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Prabhasakshi's NewsRoom: दीदी कर रहीं एंटी-बीजेपी फ्रंट की तैयारी, जानें क्या है भाजपा का मिशन उत्तर प्रदेश
बृहस्पतिवार को इस बैठक में अवध, काशी और गोरखपुर क्षेत्र के सांसद मौजूद रहेंगे। उत्तर प्रदेश में भाजपा के 62 लोकसभा और 22 राज्यसभा सदस्य सहित कुल 84 सांसद हैं।
चाहे देश की परिस्थिति कैसी भी क्यों ना हो परंतु चुनाव और चुनावी तैयारी दोनों पर ब्रेक नहीं लगना चाहिए। नेता संसद में हंगामा भले ही कर रहे हो लेकिन पार्टी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता देखने बनती हैं। संसद में हो-हंगामा और कोरोना महामारी के बीच देश की सबसे बड़ी पार्टी अब चुनावी तैयारी में एक बार फिर से जुट गई है। इसी का हम विश्लेषण करेंगे। 
भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के सांसदों के साथ एक बैठक की और आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों और रणनीति को लेकर मंथन किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस बैठक में शामिल हुए। मिली जानकारी के मुताबिक बैठक को संबोधित करते हुए नड्डा ने भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों की अहमियत पर विस्तार से अपनी बात रखी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं के चुनावों के मद्देनजर राज्य में होने वाले कार्यक्रमों को लेकर चर्चा की। साथ ही बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किए गए उत्तर प्रदेश के सांसद अपने-अपने संसदीय व आसपास के क्षेत्रों में आशीर्वाद यात्रा निकालेंगे। राजधानी स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब में हुई इस बैठक में बृज और कानपुर क्षेत्र के सांसदों के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भी सांसद मौजूद थे। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के प्रभारी राधामोहन सिंह, राज्य इकाई के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और राज्य के संगठन महामंत्री सुनील बंसल भी बैठक में शामिल हुए। बैठक में नड्डा ने सांसदों को टीकाकरण केंद्रों का दौरा करने और वहां लोगों को आ रही परेशानियों को दूर करने तथा कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के उपायों के प्रति जनता में जागरुकता फैलाने को कहा। बैठक में शामिल वरिष्ठ नेता और मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने को बताया कि बैठक में केंद्र व राज्य सरकार द्वारा किए गए विकास कार्यों के बारे में सांसदों को विस्तार से बताया गया और उन्हें इसके बारे में जनता को बताने को कहा गया। 
केंद्रीय मंत्रिपरिषद में पिछले दिनो हुए विस्तार में सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व उत्तर प्रदेश को मिला। विभिन्न जाति व वर्ग से आने वाले प्रदेश के सात सांसदों को मंत्री बनाया गया था। प्रधानमंत्री मोदी सहित केंद्रीय मंत्रिमंडल में अब 15 मंत्री उत्तर प्रदेश से हैं। पहली बार ऐसा हुआ है जब केंद्र सरकार में इतनी बड़ी संख्या में राज्य को प्रतिनिधित्व मिला है। अब पार्टी इसे आगामी विधानसभा चुनाव में भुनाने में जुट गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नड्डा ने अपने संबोधन के दौरान राज्य में कानून व्यवस्था का राज स्थापित करने और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना की और कहा कि पिछले चार सालों में राज्य को उन्होंने नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। उन्होंने सभी सांसदों से अपने संसदीय क्षेत्रों के तहत आने वाले विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने का जिम्मा लेने को कहा और साथ ही कहा कि 2022 के चुनाव में पिछले चुनाव से ‘‘बड़ी लकीर’’ खींचनी है। यह बैठक दो दिन की है। बृहस्पतिवार को इस बैठक में अवध, काशी और गोरखपुर क्षेत्र के सांसद मौजूद रहेंगे। उत्तर प्रदेश में भाजपा के 62 लोकसभा और 22 राज्यसभा सदस्य सहित कुल 84 सांसद हैं।
इस बात को भी समझेंगे कि ममता का दिल्ली मोह कैसे जग रहा है। बंगाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा को शिकस्त देने के बाद ममता बनर्जी का आत्मविश्वास उन्हें दिल्ली की सत्ता के करीब ला रहा है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी को रोकने के लिए विपक्ष का चेहरा बनाए जाने के मुद्दे पर कहा कि ‘‘यह सब परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।’’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यदि उनके अलावा किसी और को विपक्ष का नेतृत्व दिया जाता है तो उन्हें कोई समस्या नहीं है। सोनिया गांधी और अरविंद केजरीवाल से मुलाकात के बाद ममता से साफ तौर पर कहा कि भाजपा को हराने के लिए एकजुट होना होगा। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद राष्ट्रीय राजधानी की पहली यात्रा पर आईं बनर्जी ने कहा कि चुनाव में उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस का नारा था- ‘खेला होबे’, जो कि अब देशभर में गूंजेगा। उन्होंने कहा कि अब “अच्छे दिन” की बजाय “सच्चे दिन” आने का समय है। बनर्जी को 2024 के आम चुनाव के लिए उनकी पार्टी द्वारा विपक्ष का चेहरा बनाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन इसे लेकर खुद उनके भीतर मिलाजुला भाव है। नेतृत्व के मुद्दे पर उन्होंने कहा, “मैं स्थिति से मुकाबले के लिए सभी विपक्षी दलों की सहायता करना चाहती हूं। मैं नेता नहीं, बल्कि आम कार्यकर्ता बनना चाहती हूं।” बनर्जी से जब पूछा गया कि क्या वह विपक्ष का चेहरा बनना चाहती हैं, जिसके जवाब में उन्होंने कहा, “मैं कोई राजनीतिक भविष्यवक्ता नहीं हूं। यह परिस्थिति पर निर्भर करता है। अगर कोई और नेतृत्व करता है तो मुझे कोई समस्या नहीं। जब इस मुद्दे पर चर्चा होगी तब हम निर्णय ले सकते हैं। मैं अपना निर्णय किसी पर थोप नहीं सकती।” बनर्जी ने कहा कि जब चुनाव नजदीक आएंगे तो भगवा पार्टी से लड़ने के लिए कई चेहरे होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘आकार के आधार पर भाजपा बड़ी हो सकती है लेकिन राजनीतिक नजरिये से विपक्ष, भाजपा से अधिक मजबूत है। वे इतिहास रचेंगे।’’ तृणमूल अध्यक्ष बनर्जी, प्रधानमंत्री के सबसे तीखे आलोचकों में से एक हैं।
भले ही ममता पूरी प्रतिबद्धता के साथ विपक्ष को एकजुट करने में जुटी हुई हैं। लेकिन सवाल अब भी वही है कि विपक्ष का चेहरा कौन होगा? विपक्ष हो-हल्ला में ही लगा हुआ है। वहीं प्रतिद्वंदी पार्टी भाजपा चुनावी तैयारियों में जुट गई है। देखना होगा देश की राजनीति और राजनेता समय के साथ कौन सा करवट लेते हैं। लेकिन इतना तो तय है 2022 के जरिए ही 2024 की पटकथा लिखी जाएगी और इस बात को भाजपा ही क्या सभी पार्टियां समझती है। 
 
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