comparemela.com


ख़बर सुनें
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अपनी आत्मकथा लिखने की कई बार बात कर चुके थे। उन्होंने पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री रहते हुए भी कई बार यह कहा था कि वह अपने जीवन पर एक किताब लिखना चाहते हैं। बीच में स्वास्थ्य ठीक नहीं होने और अन्यत्र व्यस्तता के कारण वह इसके लिए वक्त नहीं दे सके। वीरभद्र अपने जीवन को हमेशा खुली किताब बताते थे।
वह हिमाचल प्रदेश के सर्वाधिक अनुभवी नेता थे, जो पंडित जवाहरलाल नेहरू को राजनीतिक गुरु मानते थे। नेहरू ने ही उन्हें राजनीति में भी लाया। उसके बाद वह इंदिरा गांधी, मनमोहन सरकार आदि में भी केंद्र में कैबिनेट मंत्री या केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में प्रमुख भूमिकाओं में रहे। वीरभद्र सिंह कई बार भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की कार्यशैली से जुड़ी कई यादें भी साझा करते थे। 
आपको बता दें कि वीरभद्र का निधन सुबह 3.40 बजे हुआ। दोबारा कोरोना पॉजिटिव आने के बाद से वह शिमला के आईजीएमसी में उपचाराधीन थे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता के निधन से प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। 
वह करीब ढाई महीने से आईजीएमसी में दाखिल थे। सोमवार को अचानक तबीयत खराब होने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर दाखिल कर दिया था जिसके बाद से वह बेहोशी की हालत में यहां पर उपचाराधीन थे। लेकिन गुरुवार  सुबह 3:40 मिनट पर उनकी मौत हो गई। आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने उनकी मौत की पुष्टि की है। वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून, 1934 को बुशहर रियासत के राजा पदम सिंह के घर में हुआ।
लोकसभा के लिए वह पहली बार 1962 में चुने गए। उसके बाद 1967, 1971, 1980 और 2009 में भी चुने गए। वीरभद्र 983 से 1985 पहली बार, फिर 1985 से 1990 तक दूसरी बार, 1993 से 1998 में तीसरी बार, 1998 में कुछ दिन चौथी बार, फिर 2003 से 2007 पांचवीं बार और 2012 से 2017 छठी बार मुख्यमंत्री बने। अभी वीरभद्र सिंह अर्की से विधायक थे। उनके पास केंद्रीय इस्पात मंत्रालय रह चुका। इसके अलावा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय भी उनके पास रहा। 
विस्तार
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अपनी आत्मकथा लिखने की कई बार बात कर चुके थे। उन्होंने पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री रहते हुए भी कई बार यह कहा था कि वह अपने जीवन पर एक किताब लिखना चाहते हैं। बीच में स्वास्थ्य ठीक नहीं होने और अन्यत्र व्यस्तता के कारण वह इसके लिए वक्त नहीं दे सके। वीरभद्र अपने जीवन को हमेशा खुली किताब बताते थे।
विज्ञापन
वह हिमाचल प्रदेश के सर्वाधिक अनुभवी नेता थे, जो पंडित जवाहरलाल नेहरू को राजनीतिक गुरु मानते थे। नेहरू ने ही उन्हें राजनीति में भी लाया। उसके बाद वह इंदिरा गांधी, मनमोहन सरकार आदि में भी केंद्र में कैबिनेट मंत्री या केंद्रीय राज्य मंत्री के रूप में प्रमुख भूमिकाओं में रहे। वीरभद्र सिंह कई बार भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी की कार्यशैली से जुड़ी कई यादें भी साझा करते थे। 
आपको बता दें कि वीरभद्र का निधन सुबह 3.40 बजे हुआ। दोबारा कोरोना पॉजिटिव आने के बाद से वह शिमला के आईजीएमसी में उपचाराधीन थे। वरिष्ठ कांग्रेस नेता के निधन से प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। 
वह करीब ढाई महीने से आईजीएमसी में दाखिल थे। सोमवार को अचानक तबीयत खराब होने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर दाखिल कर दिया था जिसके बाद से वह बेहोशी की हालत में यहां पर उपचाराधीन थे। लेकिन गुरुवार  सुबह 3:40 मिनट पर उनकी मौत हो गई। आईजीएमसी के एमएस डॉ. जनक राज ने उनकी मौत की पुष्टि की है। वीरभद्र सिंह का जन्म 23 जून, 1934 को बुशहर रियासत के राजा पदम सिंह के घर में हुआ।
लोकसभा के लिए वह पहली बार 1962 में चुने गए। उसके बाद 1967, 1971, 1980 और 2009 में भी चुने गए। वीरभद्र 983 से 1985 पहली बार, फिर 1985 से 1990 तक दूसरी बार, 1993 से 1998 में तीसरी बार, 1998 में कुछ दिन चौथी बार, फिर 2003 से 2007 पांचवीं बार और 2012 से 2017 छठी बार मुख्यमंत्री बने। अभी वीरभद्र सिंह अर्की से विधायक थे। उनके पास केंद्रीय इस्पात मंत्रालय रह चुका। इसके अलावा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग मंत्रालय भी उनके पास रहा। 
आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है। खबरों को बेहतर बनाने में हमारी मदद करें।
खबर में दी गई जानकारी और सूचना से आप संतुष्ट हैं?
हां

Related Keywords

Boston ,Massachusetts ,United States ,Himachal Pradesh ,India ,King Padma Singh ,Virbhadra Singh ,Jawaharlal Nehru ,Indira Gandhi ,Amar Ujala Network ,Virbhadra Her ,Virbhadra Singh Her ,Virbhadra Singh Arki ,போஸ்டன் ,மாசசூசெட்ஸ் ,ஒன்றுபட்டது மாநிலங்களில் ,இமாச்சல் பிரதேஷ் ,இந்தியா ,விர்பத்ரா சிங் ,ஜவஹர்லால் நேரு ,இந்திரா காந்தி ,

© 2024 Vimarsana

comparemela.com © 2020. All Rights Reserved.