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पंजाब प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस विधायकों, पार्टी वर्करों के साथ बुधवार को स्वर्ण मंदिर मत्था टेकने पहुंचे। -विशाल कुमार
अमृतसर, 21 जुलाई (एजेंसी)
पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के आवास पर पार्टी के करीब 60 विधायक उनसे मिलने पहुंचे, जिसे सीएम अमरेंद्र सिंह के साथ चल रहे उनके विवाद के बीच पंजाब में पार्टी पर अपनी पकड़ दिखाने का सिद्धू का एक तरह से शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। पंजाब में कांग्रेस के कुल 80 विधायक हैं।
अमृतसर में जगह-जगह नवजोत सिद्धू को बधाई देने वाले पोस्टर लग गये हैं। साथ ही प्रियंका गांधी के भी कुछ पोस्टर लगे हैं। -विशाल कुमार
सिद्धू और अमरेंद्र सिंह के बीच पिछले काफी समय से विवाद जारी है। सिद्धू ने हाल ही में बेअदबी के मामलों को लेकर मुख्यमंत्री को कई बार निशाना बनाया। मुख्यमंत्री कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति के भी खिलाफ थे। सिंह ने यह भी कहा था कि जब तक सिद्धू उनके खिलाफ की गईं अपमानजक टिप्पणियों पर सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांग लेते, मुख्यमंत्री उनसे नहीं मिलेंगे। मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और तृप्त रजिंदर सिंह बाजवा, चरणजीत सिंह चन्नी और सुखबिंदर सिंह सरकारिया के साथ-साथ पूर्व प्रदेश पार्टी अध्यक्ष सुनील जाखड़ भी बुधवार को यहां पहुंचे। सिद्धू के साथ पार्टी के विधायक बुधवार को ‘लग्जरी’ बसों में स्वर्ण मंदिर के दर्शन करने पहुंचे, जहां बड़ी संख्या में कांग्रेस समर्थक मौजूद थे। सिद्धू और सभी विधायक दुर्ग्याणा मंदिर और राम तीरथ स्थल भी गए। स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने के बाद जाखड़ ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमने समृद्ध पंजाब के लिए प्रार्थना की, जिसमें हम सभी का योगदान होगा।’
सार्वजनिक रूप से माफी मांगने तक सिद्धू से नहीं मिलने के अमरेंद्र सिंह के रुख पर कुछ विधायकों ने कहा कि इसकी कोई जरुरत नहीं है। यह पूरा आयोजन करने वाले मंत्री रंधावा ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री के व्यवहार पर आश्चर्य हुआ। उन्होंने कहा कि राज्य प्रमुख पद पर सिद्धू की नियुक्ति सभी को स्वीकार करनी होगी और उसका सम्मान करना होगा, फिर चाहे अतीत में उनके बीच कोई भी और कैसा भी मतभेद रहा हो। रंधावा ने कहा कि इससे पहले भी वरिष्ठ नेताओं प्रताप सिंह बाजवा और सुखपाल सिंह खैहरा का भी अमरेंद्र सिंह के साथ मतभेद हुआ था, लेकिन अब सब सुलझ गया है। अमरेंद्र सिंह राजा वड़िंग ने कहा, ‘मुझे लगता है कि इस स्तर पर आकर, नेताओं को एक-दूसरे से माफी मांगने को नहीं कहना चाहिए।’ परगट सिंह का भी कहना है कि सिद्धू को माफी मांगने की जरुरत नहीं है। भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान परगट सिंह ने कहा, ‘मैंने हमेशा कहा है कि व्यक्तित्व के बीच की लड़ाई नहीं हो सकती है। यह लड़ाई मुद्दों की है।’
सिद्धू के प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद यहां पहुंचने पर मंगलवार को सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया था। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले सिद्धू भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। पार्टी कार्यकर्ताओं ने शहर में कई स्थानों पर सिद्धू के पोस्टर भी लगाए हैं। पार्टी के कुछ विधायकों और समर्थकों ने दावा किया कि सिद्धू द्वारा स्वर्ण मंदिर और अन्य मंदिरों में दर्शन करने के लिए अमृतसर पहुंचने के लिए कहे जाने के बाद करीब 60 विधायक यहां पहुंचे। विधायक मदन लाल जलालपुर ने पत्रकारों से कहा, ‘सिद्धू के दम पर 2022 चुनाव में भी कांग्रेस जीत दर्ज करेगी। आज, पूरा पंजाब उनके साथ है। सिद्धू की तरक्की के बाद पार्टी में काफी उत्साह है। उनके वोट यकीनन बढ़ेंगे।’ जलालपुर ने कहा, ‘मुख्यमंत्री को दिल से सिद्धू का स्वागत करना चाहिये। मुख्यमंत्री ने उनके खिलाफ बयानबाजी करने वाले प्रताप सिंह बाजवा से भी मुलाकात की थी। हालांकि अमरेंद्र सिंह के सलाहकार उन्हें सही मार्ग नहीं दिखा रहे हैं।’
सिद्धू कल संभालेंगे पदभार : कुलजीत नागरा
लुधियाना (निस) : पंजाब प्रदेश कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू शुक्रवार 23 जुलाई को पंजाब कांग्रेस भवन, चंडीगढ़ में पदभार ग्रहण करेंगे। पंजाब कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत सिंह नागरा ने बताया कि सिद्धू शुक्रवार शाम चार बजे पदभार संभालेंगे। श्री नागरा ने इस अवसर पर सभी नेताओं और विधायकों को उपस्थित रहने के लिए आमंत्रित किया, वहीं विशेष रूप से मुख्यमंत्री को भी इस अवसर पर आमंत्रित किया गया है। उल्लेखनीय है कि नागरा ने मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया है, लेकिन मुख्यमंत्री के आने की संभावना न के बराबर है क्योंकि इस समय मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच संबंधों में खटास है।
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9 घंटे पहले
8 घंटे पहले
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।
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