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पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई जम्मू में आतंकी हमले करने में बुरी तरह से नाकाम साबित हुई है। सीमा पार से घुसपैठ करके आने वाले आतंकी किसी हमले को अंजाम नहीं दे पा रहे। इससे बौखलाकर अब पाकिस्तानी सेना और आईएसआई आसमान से हमलों की साजिश रच रही है। यही एक कारण है कि जम्मू में पहले वायुसेना स्टेशन पर हमला हुआ और इसके बाद लगातार ड्रोन गतिविधियां सैन्य ठिकानों पर देखी जा रही हैं। 
पिछले तीन साल का रिकार्ड देखा जाए तो आतंकी एक भी हमले में कामयाब नहीं हुए। साथ ही सीमा पार से होने वाली घुसपैठ नहीं हो रही। सीजफायर में भी वह कामयाब नहीं हो सके। जम्मू में अंतिम सबसे बड़ा आतंकी हमला 2018 में हुआ था। इसके बाद कोई भी हमला जम्मू में नहीं हुआ है। 10 फरवरी 2018 को आतंकियों ने जम्मू के सुंजवां सैन्य कैंप पर हमला किया था।
इसमें 6 सैनिक शहीद हो गए और एक नागरिक मारा गया। इसके बाद से अब तक आतंकी जम्मू में कोई बड़ा हमला नहीं कर पाए हैं। हालांकि, इस दौरान 2018 में झज्जर कोटली, 2020 को नगरोटा के बन टोल प्लाजा पर कश्मीर जाते आतंकी पकड़े गए और इनको बिना किसी नुकसान के मार गिराया गया। 2020 में जम्मू के बस स्टैंड पर हमला हुआ। 
सेना के प्रवक्ता का कहना है कि पाकिस्तान आतकियों की घुसपैठ कराकर हमले नहीं करवा रहा। उसका हर प्रयास विफल हो रहा है। इसी से बौखलाकर इस तरह की हरकतें कर रहा है। सेना पाकिस्तान के ड्रोन वाली साजिश का जवाब देने के लिए रणनीति बना रही है। 
तीन ड्रोन और दिखे
आपको बता दें कि सोमवार-मंगलवार की रात तीन और ड्रोन सैन्य ठिकानों की रेकी करते दिखाई दिये। इस तरह तीन दिनों में अब तक सात ड्रोन दिखाई दिये हैं। तमाम गतिविधियों को लेकर सुरक्षाकर्मी सतर्क हैं। 
हर मोर्च पर असफल, इसलिए अब ड्रोन का सहारा 
पाकिस्तान सीमा पार आतंकियों को नहीं भेज पा रहा। यदि भेज रहा है तो या आतंकी मारे जा रहे हैं या पकड़े जा रहे हैं। सीजफायर होता था, उसमें भी पाकिस्तान को बड़ा नुकसान हुआ। उसका सीमा पर लगता ढांचा बुरी तरह से तबाह हुआ। अपने ढांचे को दुरुस्त करने के लिए पाकिस्तान ने सीजफायर कर लिया, ताकि दोबारा अपने ढांचे को खड़ा कर सके। जब तक यह ढांचा न खड़ा हो, इसलिए अब ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है। 
-वी के साही, रिटायर कर्नल, रक्षा विषेषज्ञ
 
सतवारी एयरफोर्स स्टेशन के पास नागरिक एयरपोर्ट भी खतरे के घेरे में है। एयरपोर्ट के आसपास कई ऊंची-ऊंची इमारतें बन चुकी हैं। पिछले 20 सालों से एयरपोर्ट के आसपास की भौगोलिक स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। यहां कश्मीर, रोहिंग्या और कई अन्य देशों के नागरिकों ने आकर अपना डेरा जमा रखा है। साथ ही कई चार मंजिला तक इमारतें बन चुकी हैं। यहां से एयरपोर्ट पर खड़े विमानों को आसानी से देखा जा सकता है और रनवे तक नजर में आता है। यह एक बड़ा खतरे का संकेत है। 
सेना के रिटायर कर्नल वीके साही का कहना है कि 30 साल पहले उन्होंने एयरपोर्ट के पास घर बनाया था। तब उन्हें दो मंजिला इमारत बनाने की ही अनुमति थी। लेकिन अब इसके आसपास कई ऊंची इमारतें बन चुकी हैं। यहां से एयरपोर्ट को साफ देखा जा सकता है। भौगोलिक स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। लिहाजा इस पर गौर करने की आवश्यकता है। नहीं तो यह बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
विस्तार
पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई जम्मू में आतंकी हमले करने में बुरी तरह से नाकाम साबित हुई है। सीमा पार से घुसपैठ करके आने वाले आतंकी किसी हमले को अंजाम नहीं दे पा रहे। इससे बौखलाकर अब पाकिस्तानी सेना और आईएसआई आसमान से हमलों की साजिश रच रही है। यही एक कारण है कि जम्मू में पहले वायुसेना स्टेशन पर हमला हुआ और इसके बाद लगातार ड्रोन गतिविधियां सैन्य ठिकानों पर देखी जा रही हैं। 
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पिछले तीन साल का रिकार्ड देखा जाए तो आतंकी एक भी हमले में कामयाब नहीं हुए। साथ ही सीमा पार से होने वाली घुसपैठ नहीं हो रही। सीजफायर में भी वह कामयाब नहीं हो सके। जम्मू में अंतिम सबसे बड़ा आतंकी हमला 2018 में हुआ था। इसके बाद कोई भी हमला जम्मू में नहीं हुआ है। 10 फरवरी 2018 को आतंकियों ने जम्मू के सुंजवां सैन्य कैंप पर हमला किया था।
इसमें 6 सैनिक शहीद हो गए और एक नागरिक मारा गया। इसके बाद से अब तक आतंकी जम्मू में कोई बड़ा हमला नहीं कर पाए हैं। हालांकि, इस दौरान 2018 में झज्जर कोटली, 2020 को नगरोटा के बन टोल प्लाजा पर कश्मीर जाते आतंकी पकड़े गए और इनको बिना किसी नुकसान के मार गिराया गया। 2020 में जम्मू के बस स्टैंड पर हमला हुआ। 
सेना के प्रवक्ता का कहना है कि पाकिस्तान आतकियों की घुसपैठ कराकर हमले नहीं करवा रहा। उसका हर प्रयास विफल हो रहा है। इसी से बौखलाकर इस तरह की हरकतें कर रहा है। सेना पाकिस्तान के ड्रोन वाली साजिश का जवाब देने के लिए रणनीति बना रही है। 
तीन ड्रोन और दिखे
आपको बता दें कि सोमवार-मंगलवार की रात तीन और ड्रोन सैन्य ठिकानों की रेकी करते दिखाई दिये। इस तरह तीन दिनों में अब तक सात ड्रोन दिखाई दिये हैं। तमाम गतिविधियों को लेकर सुरक्षाकर्मी सतर्क हैं। 
हर मोर्च पर असफल, इसलिए अब ड्रोन का सहारा 
पाकिस्तान सीमा पार आतंकियों को नहीं भेज पा रहा। यदि भेज रहा है तो या आतंकी मारे जा रहे हैं या पकड़े जा रहे हैं। सीजफायर होता था, उसमें भी पाकिस्तान को बड़ा नुकसान हुआ। उसका सीमा पर लगता ढांचा बुरी तरह से तबाह हुआ। अपने ढांचे को दुरुस्त करने के लिए पाकिस्तान ने सीजफायर कर लिया, ताकि दोबारा अपने ढांचे को खड़ा कर सके। जब तक यह ढांचा न खड़ा हो, इसलिए अब ड्रोन का इस्तेमाल कर रहा है। 
-वी के साही, रिटायर कर्नल, रक्षा विषेषज्ञ
 
एयरपोर्ट के पास खड़ी हो गईं कई इमारतें
सतवारी एयरफोर्स स्टेशन के पास नागरिक एयरपोर्ट भी खतरे के घेरे में है। एयरपोर्ट के आसपास कई ऊंची-ऊंची इमारतें बन चुकी हैं। पिछले 20 सालों से एयरपोर्ट के आसपास की भौगोलिक स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। यहां कश्मीर, रोहिंग्या और कई अन्य देशों के नागरिकों ने आकर अपना डेरा जमा रखा है। साथ ही कई चार मंजिला तक इमारतें बन चुकी हैं। यहां से एयरपोर्ट पर खड़े विमानों को आसानी से देखा जा सकता है और रनवे तक नजर में आता है। यह एक बड़ा खतरे का संकेत है। 
सेना के रिटायर कर्नल वीके साही का कहना है कि 30 साल पहले उन्होंने एयरपोर्ट के पास घर बनाया था। तब उन्हें दो मंजिला इमारत बनाने की ही अनुमति थी। लेकिन अब इसके आसपास कई ऊंची इमारतें बन चुकी हैं। यहां से एयरपोर्ट को साफ देखा जा सकता है। भौगोलिक स्थिति पूरी तरह से बदल चुकी है। लिहाजा इस पर गौर करने की आवश्यकता है। नहीं तो यह बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
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