसदीय क्षेत्रों में जोर-शोर से आजादी का ‘अमृत महोत्सव’ मनाने को कहा और सुझाव दिया कि वे हर विधानसभा क्षेत्र में 2-2 कार्यकर्ताओं की टोली तैयार करें जो 75 गांवों का दौरा करे और वहां 75 दिन रुके। केंद्रीय मंत्री के अनुसार मोदी ने कहा, ‘यह टोली जनता के बीच जाकर डिजिटल साक्षरता के बारे जागरूकता फैलाए। सांसद इस कार्यक्रम का प्रतिनिधित्व करें।’
‘विपक्षी दलों के रवैये की पोल खोलें’
संसद में विपक्षी दलों के हंगामे के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने पार्टी संसदीय दल की बैठक में पार्टी सांसदों से कहा कि वे विपक्षी दलों के रवैये के बारे में जनता को बताएं कि सरकार सभी मुद्दों पर बहस के लिए तैयार है, किंतु विपक्षी दल इससे भाग रहे हैं। मोदी ने कहा कि विपक्षी दल जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं।
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22 घंटे पहले
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।
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