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किन्नौर की सांगला घाटी में बटसेरी के पास रविवार दोपहर बाद चट्टान िगरने से टूटा पुल। -प्रेट्र
ज्ञान ठाकुर/निस
शिमला, 25 जुलाई
हिमाचल प्रदेश के जनजातीय जिले किन्नौर की सांगला घाटी में बटसेरी के पास आज दोपहर बाद भूस्खलन की चपेट में आने से 9 पर्यटकों की मौत हो गई जबकि 3 अन्य घायल हो गए। ये पर्यटक एक वाहन एचआर-55एजी 2003 में सवार थे। एक राहगीर भी इस घटना में घायल हो गया। हादसे में सांगला-छितकुल मार्ग पर स्थित बटसेरी बैली ब्रिज भी ध्वस्त हो गया। घटना में निजी व सरकारी सम्पत्ति को भारी नुकसान हुआ है।
जानकारी के अनुसार आज दोपहर बाद लगभग डेढ़ बजे बटसेरी के पास पहाड़ से अचानक भूस्खलन हुआ। पहाड़ की कई किलोमीटर की ऊंचाई से चट्टानें पत्थरों की बरसात के रूप में बटसेरी पुल के पास आ पहुंची। घटना के समय यहां सड़क से कई वाहन गुजर रहे थे। इनमें से एक टैम्पो ट्रैवलर पहाड़ से गिरी भारी भरकम चट्टान की चपेट में आ गया और पलक झपकते ही इसमें सवार 11 पर्यटकों में से 9 की मौत हो गई जबकि 2 गंभीर रूप से घायल हो गए। बटसेरी पुल के पास खेत में काम कर रहा एक स्थानीय व्यक्ति भी चट्टानों की चपेट में आ जाने से घायल हो गया। तीनों व्यक्तियों को उपचार के लिए सांगला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
हादसे में मारे गए पर्यटकों में महाराष्ट्र के नागपुर जिले की प्रतीक्षा सुनील पाटिल, जयपुर की दीपा शर्मा, छत्तीसगढ़ के कोरबादारी के अमोग बापट्ट, दिल्ली के टैगोर गार्डन का रहने वाला वाहन चालक उमराव सिंह, कुमार उल्लास वेद पाठक, राजस्थान के सीकर की माया देवी बियानी उनका बेटा अनुराग और बेटी ऋचा तथा छत्तीसगढ़ का सतीश कटगवाड़ शामिल हैं। घायलों में दिल्ली के शिरिल ओबराय, मोहाली के नवीन भारद्वाज और बटसेरी के मलवार गांव का रणजीत सिंह शामिल हैं।
इस घटना में बटसेरी पुल के पास ही खड़े कुछ पर्यटक बाल-बाल बच गए। हालांकि उनकी कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। इस हादसे में एक भारी भरकम चट्टान बटसेरी स्थित बैली ब्रिज पर आ गिरी जिससे पुल पलक झपकते ही बास्पा नदी में जा गिरा। हादसे की सूचना मिलते ही स्थानीय लोगों और पुलिस ने बचाव अभियान आरंभ कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हादसे पर गहरा दु:ख जताया है। घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपये प्रधानमंत्री राहत कोष से देने की घोषणा की गयी है।
एक दिन पहले भी हुआ था भूस्खलन
इसी स्थान पर बीते रोज भी भूस्खलन हुआ था। इसकी चपेट में आने से एक कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। हालांकि इसमें सवार पर्यटक और चालक करिश्माई ढंग से बच गए थे। ऐसे में यदि स्थानीय प्रशासन ने इस सड़क पर वाहनों की आवाजाही बंद कर दी होती या फिर लोगों को सचेत रहकर यहां से गुजरने की सूचना अग्रिम में दी होती तो इस हादसे से बचा जा सकता था।
महाराष्ट्र में मरने वालों की संख्या बढ़कर 149 हुई
मुंबई (एजेंसी) : महाराष्ट्र में सतारा और रायगढ़ जिलों में 36 और शव मिलने के बाद बाढ़ और भूस्खलन समेत बारिश से जुड़ी विभिन्न घटनाओं में मरने वालों की संख्या रविवार को बढ़कर 149 हो गई, जबकि 64 लोग लापता हैं। राज्य सरकार ने यह जानकारी दी।
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18 घंटे पहले
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।
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